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बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

जुकाम, common cold, जुकाम, प्रतिश्याय दुनिया का सर्वाधिक प्रचलित रोग

जुकाम दुनिया का सर्वाधिक प्रचलित रोग common cold, जुकाम, प्रतिश्याय

जुकाम, common cold, जुकाम, प्रतिश्याय  दुनिया का सर्वाधिक प्रचलित रोग

 
दुनिया में वैसे तो अनेकानेक रोग हैं जिनकी अगर एक लिस्ट बनाई जाए तो बहुत लम्बी हो जाएगी, किन्तु जो रोग पहले किसी किसी व्यक्ति को परेशान किया करते थे या कहें कि जिन रोगों का पहले नाम भी लोग नही जानते थे एसे रोग आज आम रोग बन चके हैं। और पूरी मानव सभ्यता को दुखी कर रहे हैं। कई बर्ष पहले भारत में चिकुनगुनिया ने आतंक मचाया था इसी प्रकार दुनिया के कई देश मलेरिया के आतंकों से अनेकों बार दो चार हो चुके हैं। अब एक नया रोग कोराना दुनिया में वैश्विक महामारी के रुप में फैला हुआ है यह रोग भी एसा रोग था जिसे बहुत लोग नही जानते थे। और तो और केवल डाक्टरों ने भी इस रोग के बारे में केवल कितावों में ही पढ़ा था लेकिन सन 2019 के अन्त के साथ इस रोग ने चीन से पैर पसारना शुरु किया और केवल 2 माह में ही यह विश्व में फैल गया । 2021 मार्च के महिने में भारत में इसने पैर पसारे और भारत में पिछले 2 सालों में लाखों लोगों के प्राण पखेरु इस लोग ने ले लिए। विश्व में करोड़ों लोग इस रोग की चपेट में आकर काल के गाल में समा गये है।

इसके अलावा बहुत से अन्य रोग जो पहले किसी किसी व्यक्ति को होते सुने जाते थे वे आज लगभग पूरे समाज को ग्रसित किये हुये हैं।जैसे डायविटीज, बवासीर, हृदय रोग , उच्च व निम्न रक्त चाप तथा थाइराइड।  ये सभी रोग इसी श्रेणी में आते हैं जो पहले किसी किसी को होते थे। लेकिन कुछ एसे रोग भी हैं जो पहले भी खूब होते थे आज भी होते हैं और आज के समय में भी बिल्कुल पहले की तरह ही विश्वव्यापी बने हुये हैं।ये रोग अमीर गरीव छोटे बड़े किसी को नही छोड़ते।इनमें ज्वर, खांसी और जुकाम प्रमुख रोग हैं। आज हम जुकाम पर यह पोस्ट लिख रहे हैं। जुकाम सारी दुनिया में आज भी अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं।

 जुकाम (Common Cold in Hindi) कैसे होता है कब होता है यही हमारी चर्चा का विषय रहेगा इस सर्व व्यापी रोग की चिकित्सा क्या है इस पर जानकारी दी जा रही है

सर्वव्यापी रोग, common cold, जुकाम, प्रतिश्याय----

शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे कभी जुकाम ना हुआ हो इसमें लगातार नाक से पानी बहता है। हानि रहित नहीं होने के बावजूद यह रोग परेशान बहुत करता है। शोधों से मालूम हुआ है कि मनुष्य और चिंपांजी के अलावा किसी अन्य जानवर को यह रोग परेशान नहीं करता। 

जुकाम के प्रभावशाली उपचार और उसके बारे में तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों के अनेक शोध किए हैं।

 1946 में विल्टशायर में 'कॉमन कोल्ड यूनिट' की स्थापना भी जुकाम की तहकीकात करने के लिए की गई थी।

 जुकाम के बारे में शोधों से कई रोचक तथ्य सामने आए हैं।

आधुनिक मत से जुकाम का कारण--- जुकाम common cold किस वायरस के कारण होता है

 आधुनिक  मत के अनुसार जुकाम राइनोवायरस नामक विषाणु द्वारा श्वसन प्रणाली के ऊपरी भाग (नाक और वायु नलिका) पर संक्रमण से होता है। यह विषाणु अत्यंत सूक्ष्म होते हैं 1 इंच के करीब 2 खरब 50 अरब वे हिस्से के बराबर आकार के इन विषाणुओं की 100 से ज्यादा किस्में है। लेकिन कभी-कभी राइनोवायरस के बजाय कोरोनावायरस भी जुकाम उत्पन्न कर देता है।

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नोट- यही कोरोना वायरस पिछले 3 सालों से दुनिया को प्रताड़ित किये हुये हैं यह अबतक करोड़ों लोगों की जान ले चुका है 3 साल से पहले इतिहास में कभी इस वायरस ने कोई बड़ा  उत्पात मचाया हो यह ज्ञात इतिहास में तो कहीं दिखाई नही देता।

जुकाम, common cold प्रतिश्याय के बारे में किवदंतियाँ और विश्वास ---

 जुकाम के बारे में कहा जाता है कि यह या तो सर्दी लगने से होता है अथवा पानी से भीगकर खुली हवा में घूमने से। लेकिन आधुनिक शोधों ने इस मान्यता को गलत साबित कर दिया है। हां यह अवश्य है कि जुकाम हो जाने के बाद भीगना या सर्द जगह में रहने से यह रोग बढ़ जाता है। लेकिन यदि सर्दी लगने से जो काम नहीं होता तब जुकाम सर्दी के मौसम में ज्यादा क्यों होता है। यह ऐसा सवाल है जिसका निश्चित जवाब चिकित्सा वैज्ञानिकों के पास आज भी नहीं है। इसका संभावित कारण वे यह बताते हैं कि एक तो जाड़ों में लोग ज्यादातर घरों में ही रहते हैं जहां पर उनके विषाणु से प्रभावित होने की संभावना ज्यादा रहती है। दूसरा कारण यह हो सकता है कि घर का वातावरण जाड़ों में गर्म रखा जाने की वजह से नाक और गले की झिल्लियों में सूखापन आने की वजह से संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।

जुकाम के लक्षण और प्रक्रिया ----

जुकाम एक संक्रामक बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे को लग जाती है। जुकाम के रोगी की एक छींक से निकली हजारों छोटी-छोटी बूंदे विषाणुओं को 50 मील प्रति घंटे की गति से दूर दूर तक फैला देती है। यह छोटी-छोटी बूंदे जल्दी ही नीचे नहीं आती वल्कि हवा में ही रहती हैं। जैसे ही कोई दूसरा व्यक्ति उस हवा में सांस लेता है ये विषाणु उसकी नाक की छिल्ली पर जमा होकर सक्रिय हो जाते हैं। शुरू में ये नासिका झिल्ली का कोशिकाओं में प्रवेश कर विभाजित होना आरंभ कर देते हैं कुछ एक घंटे पश्चात कोशिकाऐं विषाणुओं से भर जाती है फिर फटकर सभी विषाणुओं को अन्य स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने के लिए मुक्त कर देती है। इसी तरह से यह प्रक्रिया  चलती रहती है। 48 से 96 घंटे पश्चात  नासिका झिल्ली की कोशिकाएं इस स्तर तक खत्म हो जाती हैं कि उन्हें शरीर से बाहर निकाल फेंकना जरूरी हो जाता है। नाक में स्थित स्रावी कोशिकाओं से स्राव ज्यादा मात्रा में होने लगता है। जिससे नष्ट हुई कोशिकाएं बह कर बाहर निकल जाती हैं। जुकाम की यह प्रक्रिया नाक बहना कहलाती है।

 जुकाम का विषाणु गले की कोमल कोशिकाओं को भी नष्ट करता है जिनकी वजह से जुकाम से पीड़ित गले के पिछले हिस्से में असुविधा महसूस करते हैं नतीजन खांसी शुरू हो जाती है। लेकिन नष्ट हुई कोशिकाओं का स्थान नवीन कोशिकाएं ले लेती हैं जिससे रोगी को स्थाई नुकसान नहीं होता। नाक और गले की झिल्ली से को प्रभावित करने में भी विषाणु को 2 से 4 दिन का समय लग जाता है। अतः इस अवधि से पहले जुकाम के लक्षण सामने नहीं आते। चिकित्सकीय भाषा में इस 2 से 4 दिन के समय को इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है। वैसे तो यह समय आमतौर पर सभी जीवाणु और विषाणु जनित रोगों में होता है। कोई भी विषाणु व्यक्ति को एकदम से बीमार नहीं करता पहले वह शरीर में जाकर विकसित होता है फिर बीमारी करने लायक शक्ति प्राप्त करके व्यक्ति को रोग ग्रस्त कर देता है।

जुकाम के घरेलू उपाय------

 डॉक्टरों का मानना है कि ऐसी कोई औषधि नहीं है जो जुकाम को तुरत फुरत ठीक कर सके। जुकाम स्वतः ही 7 से 10 दिन के अंदर ठीक हो जाता है। बिना औषधि के ऐसा किस प्रकार होता है इसका ठीक-ठीक जवाब डॉक्टरों के पास भी नहीं है। वैसे इसका कारण यह माना जाता है कि इतने समय में शरीर या तो उन विषाणुओं से लड़ने के लिए प्रतिपिंड या एण्टीबॉडी निर्मित कर लेता है अथवा इस अवधि में नाक की कोशिकाएं इस सीमा तक नष्ट हो जाती हैं। कि विषाणुओं को ठहरने के लिए कोई जगह ही नहीं रह जाती ।     

 जुकाम और इसके इलाज से जुड़ी अवधारणाऐं ---

जुकाम के इलाज से जुड़ी हुई कई तरह की धारणाएं हैं हर पैथी में इसके उपचार के लिए औषधियों की व्यवस्था है। लेकिन जैसा कि ऊपर बताया गया है कि इस रोग की कोई औषधि नहीं है । आधुनिक चिकित्सा पद्धति में यह गलत धारणा है कि जुकाम को रोकने या ठीक करने के लिए विटामिन सी अधिक मात्रा में लेना चाहिए लेकिन अभी तक इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। जिससे कहा जा सके कि विटामिन सी जुकाम रोकने में प्रभावी है ।

 शारीरिक स्वच्छता जुकाम से बचाव के लिए जरूरी है। अतः योग, व्यायाम, स्वच्छ वायु में टहलना, और प्राकृतिक भोजन का सेवन अच्छा  रहता है  जो लोग अस्वस्थ होते हैं, धूम्रपान करते हैं उन्हें जुकाम ज्यादा परेशान करता है। कुछ लोग जुकाम के उपचार में मदिरा सेवन लाभकारी मानते हैं। 

वैज्ञानिक सर अलेक्जेण्डर फ्लेमिंग का भी मानना था कि 

"सोने से पहले व्हिस्की लेने से जो काम में फायदा होता है"

 लेकिन इस धारणा का कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है। दरअसल जुकाम रोगी द्वारा रात को शराब पीने से उसे नींद आने में मदद मिलती है। इससे जुकाम की बेचैनी का एहसास नहीं हो पाता,

 इस बारे में 'अनफैमिलियर कोटेशंस' में जैरी वेल ने ठीक कहा है कि 

' विहिस्की उन सभी औषधियों में सर्वाधिक लोकप्रिय है जिनसे जुकाम ठीक नहीं होता"

 एक सलाह है यह भी दी जाती है कि जुकाम के रोगी को ज्यादा तरल पदार्थों का खासतौर पर गर्मियों का सेवन करना चाहिए वैसे तो जुकाम इन तरल पदार्थों के सेवन से भी जल्दी नहीं जाता लेकिन सत्यता यह है कि अधिक तरल पदार्थों के सेवन से रोगी को आराम मिलता है । गरम चाय या गरमा गरम सूप से बंद नाक खुल जाती है और गले की खराश से राहत मिलती है। कुछ लोगों का मानना है कि चूजे के शोरवा से जुकाम ठीक हो जाता है लेकिन इस धारणा में भी दम नहीं है। कई लोग जुकाम से राहत पाने के लिए शक्तिशाली एंटीबायोटिक की सलाह देते हैं। क्योंकि इससे विषाणुओं के लड़ने की शक्ति में कमी हो जाती है लेकिन एंटीबायोटिक लेने से केवल यही बात स्पष्ट होती है कि कोई संक्रमण न होने पाए। वैसे उचित यह रहेगा कि किसी भी संक्रमण को रोकने का पहले से प्रयत्न न किया जाए बल्कि संक्रमण होने के बाद तुरंत ही उसका उपचार एंटीबायोटिक की पूरी खुराक से किया जाए।

 आज कल जुकाम में घरेलू नुस्खों की जगह कई तरह की  अंग्रेजी दवाइयां मार्केट में उपलब्ध हैं लेकिन इनमें से कोई भी जुकाम का इलाज करने में सक्षम नहीं है। केवल कुछ औषधिया जुकाम के कष्टों को किसी सीमा तक कम अवश्य कर सकती है जैसे कि बुखार का कम कर देना, एंटीहिस्टामिन दवाइयाँ नाक की रुकावट को साफ करती है और बहते हुये द्रव को सुखाती हैं  कोडीन फास्फेट खांसी मे राहत देती है लेकिन जुकाम पर ये सभी औषधियां किसी काम की नही होती हैं। 

जुकाम होने पर क्या करें और क्या न करें -----

जुकाम मे बंद नाक को खोलने के लिए जोर लगाकर न छींके क्योंकि एसा करने से गले के अन्दर का संक्रामक पदार्थ अनजाने में ही नाक के भीतर के जीवाणुरहित भाग में प्रवेश कर उसे प्रभावित कर सकता है।
जब छोटे बच्चे को जुकाम हो जाता है तब उसकी नाक साफ कैसे हो यह परेशानी आती है इसके लिए बिना सुई वाली सिरिंज लेकर सावधानी से नाक की श्लेष्मा निकालकर नाक साफ की जा सकती है बड़े आयु के बच्चों तथा बड़ों में यह कार्य थोड़ा सा नमक मिला पानी नाक के द्वारा ऊपर खींच कर किया जा सकता है इससे श्लेष्मा ढीली हो जाती है। सादा पानी का प्रयोग भी किया जा सकता है जुकाम की वजह से जब नाक पूरी तरह बंद हो जाए तब नाक को खोलने वाली बूंदों जैसे फिनाईलैफ्रिन का प्रयोग ठीक रहता है इसके लिए एक और गर्दन झुकाकर नुथने के निचले भाग में दवा की 2-3 बूंदें डालें कुछ मिनट बाद यही किया दूसरे
नुथने से दोहराएं इस दवा का सेवन दिन भर में 3 बार से ज्यादा तथा 3 दिन से ज्यादा नहीं करना चाहिए  और इसका ख्याल रहे कि नुथने में बूंदे डालने के समय ड्रापर नुथने से दूर रहे उसे छुए नहीं । और अंत में,

 जुकाम स्वतः ही जाने वाला रोग है इसे दवाओं से दूर करना संभव नहीं है इस बारे में यह उक्ति बिल्कुल सही है कि 

जुकाम बिना दवा के सात दिन में और दवाई लेने पर 1 सप्ताह में चला जाता है

 अब मैं आपको जो काम से जुड़ी एक सच्चाई बताता हूँ कि जिन लोगों को अक्सर जुकाम रहता है वे लोग सरसों के तेल को हथेली पर लेकर रोज सुबह सवेरे अपने नाक से खींचें लेकिन यह प्रयोग तब करें जबकि जुकाम ना हो  पहले  शुरुआत में 10-12 दिन नित्य सुबह एक बार करें तत्पश्चात 15 दिनों में एक बार इस प्रकार एक साधारण से उपाय को अपनाने के बाद आप देखेंगें कि आप जुकाम से कभी ग्रसित ही नही हुए थे।लेकिन इस कार्य में दो साबधानियां रखें एक तो नाक से तेल बड़ी ही सहजता से खींचें। जो तेल प्रयोग किया जाऐ वह शुद्ध सरसों का तेल हो। मिलावटी न हों।

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