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मंगलवार, 15 मार्च 2022

अपने बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के आयुर्वेदक उपाय क्या हैं ?

आयुर्वेद के साथ स्वाभाविक रूप से अपने बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के सूत्र ?

आयुर्वेद के साथ स्वाभाविक रूप से अपने बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के सूत्र ?
आज दुनिया की दौड़ में मानव इतना आगे निकल चुका है कि उनके खुद के नौनिहाल भी इस दौड़ का घोड़ा बनने के लिए अपने बचपन को खोते जा रहे हैं। हम 2 - 2.5 वर्ष के होते ही उन्हैं पढ़ने के लिए भेज देते हैं। वहां उन पर स्कूल व खेलकूद में अच्छे प्रदर्शन का दबाव होता है क्योंकि उनके साथी बहेतर प्रदर्शन कर रहे होते हैं तो हमारी भी आकांक्षा उनसे बहेतर करने की होती है। लेकिन उनके बेहतर प्रदर्शन के साथ साथ वे अपनी बढ़बार के लिए भी संघर्ष कर रहे होते हैं हमें यह बात ध्यान रखनी ही चाहिये कि यह उनकी बढ़बार का समय भी है।

 

आयुर्वेद के साथ स्वाभाविक रूप से अपने बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के सूत्र ?
इसके साथ ही पढ़ाई, ट्यूशन, खेल और अन्य गतिविधियों के साथ उनको एक अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है अतः उनके स्वास्थ्य की देखभाल बहुत महत्वपूर्ण है। अतः उनकी बढ़ती जरुरतों के हिसाब से माता पिता को उनकी इम्यूनिटी को बनाए रखने के लिए उचित पोषण पर ध्यान देना अति आवश्यक है।

और इस महाभयकर महामारी के साथ, उनकी प्रतिरक्षा पर भी ध्यान देना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। एसे समय में उनका भोजन इम्यूनिटी बूस्ट करने वाला होना चाहिये। 

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 आयुर्वेद इस सबके लिए वास्तव में आपकी मदद कर सकता है क्योंकि यह कोई रोग निवारक पद्धति नही अपितु एक प्राकृतिक जीवन पद्धति है , और यह बिना किसी दुष्प्रभाव के उनके शरीर को प्राकृतिक ग्रोथ प्रदान करेगा। और वे लगातार बढ़ती जिम्मेदारियों से निपटने के लिए एक मजबूत आधार विकसित कर सकने में समर्थ होंगे। 

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आइए जानते हैं बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा जो लंबे समय तक आपकी मदद कर सकती है।

आपके बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद का उपाय

आयुर्वेद के साथ स्वाभाविक रूप से अपने बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के सूत्र ? अगर आपका बच्चा बदलते मौसम में आसानी से बीमार पड़ जाता है या थोड़ा सा भी कुछ खा पी लेने से कभी भी खांसी जुकाम हो जाता है, तो आपको अपने बच्चे की इम्युनिटी पर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसी संभावना है कि उसके पाचन तंत्र में आम (टॉक्सिन्स) जमा हो गये हों जिससे बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गयी हो।

आयुर्वेद, हमारा ध्यान बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए तथा उसकी रोग प्रतिरोधकता मजबूत करने के लिए उसके शरीर में दोषों को संतुलित करने पर केंद्रित करता है । दोषों का संतुलन बच्चे के मास्तिष्क और शरीर दोनों के समग्र रुप से स्वस्थ बनाता है जिससे बच्चा स्वयं शांतचित्त और स्वस्थ महसूस करेगा।

अब बात अगर आम की आती है और दोष संतुलन की आती है तो बच्चे का पोषण होता है उसके भोजन से और भोजन से ही बच्चे के शरीर की सातों धातुए बनती है जो उसकी जीवनी शक्ति का प्राण है।

यहां, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि इन सातों धातुओं के निर्माण के लिए अच्छा पाचन बहुत महत्वपूर्ण है. और इस पाचन को मजबूत करने के लिए जितने कफ युक्त पदार्थ हम कम से कम बच्चे को देगें उतना ही उसका पाचन दुरुस्त रहेगा लेकिन ध्यान रहे कि कफ युक्त पदार्थ ही शरीर निर्माण के लिए जरुरी भी होते हैं अतः इनका एक संतुलित प्रयोग भी आवश्यक है लेकिन कुछ पदार्थ जैसे जंक फूड इत्यादि में पोषण की मात्रा बहुत कम होती है अतः इनसे बच्चे को बचाना श्रेयस्कर है किन्तु फिर भी अगर आपके बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर है और उसे लगातार सर्दी जुकाम या बुखार आदि की समस्याऐं होती रहती हैं तो उसे कफयुक्त पदार्थ जैसे मिठाई, तले भुने खाद्य, जंक फूड बिल्कुल न दें। इससे उनका पाचन दुरुस्त रहेगा और एक बार जब पाचन दुरुस्त हो जाए और उसके शरीर में पर्याप्त मात्रा में धातु वृद्धि हो जाए तो वह कुछ भी खा पी सकने में समर्थ हो जाएगा।


आयुर्वेद में, हम बच्चे के आहार में कफ प्रधान खाद्य पदार्थों को कम करने की सलाह देते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। मिठाई, डेयरी, जंक फूड और गेहूं जैसे खाद्य पदार्थों को उनके डाइट प्लान से खत्म करने से बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ सकती है।

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इसके अतिरिक्त बच्चे को अधिक हरी पत्तेदार सब्जिया, ताजे फल और साबुत अनाज खाने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिये घर पर बना गर्म और ताजा पका भोजन पाचन को सुद्रढ़ करता है इसके साथ दालचीनी, इलायची, लौंग, हल्दी, और अदरक का प्रयोग बच्चे की पाचकाग्नि को बढ़ाने में महती भूमिका अदा करता है।

साथ ही निश्चित समय और नीयमित अंतराल पर किया गया भोजन किसी भी व्यक्ति की पाचन शक्ति में इजाफा करता है आयुर्वेदानुसार तीखे, कसैले और कड़वे स्वादों वाले भोजन प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत करते हैं

आयुर्वेद के साथ स्वाभाविक रूप से अपने बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के सूत्र ?माता-पिता के रूप में, आपको अपने बच्चों को किसी भी प्रकार की physical activity जैसे जिमनास्टिक, व्यायाम व खेलकूद गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए यह रक्त परिसंचरण बढ़ाता है और उनकी ऊर्जा के स्तर (energy levels) को संतुलित करता है इसके अलावा पोषक तत्वों(nutrients) के प्रवाह में भी सुधार करता है। किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधियां शरीर में विषहरण तंत्र (detox mechanisms) को बढ़ावा देतीं हैं। इस तरह शरीर स्वयं ही विषहरण की प्रक्रिया (detoxification) में मदद करता है और शरीर को मजबूत बनाता है।



इसके अलावा अच्छी नींद बच्चे के स्वास्थ्य का एक और महत्वपूर्ण कारक है। जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए बच्चे को पर्याप्त नींद के लिए उसे जल्दी सोना जल्दी उठने की आदत डालनी बहुत जरुरी है। आजकल की जिन्दगी में जिस प्रकार जीवन के सूत्र बदल रहे हैं उसी प्रकार रोग हमारी दिनचर्या का हिस्सा बनते जा रहे हैं। इसलिए अगर रोगो से बचना है तो हमें अपनी दिनचर्या भी उसी प्रकार की करनी होगी जो स्वास्थ्यप्रद हो।

आहार, व्यायाम और नींद जैसे इन महत्वपूर्ण कारकों का ध्यान रखना निश्चित रूप से आपको बहुत लाभ पहुंचा सकता है।

आप चवनप्राश अवलेह, आंवला मुरब्वा, सेव का मुरब्बा, एरण्ड पाक इत्यादि किसी इम्यूनिटी बूस्टर का प्रयोग भी अपने बच्चों के लिए करा सकते हें ये आपके बच्चों की प्रतिरक्षा के लिए बहुत अच्छी आयुर्वेदिक दवाओं में से हैं।

च्वनप्राश पुरातन आयुर्वेदिक फार्मूला है जो बच्चे की प्रतिरक्षा और श्वसन प्रणाली की सहायता कर सकता है। यह बच्चे को मौसमी बदलाव, खांसी, जुकाम और फ्लू से बचाने में मदद कर सकता है। आंवला मुरब्वा व सेव का मुरब्बा मौसमी बदलावों के लिए बच्चें के शरीर को जरुरी इम्यूनिटी प्रदान करते हैं वहीं एरण्डपाक व अश्वगंधा पाक बच्चे की मांसपेशियों को मजबूती देने के साथ साथ उसकी पाचन क्षमता को दुरुस्त करते है

ये सभी आयुर्वेदिक प्राकृतिक फार्मूले बच्चे की प्रतिरक्षा और ऊर्जा के स्तर के निर्माण में मदद कर सकते हैं।

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