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शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

दमा , अस्थमा या श्वांस रोग कारण लक्षण व उपचार Dama, Shvaas ya Ashthama Ayurvedic Upchar

Dama, asthama,shvaas rog kaaran va Gharelu upachaar  (Ayurvedic upchar )

दमा , अस्थमा या श्वांस रोग कारण लक्षण व उपचार Dama, Shvaas ya Ashthama Ayurvedic Upchar
Dama Home remedies



 दमा, अस्थमा या श्वास रोग क्या है ?

दमा,श्वांस या अस्थमा Asthma ya dama ka upchar in hindi रोग वास्तव में  फेफड़ों से उत्पन्न श्वसन अव्यवस्था की वजह से पैदा होने वाला रोग है। दमे Dama in hindi में सामान्य श्वांस प्रक्रिया प्रभावित होती है जिससे दमे का रोगी अपनी नियमित शारीरिक गतिविधियाँ को करने में कठिनता महसूस करता है कभी कभी तो वह इन प्रक्रियाओं को करने में असमर्थ ही हो जाता हैं। अगर दमें के रोगी को सही इलाज सही समय पर मिलना अति आवश्यक है नही तो दमा जानलेवा सावित हो सकता है । आजकल वातावरण में बढ़ता प्रदूषण दमा जैसे रोगों को पैदा करने का महत्वपूर्ण कारक बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन(W.H.O) के अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 20 मिलियन दमा रोगी Asthma Patient हैं। आमतौर पर दमा 5 से 11 साल के बीच के बच्चों में भी होता देखा जाता है। 

दमा क्यों होता है --- Dama rog ke karan --- shvaas rog ka karan

हमारे शरीर की कोशिकाओं में समस्त तत्वों का चपापचय metabolism तथा उससे मिलने वाली ऊर्जा और ऊष्मा की उत्पत्ति ऑक्सीजन से होती है। इस आक्सीजन को ही वैदिक साहित्य में प्राणवायु कहा गया है। हर जीव के लिए यह प्राण वायु  सबसे पहली जरूरत है । ऑक्सीजन यानी प्राणवायु को हम श्वास द्वारा प्राप्त करते हैं। जब हम नासिका से श्वास लेते हैं, तब यह वायु नासिका मार्ग से कंठ और ग्रसनी में पहुंच जाती है। वहां से यह स्वर यंत्रों से होती हुई श्वास नली यानी कंठ नाल में जाती है। यह कंठनाल वक्ष प्रदेश के चौथे पांचवें कशेरुका के निकट पहुंच कर दो शाखाओं वाली हो जाती है। जो क्रमशः दाएं व बाएं फुफ्फुसों में प्रवेश कर जाती है। उसके बाद यह फेफड़ों की सभी शाखाओं प्रशाखाओं में बढ़ती जाती है। साथ ही इसकी चौड़ाई भी लगातार कम होती जाती है जो अंत में बहुत कम व्यास की श्वास नलिका में बदल जाती है। इन श्वास नलिकाओं के व्यूह इतने छोटे होते हैं कि जब इनकी भित्तियों की अनेच्छिक पेशियों में ऐठन हो जाती है, तब वायु मार्ग बहुत संकुचित हो जाता है। इससे श्वास का आवागमन बाधित होने लगता है। यह स्थिति ही दमा या अस्थमा कहलाती है। ब्रोंकाइल अस्थमा bronchial asthma को ही आयुर्वेद में तमक श्वांस कहा गया है। सामान्य हिंदी भाषी लोग इस रोग को सांस रोग के नाम से जानते हैं।

दमा के लक्षण हिंदी  Symptoms of Asthma

  1. खाँसी-  खांसी Khansi और श्वांस लेते वक्त घरघराहट होना ( विशेष रूप से रात के समय)
  2. सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज निकलना, सांस की तकलीफ और छाती में जकड़न महसूस होना।
  3. थकावट- थकान का एहसास होना,
 विभिन्न प्रकार के दमा के लक्षण dama ke lakshan अलग-अलग होते हैं।


उपरोक्त लक्षणों व  संकेतों के आधार पर इस रोग की जानकारी मिल सकती है और अगर आपको लगे कि हम इस रोग से ग्रसित हो चुके है तो बिना देरी किये डाक्टर, वैद्य या फिर आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलना चाहिये।    

दमा के कारण --

दमा होने के इनमें कुछ प्रमुख कारण निम्न है।

  1. एलर्जी Allergies
  2. प्रदूषण Pollution 
  3. मानसिक तनाव mental stress
  4. जुकाम cold
  5. खांसी का बिगड़ जाना इत्यादि।

दमा का निदान  कैसे करें --- dama ka nidaan kaise Karen--- Asthma Diagnosis---

दमा रोगी निश्चित जानकारी के लिए निम्न परीक्षण कराए जाने चाहिए।

  1. थूक परीक्षण 
  2. मल परीक्षण 
  3. रक्त परीक्षण-- TLC, DLC, ECR, Hemoglobin,Eosinophils count 
  4. फेफड़ों की जांच इसमें सीने का एक्सरे लिया जाता है 
  5. हृदय की जांच द्वारा फेफड़ों की श्वसन क्षमता की जांच 
  6. एलर्जी टेस्ट 
  7. नेजल स्मियर

दमा पर लाभकारी आयुर्वेदिक चिकित्सा dama par laabhakaaree aayurvedik chikitsa    ( दमा की आयुर्वेदिक दवा)----

चिकित्सा व्यवस्था पत्र 1 --

  1. श्वास कास चिंतामणि रस 120 से 240 Mg 
  2. पिप्पली चूर्ण 500 Mg एक चम्मच शहद के साथ (प्रातः सायं दिन में 2 बार) 3 से 6 माह तक 
  3. श्वास कुठार रस दो-दो गोली (प्रातः सांय ) शहद के साथ  
  4. कनकासव kankasav 5 से 10 ml समान मात्रा में जल मिलाकर दिन में दो बार भोजन के बाद 
  5. च्यवनप्राश अवलेह chawanprash Avleha 10 gm से 20 gm दूध के साथ (दिन में 2 बार)



चिकित्सा व्यवस्था पत्र  2 --  जीर्ण श्वास व बेचैनी की स्थिति में

  1. नागार्जुनाभ्र  रस 180 mg 
  2. श्वास कास चिंतामणि रस 120 mg प्रातः सायं दिन में दो बार शहद के साथ 
  3.  कनकासव दो दो चम्मच बराबर जल मिलाकर (भोजन के बाद दिन में दो बार)

चिकित्सा व्यवस्था पत्र 3 --श्वास,कमजोरी, अफारा, आंव, प्रदर रोगों के मिश्रित उपसर्ग हो तब

  1.  सूतशेखर रस 125 mg 
  2. प्रवाल पंचामृत 125mg दोनों को मिलाकर शहद के साथ दिन में 2 बार प्रातः शाम सेवन करें
  3. चित्रकादि वटी एक गोली जल के साथ (भोजन के बाद )

चिकित्सा व्यवस्था पत्र 4- श्वांस फूलती हो, जी घबराता हो तब 

  1. अर्जुनारिष्ट दो चम्मच बराबर मात्रा में पानी मिलाकर दिन में दो बार 
  2.  ब्रह्म रसायन 1 चम्मच मिश्री मिले दूध के साथ (रात में सोने के पहले)

चिकित्सा व्यवस्था पत्र 5 ---- जब दमा में श्वास फूलने की तीव्र स्थिति हो बेचैनी भी हो तब

  1. पिप्पल्यादि लोह 720mg 
  2. मुक्ताशुक्ति भस्म 200 mg इन की 8 मात्रा बनाएं तथा एक एक मात्रा हर चार 4- 4 घंटे पर  शहद के साथ ले 
  3. बबूलारिस्ट 10ml समान मात्रा में जल मिलाकर (भोजन के बाद दोनों समय)
 

चिकित्सा व्यवस्था पत्र

  1. श्वास कास चिंतामणि रस 300mg (shvaas kaas chintaamani ras)
  2. मुक्तादी चूर्ण 300mg (muktaadee choorn)
  3. अपामार्ग क्षार 500 mg (apaamaarg kshaar)
  4. श्वास कुठार रस 300 mg (shvaas kuthaar ras)
  5. तालीसादी चूर्ण 3 ग्राम (taaleesaadee choorn) 3 मात्राएं शहद या पान के रस के साथ (दिन में 3 बार हर 4 घंटे पर दें)                                            
                                               अथवा 
  1. श्वास कुठार रस 500mg (shvaas kuthaar ras)
  2. कर्पूरादि रस 2 ग्राम (karpooraadi ras)
  3. सूतशेखर रस 300mg (sootashekhar ras)
  4. अभ्रक भस्म  500 mg (Abhrak Bhasma) लिसोड़ा के क्वाथ से दिन में तीन बार 
  5. श्रंगादि चूर्ण 4 ग्राम(Shrangadi Churna) (9:00 बजे और 2:00 बजे
  6. अर्क लवण 2 ग्राम (Ark Lavan)
  7. टंकण भस्म 300 mg  (Tankan Bhasma)
  8. कनकासव 20ml (Chandanasav) (भोजन के बाद दिन में दो बार
  9. द्राक्षारिष्ट 20(Draksharisht) (भोजन के बाद दिन में दो बार
  10. एलादि वटी(Ealadi vati) चूसने के लिए  (दो-दो घंटे बाद के लिए छह बार ये सभी रात को सोने से पूर्व प्रयोग करनी हैं)
  11. आरोग्यवर्धिनी वटी (Arogyavardhani Vati) 1 gm गुनगुने जल से
 नोट-- सभी औषधियां कंपनी अच्छी कंपनी का प्रयोग करें। किसी भी फार्मूले को प्रयोग से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक Ayurvedic Chikitsak की देखरेख में प्रयोग करें Ayurvedlight- The light Of Ayurveda आपको आयुर्वेद की केवल जानकारी उपलब्ध कराता है और चिकित्सक आपकी प्रकृति व रोगानुसार चिकित्सा करता है अतः किसी भी योग का प्रयोग चिकित्सक की देखरेख में ही करें। नहीं तो लाभ के स्थान पर नुकसान भी हो सकता है। Ayurvedlight- The light Of Ayurveda किसी भी परेशानी के लिए जिम्मेदार नही होगा।


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