हैपैटाइटिस से बचाव के उपाय - The Light Of Ayurveda

Ads

demo-image

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

हैपैटाइटिस से बचाव के उपाय

AYURVEDLIGHT.BLOGSPOT.COM

आयुर्वेद में हैपैटाइटिस या यकृत शोथ से बचाव के लिए अपने खाने पीने के सामान के चुनाव पर ध्यान देने को कहा गया है। क्योंकि हमारा खाया हुआ भोजन यकृत के सहयोग बिना तो खून में नही मिल सकेगा और आहार के द्वारा ही हमारा यकृत भी ताकत प्राप्त करेगा।तो यकृत की तन्दरुस्ती के लिए हमारा आहार यकृत के लिए हैल्पफुल होना चाहिए।

क्या न खाऐं-

हमारी बार-2 खाने की आदत,ज्यादा तेल व चिकनाई वाले भोजन कम से कम खाए,अण्डा,माँस,मिर्च मसाले,शराव आदि का उपयोग अगर बन्द न कर सके तो अत्यधिक कम अवश्य कर दें।मिठाई,नमकीन पालिश दार दालें चावल व अन्य पदार्थ जो भोजन के पाचन के लिए यकृत से ज्यादा काम कराते हैं के उपयोग से रोग काल में तो विल्कुल भी प्रयोग न करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।इसके अलावा मैं पहले भी कह चुका हूँ कि शराव,गांजा,अफीम,तम्बाकू आदि भी यकृत के दुश्मन हैं अतः भाईयों इससे तो विल्कुल ही दूर कर दें।चाय,काफी,लिम्का,कोला ये भी यकृत पर अपना गैर जिम्मेदारी भरा असर दिखाते है अतः स्वयं ही विचार कर लें कि ये लेने लायक है या नही।दाले वैसे तो फायदे मंद है किन्तु रोग की अवस्था में हम यह चाहते है कि कोई भी एसा पदार्थ न लें जिससे यकृत पर वोझ पड़े. चूकि दालों मे नाईट्रोजन की अपेक्षित मात्रा बहुत ज्यादा होती है अतः ये भी यकृत पर बोझ डालती हैं अतः इस रोग की अवस्था में दालों का प्रयोग न करें।

क्या खाऐं-

 गैंहू के आटे की रोटी जिसमें चोकर न छानी गयी हो,ज्वार,बाजरा,मक्का,का दलिया,मक्का की रोटी वह भी चोकरयुक्त हो आदि का उपयोग इस रोग में व सामान्य अवस्था में भी यकृत के लिए वहुत लाभकारी होता है।हरी सब्जियाँ,सलाद,आदि का अच्छी प्रकार धो कर उपयोग करें।वैसे तो मौसमी फलों का प्रयोग यकृत के लिए सदा ही फायदे मंद ही होता है किन्तु इस रोग की अवस्था में तो इनकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। अच्छी प्रकार पके रसीले फल यकृत के लिए औषधि का सा काम करते हैंतथा इनमें विटामिन्स भी भरपूर मात्रा में मिलते हैं अतः मौसमी,पका केला,पपीता,चीकू,खरवूजा,संतरा,आदि जो भी मौसमी फल हों उनका भरपूर प्रयोग करें।फलों का रस, व सव्जियों का सूप भी आवश्यकता नुसार प्रयोग किया जा सकता है।

बचाव के उपाय- चूँकि यह एक ऐसा रोग है जो सक्रमण से फैलता है तथा इसका सक्रमण सबसे अजीव इस बात को लेकर है कि इसके कीटाणु लम्बे समय तक शरीर में सुप्तावस्था में पड़े रहते हैं औरअचानक ही रोग दिखाई देने लगता है।अतः इस रोग के वारे में यही कहा जा सकता है कि साबधानी ही बचाव है।

हम सुबह की दिनचर्या से ही बचाव के बारे में वताते हैं।

सबसे ज्यादा तौलिया ही ऐसा वस्त्र है जिसे हम लोग साझा इस्तेमाल करते हैं ध्यान रखें इस रोग के कीटाणु इसे अपना दोस्त बना सकते हैं अतः इसे अलग व्यक्ति के लिए अलग प्रयोग करने का प्रयास करें।

एक थाली में वैसे तो कम ही घरों में आजकल खाते है किन्तु यदि खाते हैं तो कृपया इस आदत को अब बदल लें।

रेस्तरा,या होटल में खाने की आदत को समाप्त करने का प्रयास करें क्योकि एक तो ज्यादा मिर्च मसाले का भोजन वहाँ मिलेगा और उसके वावजूद प्लेटें आदि की भी अपूर्ण सफाई मिलेगी।

रक्त चढ़वाते समय याद रखें कि संक्रमित रक्त न चढ़ जाए।

डाक्टर वैसे तो एड्स के कारण से आजकल नयी सिरिंज का ही प्रयोग करते हैं फिर भी अगर ऐसा न हो रहा हो तो बदलवाकर ही प्रयोग करबाऐं।

सबसे खास और ध्यान देने वाली बात कब्ज न होने दें,ऐसीडिटी का तुरन्त इलाज कराऐं।

कुछ घरेलू व सामान्य से उपचार- कव्ज हो जाने पर कोशिश करें कि एनीमा न लेना पड़े। अगर लेना ही पड़े तो गुनगुने पानी का प्रयोग करें।तीक्ष्ण रेचक औषधियों का प्रयोग  विल्कुल भी न करे उससे तो गुनगुने पानी का एनींमा ज्यादा अच्छा है।सामान्य रेचक औषधियाँ

सामान्य पाचन प्रणाली पर कोई भी घातक प्रभाव नही छोड़ती हैं।

 पेड़ू पर ठण्डे पानी की पट्टियाँ दो तीन वार दिन में रखना भी लाभदायक हो सकता है।

सुबह  शाम कमर तक जल में वैठना यकृत शोथ व जलन में हितकर होता है।

                हैपैटाइटिस ए या पीलिया में 1 या 2 सप्ताह तक केवल अगर फलों के रस सलाद या सव्जियों के सूप पर रहा जाए तो यकृत अपनी स्वभाविक अवस्था को प्राप्त कर लेता है।

    यकृत शोथ की ज्यादा गम्भीर अवस्था में भी फलों के रस या केवल जल ग्रहण करके भी रोग पर विजय प्राप्त की जा सकती है।

    सावधानी- लैकिन आप चाहे जो उपचार लें अपने डाक्टर या वैद्य से पूँछ कर ही लें ।वे आपको रोग का लक्षण देख कर उपयुक्त सलाह देंगे।क्योंकि हैपैटाइटिस गंभीर रोग है कोई भी कदम उठाने से पहले सलाह अत्यन्त जरुरी चीज है।  


               

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हमारी वेवसाइट पर पधारने के लिए आपका धन्यबाद

OUR AIM

ध्यान दें-

हमारा उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व में आय़ुर्वेद सम्बंधी ज्ञान को फैलाना है।हम औषधियों व अन्य चिकित्सा पद्धतियों के बारे मे जानकारियां देने में पूर्ण सावधानी वरतते हैं, फिर भी पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी औषधि या पद्धति का प्रयोग किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें। सम्पादक या प्रकाशक किसी भी इलाज, पद्धति या लेख के वारे में उत्तरदायी नही हैं।
हम अपने सभी पाठकों से आशा करते हैं कि अगर उनके पास भी आयुर्वेद से जुङी कोई जानकारी है तो आयुर्वेद के प्रकाश को दुनिया के सामने लाने के लिए कम्प्युटर पर वैठें तथा लिख भेजे हमें हमारे पास और यह आपके अपने नाम से ही प्रकाशित किया जाएगा।
जो लेख आपको अच्छा लगे उस पर
कृपया टिप्पणी करना न भूलें आपकी टिप्पणी हमें प्रोत्साहित करने वाली होनी चाहिए।जिससे हम और अच्छा लिख पाऐंगे।

Post Top Ad

Email Subscription