- नरसिंह चूर्ण उत्तम बाजीकरण रसायन, बलवीर्यवर्द्धक है। जो कमजोर से कमजोर आदमी को भी शेर जेसी ताकत प्रदान कर देता है। यह बुढ़ापे और बीमारियों को दूर रखता है।
- इसके सेवन काल मेँ दूध ,से बनी मिठाई, शुद्ध देसी घी, पनीर, पोैष्टिक पदार्थोँ का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। उन लोगों के लिए यह चूर्ण वरदान है जिन्हे खाना हजम न होता हो। यह शरीर को बल वीर्य से पुष्ट कर कर धातुओं की जबरदस्त वृद्धि कर शरीर मेँ नई स्फूर्ति बल वीर्य की वृद्धि कर काम शक्ति को असीमित बढ़ा देता है। फूला शरीर, काम शक्ति का अभाव, शरीर मेँ स्फूर्ति की कमी, दौर्बल्य, शुक्राणु की गतिशीलता मेँ कमी होना अर्थात संतान पैदा करने के लायक न होना, शुक्राणु मेँ गतिशीलता की कमी इसके सेवन से कुछ दिनो मेँ छू मंतर हो जाती है। खूब भूख लगने लग जाती है, शरीर मेँ बल महसूस होने लगता है, नामर्द भी इसके सेवन से अपने आप मेँ मर्दानगी का अनुभव करने लगता है। लक्ष्मण मेँ इसका सेवन अमृत तुल्य लाभ देता है।
नारसिंह चूर्ण बनाने की विधि :-
- शतावर चूर्ण 100 gm
- गोखरु चूर्ण 100 gm
- वाराही कदं 125 gm
- बिदारीकंद 100 gm
- धुले हुए सफेद तिल 100 gm
- सत गिलोय 100 gm
- चित्रक मूल की छाल 75 gm
- शुद्ध भिलावा 200 gm
- दाल चीनी 15 gm
- तेज पत्ता 15 gm
- छोटी इलाची 15 gm
- मिश्री 300 gm
- शुद्ध देसी घी 250 gm
- शुध्द शहद 500 gm
- कूट पीसकर मिला कर अच्छी तरह रख लेँ रख ले एक चम्मच सुबह नाश्ते के एक घंटे बाद एक चम्मच रात को दूध से सोते समय गर्म दूध के साथ लगातार कुछ दिनोँ तक प्रयोग करे।
- पेंतीस साल की उमर के बाद के लोगोँ को जरुर इस्तेमाल करना चाहिए।
- ध्यान रखने योग्य बात यही हे कि इसके सेवन काल मेँ दूध दूध से बनी चीजे शुद्ध देशी की आदि का प्रयोग भरपूर करेँ। जिनकी पाचनशक्ति खराब हो जाए उनकी पाचन शक्ति भी बहुत बडा देता है। इतना होने के बाद भी किसी सुजोक एवँ वेदोँ की देखरेख मेँ ही एसे पौष्टिक चूर्ण का सेवन करना चाहिए।
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