हिन्दू धर्म में पूजा एक रूढ़ि नही है अपितु वास्तव में आयुर्वेद का ही एक अंग है जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने का एक मूल मंत्र है ।बस अंतर है तो इतना कि यह नही कहा गया है कि आप यह काम अपने स्वास्थ्य के लाभ के लिए कर रहे हैं अपितु वहाँ इन सब क्रिया विधियों को भगवान के साथ जोड़कर जरुरी कर दिया गया है जिससे कोई भी व्यक्ति ना नुकुर न करके अपने जीवन में उसे आवश्यक तत्व की तरह जोड़ ले।
आज इसी प्रकार की एक रीति को लेकर हम बात कर रहे हैं।
तिलक जो हमारी पूजा पद्धति का एक आवश्यक कर्म है और उसके लिए इतना तक कहा गया है कि बिना तिलक धारण किए कोई पूजा सफ़ल नहीं मानी जाती। ब्राह्मणों के लिए तो तिलक धारण करना अनिवार्य है। बिना तिलक किए हुए ब्राह्मण का मुख देखना भी अशुभ माना गया है। शास्त्रों में तिलक धारण के करने के नियम व मंत्र बताए गए हैं।
हिन्दू सनातन धर्म है जिसमें प्राचीन काल से ही तिलक लगाने की परंपरा हमारे ऋषि मुनियों ने अनेकों शोधों के उपरांत समाज को प्रदान की है
लेकिन किस अंगुली से किसे तिलक किया जाना चाहिए? यह जानना बहुत आवश्यक है।
मानव शरीर में ऊर्जा के सात सूक्ष्म केन्द्र हैं जिन्हैं आयुर्वेद व आध्यात्म चक्र कहता है उन्हीं में से एक चक्र वह स्थान है जहाँ हम तिलक लगाते हैं और इसका नाम है आज्ञा चक्र जिसे कोई कोई परंपरा गुरु चक्र के नाम से भी जानती बोलती है। इसी के एक ओर अजिमा व दूसरी ओर वर्णा नाम की नाड़ी है भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह आज्ञाचक्र बृहस्पति का केन्द्र है इसे देव गुरु का प्रतिनिधि माना जाता है।इसी कारण से इस चक्र को गुरु चक्र भी कहा जाता है।
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* यदि आप किसी भी नए कार्य के लिए जाते समय काली हल्दी का टीका लगाकर जाना आपकी । यह टीका आपकी सफलता में मददगार साबित होगा। जो जातक तिलक के ऊपर चावल लगाता है लक्ष्मी उस जातक के आकर्षण में बंध जाती है और सदा उसके अंग-संग रहती हैं।
* प्रतिदिन जो जातक चंदन का तिलक लगाते हैं उनका घर-आंगन अन्न-धन से भरा रहता है।
आज इसी प्रकार की एक रीति को लेकर हम बात कर रहे हैं।
तिलक जो हमारी पूजा पद्धति का एक आवश्यक कर्म है और उसके लिए इतना तक कहा गया है कि बिना तिलक धारण किए कोई पूजा सफ़ल नहीं मानी जाती। ब्राह्मणों के लिए तो तिलक धारण करना अनिवार्य है। बिना तिलक किए हुए ब्राह्मण का मुख देखना भी अशुभ माना गया है। शास्त्रों में तिलक धारण के करने के नियम व मंत्र बताए गए हैं।
हिन्दू सनातन धर्म है जिसमें प्राचीन काल से ही तिलक लगाने की परंपरा हमारे ऋषि मुनियों ने अनेकों शोधों के उपरांत समाज को प्रदान की है
लेकिन किस अंगुली से किसे तिलक किया जाना चाहिए? यह जानना बहुत आवश्यक है।
मानव शरीर में ऊर्जा के सात सूक्ष्म केन्द्र हैं जिन्हैं आयुर्वेद व आध्यात्म चक्र कहता है उन्हीं में से एक चक्र वह स्थान है जहाँ हम तिलक लगाते हैं और इसका नाम है आज्ञा चक्र जिसे कोई कोई परंपरा गुरु चक्र के नाम से भी जानती बोलती है। इसी के एक ओर अजिमा व दूसरी ओर वर्णा नाम की नाड़ी है भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह आज्ञाचक्र बृहस्पति का केन्द्र है इसे देव गुरु का प्रतिनिधि माना जाता है।इसी कारण से इस चक्र को गुरु चक्र भी कहा जाता है।
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तिलक या टीका लगाने के लाभ ----
* हिन्दु धर्म में मस्तक अर्थात आज्ञा चक्र पर तिलक लगाने को शुभ और सात्विकता का प्रतीक माना जाता है। अतः किसी कार्य की सफलता प्राप्ति के लिए रोली, हल्दी, चन्दन या फिर कुमकुम का तिलक लगाने से कार्य की सफलता का प्रतिशत बढ़ जाता है।* यदि आप किसी भी नए कार्य के लिए जाते समय काली हल्दी का टीका लगाकर जाना आपकी । यह टीका आपकी सफलता में मददगार साबित होगा। जो जातक तिलक के ऊपर चावल लगाता है लक्ष्मी उस जातक के आकर्षण में बंध जाती है और सदा उसके अंग-संग रहती हैं।
* प्रतिदिन जो जातक चंदन का तिलक लगाते हैं उनका घर-आंगन अन्न-धन से भरा रहता है।
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तिलक किस अंगुली से लगाऐ----
- तर्जनी अंगुली (Index Finger)- पितृगणों को तिलक देते समय अर्थात पिण्ड को तिलक देते समय दाहिने हाथ की तर्जनी अंगुली का प्रयोग करें।
- मध्यमा अंगुली (Middle Finger) - दाहिने हाथ की अंगुली से स्वयं अपने तिलक लगाया जाता है।
- अनामिका अंगुली (Ring Finger) - दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली से भगवान व देवताओं को तिलक किया जाता है।
- अगूँठा (Thumb)- दाहिने हाथ के अँगूठे से अतिथियों को तिलक किया जाता है।
- प्रत्येक उंगली से तिलक लगाने का अपना-अपना महत्व है जैसे मोक्ष की इच्छा रखने वाले को अंगूठे से तिलक लगाना चाहिए
- शत्रु नाश करना चाहते हैं तो तर्जनी से,
- धनवान बनने की इच्छा है तो मध्यमा से और सुख-शान्ति चाहते हैं तो अनामिका से तिलक लगाएं।
- देवताओं को मध्यमा उंगली से तिलक लगाया जाता है।
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