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शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

मूडी व काल्पनिकता से परिपूर्ण होती है पद्मिनी व डाकिनी मिश्रित मुखाकृति वाली नारियाँ

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मानव के स्वभाव के बारे में बहुत कुछ भविष्यवाणी उसके चहरे हाथ पैरों की बनाबट हाथों व माथे पर की रेखाऔं के आधार पर की जा सकती है भारतीय पुरा विज्ञान का एक भाग तो इसी को समर्पित है।शायद सभी लोग जानते भी हैं कि आज भी भारतीय ज्योतिष का एक भाग हस्त रेखा विज्ञान है।आज भी कंजी आखों वाला व्यक्ति ,जिसकी छाती पर बाल न हो ऐसा व्यक्ति जो एक आँख का स्वामी हो एसे लोगो के बारे में लोगो को कहते सुना होगा।
इसी प्रकार भारतीय विज्ञान स्त्रियों को कई वर्गों मे विभाजित किया गया है इनमे से 5 निम्न हैं
1- पद्मिनी नारियाँ
2- चित्रणी नारियाँ
3- शंखिनी नारियाँ
4- हस्तिनी नारियाँ
5- डाकिनी नारियाँ
ऊँचे माथे तथा चिकने माथे पर दो बराबर लम्बाई की रेखा लिए नारियाँ भरपूर सामाजिक सम्मान प्राप्त करतीं है।ये रेखाऐं इन्हैं दुरदर्शी व कला पारखी के साथ ही साथ सुस्वादु भोजन का शौकीन भी बनाती हैं।अगर ये रेखाऐं अवतल अवस्था में हैं तब इन रेखाओं का प्रभाव नारी को वाकपटु बनाता है।वहीं अगर इनकी त्वचा का रंग गैहुआ तथा रेखाओं की लम्बाई मध्यम है तो महिला साफ साफ कहने वाली होगी।इसके दिल में कोई मैल नही होगा।ऐसी नारियों का प्रारम्भिक जीवन समस्या ग्रस्त हो सकता है किन्तु ये सब बाधाओं को पार करते  हुए विद्याअध्ययन की समस्त बाधाओं को पार कर लेती है।
            ऐसी महिलाओं के पुरुष मित्रों की संख्या ज्यादा हो सकती है क्योंकि यह आर्थिक पक्ष को ज्यादा ही महत्व देती हैं।इसके चहरे पर खाल से चिपके हुये सामान्य आकार के कटोरी नुमा कान इसे अस्थिर बुद्धि का स्वामी बनाते हैं।मैने जैसा कि पहले कहा है कि इनके पुरुष मित्रों की संख्या ज्यादा होती है अतः इसका दांम्पत्य जीवन सुखी नही रह पाता है। इस कारण से इसका जीविको पार्जन भी बड़ी ही परेशानियों से हो पाता है।
मूडी व काल्पनिक स्वभाव की होने के कारण तथा धन की ज्यादा चाह होने के कारण ये नारियाँ स्त्री समाज में भी उपहास का पात्र होती हैं।
जिन स्त्रियों कीआँखे बड़ी,नीचे की ओर झुकी तथा पूरी तरह न खुलने वाली होती है  वे बहुत ही परिश्रमी होती हैं।ये जल्दी ही भड़क उठने वाली तथा अपनी गलती तुरन्त ही न मानने वाली होती है।यह समस्याओं का हल कठिन परिश्रम से निकालने का प्रयास करती है तथा न्याय के प्रति अधिक दृण नही हो पाती हैं।अगर नारी की आँखे भूरी हैं तो यह नारी के स्वार्थी पन का द्योतक है।बात बात पर हठकरना इस के स्वभाव का लक्षण हैं।
त्वचा का साँवलापन ऐसी नारी के इस स्वभाव को औऱ तीव्र कर देती है।
                     ऐसे लक्षणों की नारी का स्वभाव बदले बाला होता है अतः परम मित्र भी इस प्रकार के शारीरिक लक्षण रखने बाली नारी से दोस्ती टूटने पर बदले से बच नही पाते हैं।
लंबी नाक वैसे भी चर्चा का मुद्दा रहती है।किन्तु पतली औऱ लम्बी  बीच में हड्डीयुक्त उभार लिए नाक स्त्री को संवेदन शील व कठोर स्वभाव की बनाती हैं।अपने सिद्धान्तों परचलने बाली ऐसी नारी अपनी गल्तियों को भी तर्क के आधार पर सही ठहरा देती है।।सवसे अच्छी बात यह है कि ये देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत होती हैं।                        
                         जिस स्त्री के नाक के नुथने आपस में चिपके प्रतीत होते दिखते है वह नारी आत्मविश्वास  से लवरेज रहती है।एसी नारियाँ बहुत बुद्धिमान होती हैं किन्तु शारीरिक श्रम के नाम पर दुर भागतीं हैं।ये स्वच्छन्द प्रकृति की नारियाँ होती हैं लैकिन योजना बनाकर उस पर अमल करने की इनकी गजब की दक्षता होती है।वहीं गोरी त्वचा व मोटे होठों वाली एसी नारियों को सांसारिक सुखों की कभी कमी नही होती है।और जिनका निचला ओठ हल्का सा लटका सा प्रतीत होता है वे विनोदी स्वभाव की होती हैं।एसी नारियों का वयालीसवाँ वर्ष असाधारण उन्नति वाला होता है ये नारियाँ अपने कार्यों के प्रति बहुत सजग रहती हैं।लम्बी सुराहीदार गर्दन वाली नारियाँ अति संवेदनशील,अशांत व क्रोधी स्वभाव की होती हैं।

नाक के नुथने आपस में प्रतीत होने वाली नारी आत्मविस्वास से लवरेज रहती है।एसी
नोट-यह लेख15 जून  सन 2007 में अमर उजाला के रुपायन संस्करण में डा. सुनील डिमरी जी के नाम से छपा था।जिसे मैने अपने पाठकों के ज्ञान वर्धन को यहाँ चस्पा कर दिया है।
                                           अमर उजाला व डा.डिमरी जी का आभार व्यक्त करते हुऐ लाइट आफ आयुर्वेद

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