संस्कृत में पाताल गारुणी नाम वाली यह बूटी
छिरेंहटा,छिलहिण्ड,सोमवल्ली, सौपर्णी, दीर्घबल्ली, आदि के नाम से भी जानी जाती
है।इसके औषधीय गुण “छिलिहिण्डः परंवृष्य कफघ्नः पवनाह्वयः” अर्थात
अतयन्त वृष्य (वीर्यवर्धक), कफनाशक, तथा वातनाशक होने के कारण आयुर्वेद में इसका
अत्यन्त अनुकूल गुण प्रभाव माना गया है।राजनिघण्टु व भाव प्रकाश निघण्टु के
अनुसार यह वीर्यवर्धक,मधुर,
पित्तनाशक,रुचिकारक,पित्तदोष,दाह तथा रक्तविकार और विषाद की विनाशक औषधि
है।क्योंकि यह प्रमुख रुप से वात- कफ नाशक है अतः अनेक प्रकार के वात विकारों मे
प्रयोग की जाती है।
पाताल गारुणी चूंकि एक विषेश प्रकार की वेल
है,जिसके पत्ते कुछ कुछ शीशम के जैसे होते हैं।नागिन के समान बलखाती हुयी सोमवल्ली
या छिरेंहटा की बेल अनेकों उपवनों बाग व बगीचों में पायी जाती है।
सटीक-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय ।।