हिन्दी में इसका
नाम गर्भाशय दुष्क्रिया रक्तस्राव कहा जाता है अर्थात जब गर्भाशय से अनियमित
अंतराल से अत्यधिक स्राव आता है। इसे सॉर्ट में डी.यू.बी. भी कहा जाता है। इस रोग
का सामान्य कारण हार्मोन्स का असंन्तुलन है।फाइब्रोइड,संक्रमण,शीघ्र
गर्भपात,पैल्विक कैविटि में बृद्धि या हाइपोथायराइडिज्म,जिसमें थायरायड ग्लेंण्ड
काम करना कम कर देती है।
रोग के निदान के लिए निम्न
कारणों को ध्यान देकर नोट करें
v रक्त स्राव कब से हो रहा है व कितना होता है इसका इतिहास
नोट करें।
v रक्तस्राव में पीड़ा तथा इसका पिछली महावारी से संबंध।
v जननांगों के अन्य रोग क्या-क्या हैं।
v कौन कौन सी औषधियाँ या घरेलू दवाऐं आप प्रयोग कर चुकी हैं।व
किन उपायों को कर चुकी हैं।
यदि आपने इन सब बातों को
नोट किया हुआ है तो डाक्टर को रोग को समझने व इलाज करने में आसानी होगी।कई बार
डाक्टर को रोग जानने के लिए कई प्रकार के परीक्षण भी कराने होते हैं जिनसे डाक्टर
फाइब्रोड्स या अन्य गाँठों का पता कर पाता है।
रोग की जानकारी के लिए कराए
जाने वाले टेस्ट्स------
- दैनिक रक्त काउंट,हीमोग्लोविन तथा प्लेटलेट्स काउंट।
- थाइराइड क्रियाओं की जाँच
- फाइब्रोइड को नियंत्रित करने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी
- कैंसर के शक को मिटाने के लिए बायोप्सी
- चिकित्सा व रक्तस्राव नियंत्रण के लिए डी.एंड सी.
अधिकतर मामलों में यह रोग
हार्मोन्स के असंतुलन से होता है इसलिए इस रोग के इलाज के लिए हार्मोन्स की
चिकित्सा करनी काफी है।लैकिन कभी कभी जब इस प्रकार के इलाज से फायदा नही होता तब
महिला को 2-3 माहवारियों से ज्यादा इंतजार नही करना चाहिये और अनियमितता के लिए
डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिये।
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