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रविवार, 27 मार्च 2022

लिकोरिया लाल व सफेद पानी सहित सभी स्त्री रोगों की चमत्कारी दवा है पुष्यानुग चूर्ण - होम रेमेडीज

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प्रदर,पेचिस, खूनी दस्त, खूनी व बादी की बवासीर के साथ ही सभी स्त्री रोगों की चमत्कारी दवा है पुष्यानुग चूर्ण

प्रदर,पेचिस, खूनी दस्त, खूनी व बादी की बवासीर के साथ ही सभी स्त्री रोगों की चमत्कारी दवा है पुष्यानुग चूर्ण- होम रेमेडीज

पुष्यानुग चूर्ण के आयुर्वेदिक उपयोग ----

पुष्यानुग चूर्ण स्त्री महिलाओं के रोगों में रामवाण आयुर्वेद की महान औषधि है। इसके सेवन से योनिरोग, योनि में जलन, योनि के घाव, सभी प्रकार के प्रदर रोग, बादी व खूनी बबासीर,खूनी पेचिस, आंव खून के दस्त, कृमि आदि रोग नष्ट होते हैं। यह आयुर्वेदिक औषधि कम उम्र में महिलाओं के अधिक सहवास,गर्भधारण, गुप्तांग की साफ सफाई न रखने, गर्भकाल या प्रसव के बाद ठीक से उपचार या देखभाल न रखने, खट्टे बासी पदार्थों के सेवन,  दोष पूर्ण आहार विहार इत्यादि से स्त्रियों के गुप्तांगों में विकृति हो जाती है जिसके कारण विभिन्न प्रकार के योनिरोग पैदा हो जाते हैं। जैसे गर्भाशय का फूल जाना, अनीयमित और अनुचित रक्त स्राव होना या श्वेत स्राव होना, गर्भाशय का फट जाना या गर्भाशय भ्रंश होना इत्यादि,  इन सभी व्याधियो विशेष कर प्रदर को नष्ट करने के लिये पुष्यानुग चूर्ण अत्यंत गुणकारी आयुर्वेदिक औषधि है। 

यह जब नागकेशर नामक आयुर्वेदिक औषधि के संयोग से बनाया जाता है तो पुष्यानुग चूर्ण नागकेशर या पुष्यानुग चूर्ण न. 2  के नाम से जाना जाता है।यह बाजार में बना बनाया अनेकों फार्मेसियों द्वारा निर्मित होता है।

 बाजार में मिलती है। 

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  नागकेशर एक आयुर्वेदिक वनस्पति नागचम्पा के फूलों से प्राप्त होती है। यह स्वयं रक्तस्राव, योनिस्राव, खूनी दस्त, या खूनी बबासीर में होने वाले रक्तस्राव को रोकने के काम में आने वाली आयुर्वेदिक औषधि है। जो पुष्यानुग चूर्ण का खास घटक है। कोई कोई वेद्य नागकेशर के स्थान पर केशर मिलाते हैं और इस केशर युक्त पुष्यानुग चूर्ण को पुष्यानुग चूर्ण नम्बर 1 कहते हैं जबकि नागकेसर युक्त चूर्ण पुष्यानुग चूर्ण नम्बर 2 कहलाता है आज हम यहाँ पुष्यानुग चूर्ण नम्बर 2 की ही बात कर रहे हैं। 

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 पुष्यानुग चूर्ण नम्बर 2 बनाने के लिए आवश्यक सामिग्री-- 

नागकेसर , पाठा, जामुन की गुठली की गिरी, आम की गुठली की गिरी, पाषाण भेद, रसोंत, अम्बष्ठा,मोचरस, मंजिष्ठ, कमलकेसर, अतीस, नागरमोथा, बेल की गिरी, लोघ्र, गेरु, कायफल, काली मिर्च, सौंठ, मुनक्का, लाल चन्दन, सोनापाठा या अरलू की छाल, इन्द्रजौ, अनन्तमूल, धाय के फूल, मुलेठी और अर्जुन की छाल।

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पुष्यानुग चूर्ण बनाने की विधि- 

सब द्रव्यों को समान बजन में ले कर कूट पीस कर महीन बारीक 3 बर कपड़छन चूर्ण करके मिला लें ताकि सभी द्रव्य मिलकर एक जान हो जाऐ। 

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पुष्यानुग चूर्ण का सेवन करने की विधि-

पुष्यानुग चूर्ण 2-3 ग्राम मात्रा में शहद में मिला कर चाट लें और ऊपर से चावल के धोवन का पानी एक कप पी लें। 

स्त्रियों के अनेकों रोगो की जड़ उनके गुह्य स्थान में मिलती है अर्थात स्त्रियों के अनेक रोगों का निवास उनके गुप्तांगों से जुड़ा रहता है। किसी किसी स्त्री का तो गर्भाशय बाहर निकल जाने की समस्या भी देखने में आती है एसी अवस्था में तथा योनि से किसी भी प्रकार का स्राव होने में यह पुष्यानुग चूर्ण रामवाण औषधि है। सभी प्रकार के प्रदर रोगों की यह बहुत ही लाभकारी व प्रसिद्ध औषधि है और खास बात यह है कि बाजार में यह अनेकों फार्मेसियों द्वारा निर्मित मिल जाता है जिसके कारण आपको किसी प्रकार का खटराग करने की आवश्यकता नही है। लिकोरिया स्त्रियों का ऐसा रोग है जिससे ज्यादातर स्त्रियाँ दुखी रहती है। और अनेकों स्त्रियों की कमजोरी का प्रमुख कारण यही है।  

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