वैजाइनल इंफेक्शन, योनि की खुजली , योनि कण्डु अथवा योनि प्रदाह का कारण व आयुर्वेदिक घरेलू उपचार
Vaginal Infection, Vaginal Itching, Vaginal Hormonitis or Vaginal
योनि में खुजली या योनि में इन्फेक्सन के घरेलू उपचार में आने वाली आयुर्वेदिक औषधियाँँ |
योनि के इन्फेक्सन का रोग है ।लैकिन जानना जरुरी है कि इसका कारण क्या है। खुजली जैसा कि इसका नाम है तो सभी जानते हैं कि यह इन्फेक्सन या संक्रमण से पैदा होती है औऱ इस इन्फैक्सन की जड़ है गंदगी , यानि सफाई न करना। आप देखते है कि अगर आप रोज ही अपने शरीर के बाहरी हिस्से की सफाई नही करते तो भी आपके खुजली होने लगती है । फिर इस बेहद संवेदनशील , नाजुक अंग का तो कहना ही क्या, सभी जानते हैं कि यहाँ गंदगी रहती ही है और यह बेहद ही नाजुक अंग होता है अतः यहाँ बैक्टेरिया और फंगस आसानी से पनप जाते हैं। अतः अगर यहाँ की पर्याप्त रुप से सफाई न की जाये तो योनि की खुजली होने का डर बना ही रहता है इसे ही वैजाइनल इन्फेक्सन व योनि कण्डू भी कहा जाता है।
अतः योनि व इसके आस पास की सफाई बहुत ही जरुरी कार्य है । शुरुआत में सफाई न होने से योनि में खुजली या खारिस होती है और यही जल्दी ही बहुत से रोगों में भी तब्दीव हो सकती है। ये रोग फिरंग,पूयमेह,या उपदंश, आदि यौन रोग हो सकते हैं पहले तो सफाई न होने से रक्त विकार खुजली के रुप में ही दिखाई देते हैं लेकिन ध्यान न देने पर ये ही आगे बड़े यौन रोग बन जाते हैं। यह रोग जितना सुनने में घृणास्पद लगता है उससे भी ज्यादा रोगी खुजलाता हुआ बुरा लगता है। कोई स्त्री या पुरुष यदि गुप्तागों को सामाजिक परिवेश में खुजा रहा होता है तो वह साधारणतया हँसी का पात्र बन जाता है।
सफाई के अलाबा और भी कई खुजली के कारण हैं जिनमे कब्ज बनी रहना तथा पुरुष साथी को कोई गुप्त रोग जैसे उपदंश, फिरंग,या फिर उसके गुप्तांग में संक्रमण का होना आदि और एसे पुरुष से संसर्ग करना भी स्त्री के लिए योनि की खुजली का कारण हो सकता है।
प्रभु ने हमें शरीर रुपी एसी नैमत दी है कि सामान्य संक्रमणों को तो यह टाल ही देता है किन्तु कभी कभी बात हद से बढ़ जाती है और हम अपने शरीर का ख्याल ही नही रखते तब यह शरीर भी संक्रमित हो जाता है।
योनि में फफूँद,बैक्टीरिया आदि के संक्रमण से योनि की दीबारों से एक प्रकार का एक द्रव या स्राव निकलता है जो लैक्टिक अम्ल मे परिवर्तित होकर योनि को संक्रमण से बचाता है।परन्तु जब इन बैक्टीरियाओं की संख्या ज्यादा हो जाती है तो यह स्राव भी इनसे लड़ते -2 समाप्त हो जाता है फलस्वरुप बैक्टीरिया या फफूँद का प्रकोप बढ़ जाता है। क्योंकि योनि गीली तथा गर्म रहती ही है अतः यहाँ गीलेपन व गर्मी के कारण बैक्टीरिया व फंगस को अपने रहने लायक माहौल मिल जाता है और इसके परिणामस्वरुप जलन शुरु हो जाती है और जलन को खुजाने के कारण जख्म पैदा हो जाते हैं।
इस रोग में योनि मार्ग में लाल दाने या जलन हो सकती है।वैसे यह रोग आमतौर पर ज्यादातर स्त्रियों को अपने गुप्तांग की समुचित सफाई न रखने से ही होता है।
अतः योनि व इसके आस पास की सफाई बहुत ही जरुरी कार्य है । शुरुआत में सफाई न होने से योनि में खुजली या खारिस होती है और यही जल्दी ही बहुत से रोगों में भी तब्दीव हो सकती है। ये रोग फिरंग,पूयमेह,या उपदंश, आदि यौन रोग हो सकते हैं पहले तो सफाई न होने से रक्त विकार खुजली के रुप में ही दिखाई देते हैं लेकिन ध्यान न देने पर ये ही आगे बड़े यौन रोग बन जाते हैं। यह रोग जितना सुनने में घृणास्पद लगता है उससे भी ज्यादा रोगी खुजलाता हुआ बुरा लगता है। कोई स्त्री या पुरुष यदि गुप्तागों को सामाजिक परिवेश में खुजा रहा होता है तो वह साधारणतया हँसी का पात्र बन जाता है।
प्रभु ने हमें शरीर रुपी एसी नैमत दी है कि सामान्य संक्रमणों को तो यह टाल ही देता है किन्तु कभी कभी बात हद से बढ़ जाती है और हम अपने शरीर का ख्याल ही नही रखते तब यह शरीर भी संक्रमित हो जाता है।
वैजाइनल इंफेक्शन, योनि की खुजली , योनि कण्डु ,Yoni itching के लक्षण :
- गुप्तांग में जलन
- गुप्तांग में खारिश, लालिमा
- गुप्तांग से मछली की बदबू आना
- गुप्तांग में जलन
- गुप्तांग में खारिश, लालिमा
- गुप्तांग से मछली की बदबू आना
योनि या गुप्तांग की बदबू से बचने के घरेलू उपाय :
भग या योनि की खुजली का उपचार- आयुर्वेदिक चिकित्सा
1- खूब पानी पियें - प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी पीकर हम गुप्तांगो में बदबू से निजात पा सकते हैं । पानी शरीर से प्राकृतिक रूप से नुकसानदेह विषपदार्थों और जीवाणुओं को हटाने के साथ-साथ उपापचयी सक्रियता बढ़ाता है। पानी शरीर से अतिरिक्त शर्करा को भी हटाता है क्योंकि शर्करा गुप्तांगो में बदबू का प्रमुख कारण माना जाता है।
2- दही - दही में लैक्टोबेसिलस की मात्रा अधिक होती है जिसे खाकर हम गुप्तांगो के पीएच (अम्लियता) को सन्तुलित रख सकते हैं। आप गुप्तांगो में दही को लगा भी सकती हैं। रूई का फाहा लेकर उसे पानी से पतले किये हुये दही में फूल जाने दें। फिर इस फाहे को गुप्तागों में 5 मिनट के लिये रखें। इसके बाद गुप्तांगों को ठंडे पानी से भलीभाँति धो लें।
3- चाय के पेड़ का तेल - चाय के पेड़ का तेल गुप्तांगो की बदबू दूर करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। यह एक बेहतरीन प्रतिकवक और प्रतिजीवाणु के रूप में प्राकृतिक उपचार है। इसे दो चम्मच लेकर पानी मिलाकर पतला कर ले। अब इसमें रूई के फाहे को भिगोकर कुछ मिनटों के लिये गुप्तांगों में रखें। यह प्रकिया नहाने से एक घण्टा पहले और हफ्ते भर दैनिक रूप से करें। यह गुप्तांगो में बदबू से निजात पाने की अच्छी बूटी है।
योनि की खुजली व वैजाइनल इंफेक्सन्स को जड़ से खत्म करता है
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4- मेथी - दो चम्मच मेथी के बीज, एक गिलास पानी में रात भर के लिये भिगो दें। अगली सुबह उठने के बाद नाश्ते से पहले छानकर पानी को पी लें। इस उपचार को दो हफ्ते के लिये दोहरायें। मेथी गुप्तांगो में बदबू से निजात पाने की सबसे अच्छी बूटियों में से एक है। अगर नियमित रूप से सेवन किया जाये, तो यह महिलाओं में हार्मोन स्तर को सुधारने के साथ-साथ मासिक चक्र को नियमित करने में भी सहायक है।
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5- लहसुन - लहसुन का ताजा लेप बनाकर गुप्तांगों की दीवारों पर लगायें। 8 से 10 मिंनट के लिये लगा रहने दें। इसके बाद नहा लें। लहसुन एक प्रभावशाली प्रतिकवक और प्रतिजीवाणु कारक है जो कि गुप्तांगो में बदबू उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं से लड़ने में सहायक है।
6- नीम का पानी - गुप्तांगो में बदबू से निपटने के लिये नीम सर्वश्रेष्ठ उपायों में से एक है। कुछ नीम की पत्तियाँ पानी में उबाल लें। ठंडा होने के बाद इस पानी से गुप्तांगों को धुल लें। आप नीम के तेल का भी प्रयोग कर सकती हैं।
7- सफेद सिरका - गुनगुने पानी वाले बाथ टब में आधा कप सफेद सिरका तथा थोड़ा सा नमक डालें। इसमें अपने गुप्तांगों को भिगो दें। सफेद सिरका गुप्तांगो में बदबू की समस्या से काफी हद तक राहत देता है क्योंकि यह गुप्तांगों के पीएच (अम्लियता) को संतुलित करता है।
8 सेब का सिरका - सेब के सिरके में प्रतिजीवाणु के अच्छे गुण होते हैं इसलिये यह गुप्तांगो से बदबू हटाने का प्रभावशाली घरेलू उपचार है। गुनगुने पानी वाले बाथ टब में सेब के सिरका डाल कर अपने आप को भिगोयें। सेब का सिरका गुप्तांगों की अम्लीय प्रकृति को वापस लाता है जिससे बदबू दूर हो जाती है।
9- इत्र - अगर आप गुप्तांगो की बदबू से ग्रसित हैं तो घुटनों से लेकर अन्दर की ओर की जाँधों तक इत्र का छिड़काव करें जिससे अच्छी महक बनी रहे। इत्र से बदबू कम करने में काफी हद तक सहायता मिलती है।
10- आँवला - गुप्तांगो से बदबू से निजात पाने के लिये आप आँवले को कच्चा या फिर अचार के रूप में ले सकती हैं। आँवला प्राकृतिक रूप से रक्तशोधक है और यह गुप्तांगो में बदबू फैलाने वाले रोग ल्यूकोरिया को भी होने से रोकता है।
यदि आप गुप्तांग की समुचित और उपयुक्त देखभाल चाहती हैं - तो इसके लिए pH बैलेंस्ड उत्पाद ही श्रेष्ठकर होगा - जो गुप्तांग की सफाई के साथ साथ गुप्तांग का ध्यान भी रखता है - हालांकि साबुन से भी सफाई की जाती है मगर साबुन अल्कली बेस के कारण सम्बंधित जगह से pH बैलेंस बिगाड़ देता है जिससे नतीजे और भी भयावह हो सकते हैं।
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यदि आप गुप्तांग की समुचित और उपयुक्त देखभाल चाहती हैं - तो इसके लिए pH बैलेंस्ड उत्पाद ही श्रेष्ठकर होगा - जो गुप्तांग की सफाई के साथ साथ गुप्तांग का ध्यान भी रखता है - हालांकि साबुन से भी सफाई की जाती है मगर साबुन अल्कली बेस के कारण सम्बंधित जगह से pH बैलेंस बिगाड़ देता है जिससे नतीजे और भी भयावह हो सकते हैं।
br />योनि की खुुजली या योनि कण्डू की आयुर्वेदिक चिकित्सा-----
(1) नीम, हरड़, बहेड़ा, आँवला और जमाल घोटा की जड़ 100-100 ग्राम लेकर जौकुट कर लें और बर्नी में भरकर रख लें। एक गिलास पानी में चार चम्मच जौकुट चूर्ण डालकर उबालें। जब पानी एक कप बचे, तब उतारकर कपड़े से छान लें। इस पानी से योनि को धोएँ या इस पानी में कपड़ा या साफ रूई भिगोकर योनि में रखकर 1-2 घण्टे लेटे रहें तो भी लाभ होता है। यह प्रयोग रात को सोते समय भी कर सकते हैं। प्रसिद्ध आयुर्वेदिक 'धातक्यादि तेल' का फाहा सोते समय योनि में रखने से शीघ्र लाभ होता है।
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(2) सरसों के तेल में नमक मिलाकर योनि के खुजली वाले स्थान पर लगाएँ व कुछ समय बाद धो दें।
(3) आमलकी रसायन, शकर 50-50 ग्राम और गिलोय सत्व 25 ग्राम तीनों को मिलाकर बारीक पीस लें और महीन चूर्ण करके शीशी में भर लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच दिन में तीन बार पानी के साथ लें। सुबह-शाम चन्दनादि वटी की 2-2 गोली पानी के साथ लें और रात को सोते समय धातक्यादि तेल का रूई का फाहा योनि में रखें।
(4) रात को एक कप कुनकुने दूध में 2 चम्मच केस्टर ऑइल डालकर तीन दिन तक पिएं। तीन दिन बाद शिलाजत्वादि वटी और चन्द्रप्रभा वटी नं.-1 दो-दो गोली सुबह-शाम दूध के साथ लें व 'धातक्यादि तेल' का फाहा योनि में रखे। इसके बाद सुबह त्रिफला चूर्ण 20 ग्राम को पानी में उबलकर ठंडा करें, उसमें शहद मिलाकर योनि प्रदेश की सफाई करें, फिर स्नान करते समय पानी से धोएं।
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(3) आमलकी रसायन, शकर 50-50 ग्राम और गिलोय सत्व 25 ग्राम तीनों को मिलाकर बारीक पीस लें और महीन चूर्ण करके शीशी में भर लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच दिन में तीन बार पानी के साथ लें। सुबह-शाम चन्दनादि वटी की 2-2 गोली पानी के साथ लें और रात को सोते समय धातक्यादि तेल का रूई का फाहा योनि में रखें।
(4) रात को एक कप कुनकुने दूध में 2 चम्मच केस्टर ऑइल डालकर तीन दिन तक पिएं। तीन दिन बाद शिलाजत्वादि वटी और चन्द्रप्रभा वटी नं.-1 दो-दो गोली सुबह-शाम दूध के साथ लें व 'धातक्यादि तेल' का फाहा योनि में रखे। इसके बाद सुबह त्रिफला चूर्ण 20 ग्राम को पानी में उबलकर ठंडा करें, उसमें शहद मिलाकर योनि प्रदेश की सफाई करें, फिर स्नान करते समय पानी से धोएं।
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