शरीर में सूजन एक ऐसा रोग है जिसका कभी न कभी हर किसी को करना पड़ जाता है। स्थिति अधिक गंभीर होने पर इससे असहजता होती है, दर्द होता है और कई बार शर्मिंदगी भी। बहुत अधिक नमक के सेवन के अलावा शरीर में पोटैशियम की कमी सूजन की वजह हो सकते हैं।
एक ही रुटीन होने के बावजूद रातों-रात ऐसा क्या हो जाता है कि हमारे शरीर में सूजन आ जाती है। रोजाना जिस जीन्स को आप बड़ी बेफिक्री से पहन कर चल पड़ते हैं, उसका बटन तक बंद नहीं हो पाता। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को ओडिमा (आसान शब्दों में सूजन) कहते हैं। शरीर में पानी की अधिकता होना या यूं कह लें कि जब पर्याप्त मात्रा में पानी शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, तभी ऐसी स्थिति बनती है। आज कम से कम 20 से 30 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं।
और इस बीमारी में कभी पूरा शरीर तो कभी सिर्फ कुछ अंगों जैसे कोहनी या चेहरे आदि में सूजन आ जाती है। अधिकांश मामलों में यह स्थाई तौर पर नहीं रहती। कुछ घंटों या दिनों के बाद सूजन खत्म हो जाती है।
वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. अरविंद अग्रवाल के अनुसार, ‘अस्थाई ओडिमा से सेहत को नुकसान नहीं होता, पर पेट या शरीर के किसी भी अंग में एक सप्ताह से ज्यादा सूजन रहने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में वसा का अनुपात ज्यादा होता है और वसा कोशिकाएं अतिरिक्त पानी संचित कर लेती हैं।’
क्यों होता है ऐसा?
इसके कई कारण हो सकते हैं। दिल से संबंधित बीमारियों, किडनी की समस्या, असंतुलित हार्मोन और स्टेरॉयड दवाओं के सेवन की वजह से ऐसा हो सकता है। दरअसल इन सभी स्थितियों में हमारी किडनी सोडियम को संचित कर लेती है। हालांकि कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के एक सप्ताह पहले भी कुछ ऐसे ही लक्षण नजर आते हैं। इस दौरान ओइस्ट्रोजेन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से किडनी ज्यादा पानी रोकना शुरू कर देती है। हमारा भोजन और जीवनचर्या भी ओडिमा की वजह बन सकते हैं।
पानी की कमी न हो
ऐसी स्थिति में लोग कई बार कम पानी पीने की गलती कर बैठते हैं। कम पानी पीकर ओडिमा को ठीक नहीं किया जा सकता। सच यह है कि डीहाइड्रेशन होने पर शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। ओडिमा बीमारी में शराब और कैफीनयुक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। कैफीन और शराब पानी अवशोषण की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
मूत्रवर्धक औषधियां
ड्यूरेटिक्स ऐसी औषधि को कहा जाता है, जिसके सेवन से मूत्र का प्रवाह बढ़ जाता है। शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर निकालने के लिए डॉक्टर कई बार इसकी सलाह देते हैं, लेकिन किसी भी हालत में इसका इस्तेमाल वजन कम करने वाली दवाओं के विकल्प के तौर पर नहीं करना चाहिए। प्राकृतिक उपायों को अपनाना बेहतर होगा। हर्बल चाय पिएं, अजवायन की चाय सबसे अच्छी मानी जाती है। दिन में तीन कप तक पी सकते हैं। खान-पान में भी बदलाव कर सकते हैं। गाजर, प्याज, शतावरी, टमाटर और ककड़ी इसमें कारगर रहेंगे।
ज्यादा नमक
शरीर की जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन भी पानी के अवशोषण की समस्या को बढ़ा सकता है। हमारे शरीर में तरल पदार्थों को संतुलित रखने में दो खनिजों सोडियम और पोटैशियम की अहम भूमिका होती है। पर दुर्भाग्य से हम सोडियम की मात्रा तो जरूरत से ज्यादा लेते हैं, पर पोटैशियम की मात्रा का सेवन कम करते हैं। इसकी वजह से रक्तचाप बढ़ जाता है। यह पानी को शरीर में रोके रखने के लिए भी जिम्मेदार है। यही वजह है कि रात में नमक वाले पॉपकॉर्न खाने के बाद सुबह आंखें सूजी रहती हैं। हालांकि डाइट से पूरी तरह नमक गायब करना भी सूजन की वजह बन सकता है। कुल-मिला कर ज्यादा नमकयुक्त चीजें खाने से बचें। पूरे दिन में सिर्फ 2400 मिलीग्राम नमक का ही सेवन करें।
वजन घटाएं
यदि आप मोटापे के शिकार हैं तो थोड़ा वजन घटाएं। मोटापे की शिकार महिलाओं में ओइस्ट्रोजेन का स्तर ज्यादा होता है, क्योंकि शरीर में जमी वसा ओइस्ट्रोजेन का स्राव करने लगती है। ऐसी महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा होता है। ज्यादा वजन वाले लोगों को खूब सारा पानी पीना चाहिए और कम से कम नमक खाना चाहिए। एक कैलोरी चार्ट बनाएं और उसके आधार पर अपने खान-पान की सूची तैयार करें। रोगमुक्त रहना है तो वजन कम करें।
सावधानी बरतें
शरीर का फूलना या पानी का अवशोषण किसी गंभीर बीमारी की शुरुआत हो सकती है। किडनी, फेफड़ों, लिवर से संबंधित बीमारियां जैसे कि सिरोसिस, थकान, अर्थराइटिस आदि रोगों के लक्षण के रूप में भी सूजन हो सकती है। ऐसे में लंबे समय की सूजन को नजरअंदाज न करके चिकित्सक से संपर्क करें।
प्रस्तुति: जय कुमार सिंह
तनाव कम लें
कभी तनाव की वजह से भी शरीर में सूजन आने लगती है। तनाव के दौरान हमारा दिमाग शरीर की पाचन क्रिया को रोक देता है। चीजें सामान्य होने तक पाचन क्रिया रुकी रहती है। ऐसी स्थिति में तनाव वाले हार्मोन पेट तक जाने वाले रक्त प्रवाह को भी कम कर देते हैं। इसकी वजह से पेट में सूजन महसूस होने लगती है। योग करें, ध्यान लगाएं, व्यायाम करें। जरूरत पड़े तो किसी विशेषज्ञ से मिलें। जहां तक संभव हो, खुद को तनावजनक परिस्थितियों से बाहर निकालने का प्रयास करें।
कसरत करें
कुछ याद है आपको कि आपने पिछली बार पसीना कब बहाया था? नहीं न! रोजाना कसरत करने की आदत विकसित करें। यह आपके शरीर के अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने में मददगार होगी। पसीने के रूप में शरीर का अतिरिक्त पानी निकल जाता है। त्वचा भी अच्छी रहती है। घूमना, टहलना, तैराकी या नृत्य, अपनी सुविधानुसार आप किसी भी व्यायाम का चुनाव कर सकते हैं।
पोटैशियम है जरूरी
शरीर की नसों, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों के कामकाज को नियंत्रित करने में सोडियम के साथ-साथ पोटैशियम का भी योगदान होता है। यह कोशिकाओं से पानी निकालने के अलावा शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने का भी काम करता है। यही वजह है कि डॉक्टर सोडियम के साथ पोटैशियम की उपयोगिता को भी बताते हैं और ऐसी चीजें खाने की सलाह देते हैं, जिनमें पोटैशियम का स्तर ऊंचा हो।
पोटैशियम के साथ-साथ विटामिंस की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने में विटामिन बी-6 सहायता करता है। ब्राउन राइस व रेड मीट विटामिन बी-6 के अच्छे स्रोत हैं।
विटामिन बी-5, कैल्शियम और विटामिन डी शरीर से अतिरिक्त पानी को बाहर करने में मदद करते हैं। विटामिन डी के लिए नियमित धूप का सेवन करें।
1. पोटैशियम के लिए रोजाना कम से कम पांच फल और सब्जियों का सेवन जरूर करें। अखरोट, बादाम, मूंगफली आदि पोटैशियम के अच्छे स्रोत हैं।
2. मैग्नीशियम के लिए बादाम, गेहूं, हरी सब्जियां, आलू, सेब, जामुन, फालसा, आम, आलू बुखारा आंवला, अमरूद और केला खाएं।
3. खाने में कैल्शियम के स्तर की भी जांच करें। रोजाना टोंड दूध पिएं। दही, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां और अंजीर खाएं।
एक ही रुटीन होने के बावजूद रातों-रात ऐसा क्या हो जाता है कि हमारे शरीर में सूजन आ जाती है। रोजाना जिस जीन्स को आप बड़ी बेफिक्री से पहन कर चल पड़ते हैं, उसका बटन तक बंद नहीं हो पाता। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को ओडिमा (आसान शब्दों में सूजन) कहते हैं। शरीर में पानी की अधिकता होना या यूं कह लें कि जब पर्याप्त मात्रा में पानी शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, तभी ऐसी स्थिति बनती है। आज कम से कम 20 से 30 फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं।
और इस बीमारी में कभी पूरा शरीर तो कभी सिर्फ कुछ अंगों जैसे कोहनी या चेहरे आदि में सूजन आ जाती है। अधिकांश मामलों में यह स्थाई तौर पर नहीं रहती। कुछ घंटों या दिनों के बाद सूजन खत्म हो जाती है।
वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. अरविंद अग्रवाल के अनुसार, ‘अस्थाई ओडिमा से सेहत को नुकसान नहीं होता, पर पेट या शरीर के किसी भी अंग में एक सप्ताह से ज्यादा सूजन रहने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी हो जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में वसा का अनुपात ज्यादा होता है और वसा कोशिकाएं अतिरिक्त पानी संचित कर लेती हैं।’
क्यों होता है ऐसा?
इसके कई कारण हो सकते हैं। दिल से संबंधित बीमारियों, किडनी की समस्या, असंतुलित हार्मोन और स्टेरॉयड दवाओं के सेवन की वजह से ऐसा हो सकता है। दरअसल इन सभी स्थितियों में हमारी किडनी सोडियम को संचित कर लेती है। हालांकि कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के एक सप्ताह पहले भी कुछ ऐसे ही लक्षण नजर आते हैं। इस दौरान ओइस्ट्रोजेन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से किडनी ज्यादा पानी रोकना शुरू कर देती है। हमारा भोजन और जीवनचर्या भी ओडिमा की वजह बन सकते हैं।
पानी की कमी न हो
ऐसी स्थिति में लोग कई बार कम पानी पीने की गलती कर बैठते हैं। कम पानी पीकर ओडिमा को ठीक नहीं किया जा सकता। सच यह है कि डीहाइड्रेशन होने पर शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। ओडिमा बीमारी में शराब और कैफीनयुक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। कैफीन और शराब पानी अवशोषण की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
मूत्रवर्धक औषधियां
ड्यूरेटिक्स ऐसी औषधि को कहा जाता है, जिसके सेवन से मूत्र का प्रवाह बढ़ जाता है। शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर निकालने के लिए डॉक्टर कई बार इसकी सलाह देते हैं, लेकिन किसी भी हालत में इसका इस्तेमाल वजन कम करने वाली दवाओं के विकल्प के तौर पर नहीं करना चाहिए। प्राकृतिक उपायों को अपनाना बेहतर होगा। हर्बल चाय पिएं, अजवायन की चाय सबसे अच्छी मानी जाती है। दिन में तीन कप तक पी सकते हैं। खान-पान में भी बदलाव कर सकते हैं। गाजर, प्याज, शतावरी, टमाटर और ककड़ी इसमें कारगर रहेंगे।
ज्यादा नमक
शरीर की जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन भी पानी के अवशोषण की समस्या को बढ़ा सकता है। हमारे शरीर में तरल पदार्थों को संतुलित रखने में दो खनिजों सोडियम और पोटैशियम की अहम भूमिका होती है। पर दुर्भाग्य से हम सोडियम की मात्रा तो जरूरत से ज्यादा लेते हैं, पर पोटैशियम की मात्रा का सेवन कम करते हैं। इसकी वजह से रक्तचाप बढ़ जाता है। यह पानी को शरीर में रोके रखने के लिए भी जिम्मेदार है। यही वजह है कि रात में नमक वाले पॉपकॉर्न खाने के बाद सुबह आंखें सूजी रहती हैं। हालांकि डाइट से पूरी तरह नमक गायब करना भी सूजन की वजह बन सकता है। कुल-मिला कर ज्यादा नमकयुक्त चीजें खाने से बचें। पूरे दिन में सिर्फ 2400 मिलीग्राम नमक का ही सेवन करें।
वजन घटाएं
यदि आप मोटापे के शिकार हैं तो थोड़ा वजन घटाएं। मोटापे की शिकार महिलाओं में ओइस्ट्रोजेन का स्तर ज्यादा होता है, क्योंकि शरीर में जमी वसा ओइस्ट्रोजेन का स्राव करने लगती है। ऐसी महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा होता है। ज्यादा वजन वाले लोगों को खूब सारा पानी पीना चाहिए और कम से कम नमक खाना चाहिए। एक कैलोरी चार्ट बनाएं और उसके आधार पर अपने खान-पान की सूची तैयार करें। रोगमुक्त रहना है तो वजन कम करें।
सावधानी बरतें
शरीर का फूलना या पानी का अवशोषण किसी गंभीर बीमारी की शुरुआत हो सकती है। किडनी, फेफड़ों, लिवर से संबंधित बीमारियां जैसे कि सिरोसिस, थकान, अर्थराइटिस आदि रोगों के लक्षण के रूप में भी सूजन हो सकती है। ऐसे में लंबे समय की सूजन को नजरअंदाज न करके चिकित्सक से संपर्क करें।
प्रस्तुति: जय कुमार सिंह
तनाव कम लें
कभी तनाव की वजह से भी शरीर में सूजन आने लगती है। तनाव के दौरान हमारा दिमाग शरीर की पाचन क्रिया को रोक देता है। चीजें सामान्य होने तक पाचन क्रिया रुकी रहती है। ऐसी स्थिति में तनाव वाले हार्मोन पेट तक जाने वाले रक्त प्रवाह को भी कम कर देते हैं। इसकी वजह से पेट में सूजन महसूस होने लगती है। योग करें, ध्यान लगाएं, व्यायाम करें। जरूरत पड़े तो किसी विशेषज्ञ से मिलें। जहां तक संभव हो, खुद को तनावजनक परिस्थितियों से बाहर निकालने का प्रयास करें।
कसरत करें
कुछ याद है आपको कि आपने पिछली बार पसीना कब बहाया था? नहीं न! रोजाना कसरत करने की आदत विकसित करें। यह आपके शरीर के अतिरिक्त पानी को बाहर निकालने में मददगार होगी। पसीने के रूप में शरीर का अतिरिक्त पानी निकल जाता है। त्वचा भी अच्छी रहती है। घूमना, टहलना, तैराकी या नृत्य, अपनी सुविधानुसार आप किसी भी व्यायाम का चुनाव कर सकते हैं।
पोटैशियम है जरूरी
शरीर की नसों, तंत्रिकाओं और मांसपेशियों के कामकाज को नियंत्रित करने में सोडियम के साथ-साथ पोटैशियम का भी योगदान होता है। यह कोशिकाओं से पानी निकालने के अलावा शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने का भी काम करता है। यही वजह है कि डॉक्टर सोडियम के साथ पोटैशियम की उपयोगिता को भी बताते हैं और ऐसी चीजें खाने की सलाह देते हैं, जिनमें पोटैशियम का स्तर ऊंचा हो।
पोटैशियम के साथ-साथ विटामिंस की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने में विटामिन बी-6 सहायता करता है। ब्राउन राइस व रेड मीट विटामिन बी-6 के अच्छे स्रोत हैं।
विटामिन बी-5, कैल्शियम और विटामिन डी शरीर से अतिरिक्त पानी को बाहर करने में मदद करते हैं। विटामिन डी के लिए नियमित धूप का सेवन करें।
1. पोटैशियम के लिए रोजाना कम से कम पांच फल और सब्जियों का सेवन जरूर करें। अखरोट, बादाम, मूंगफली आदि पोटैशियम के अच्छे स्रोत हैं।
2. मैग्नीशियम के लिए बादाम, गेहूं, हरी सब्जियां, आलू, सेब, जामुन, फालसा, आम, आलू बुखारा आंवला, अमरूद और केला खाएं।
3. खाने में कैल्शियम के स्तर की भी जांच करें। रोजाना टोंड दूध पिएं। दही, मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां और अंजीर खाएं।
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