वमन(उल्टी होना), कफ वृद्धि व अनेकों रोगो की आयुर्वेद में इमरजैंसी चिकित्सा उपलब्ध हैं। - The Light Of Ayurveda

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मंगलवार, 6 अगस्त 2019

वमन(उल्टी होना), कफ वृद्धि व अनेकों रोगो की आयुर्वेद में इमरजैंसी चिकित्सा उपलब्ध हैं।

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आयुर्वेद में बहुत पहले से ही उपलब्ध हैं अनेकों रोगों की आपातकालीन चिकित्सा 

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी उपलब्ध हैं बहुत से रोगों की शीघ्रकार्यकारी आपातकालीन चिकित्सा---


बहुत से लोग और कई बार आयुर्वेद से कोर्स किये हुये तथा एलोपैथी से प्रक्टिस कर रहे बहुतेरे चिकित्सक यह कहते हुये सुने जाते हैं कि आयुर्वेद में तुरंत फायदा देने वाले योग उपलब्ध ही नही हैं और इस कारण उन्है एलोपैथी में काम करना पड़ता है तथा इसी कारण वह सरकार से भी कई बार ऐलोपैथी चिकित्सा करने की छूट माँगते आ रहे थे। वैसे सरकार ने आजकल आयुर्वेद ही नही सभी प्रकार के चिकित्सकों को किसी भी पैथी में इलाज करने की छूट दे दी है। लैकिन दुःख इस बात का है कि आखिर आयुर्वेद जो आधुनिक समय में उपलब्ध सभी प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों की जननी है को यह कहकर हमेशा से कोसा जाता रहा है कि उसमें आशुकारी (तुरंत प्रभावकारी) इलाज उपलब्ध ही नही हैं। जवकि वास्तव में ऐसा नही है हाँ यह कमी उस चिकित्सक की है क्योंकि उसने अपने अध्ययन समय में विषयों को ठीक से या तो समझा नही या फिर उसके अध्यापकों ने उसे ठीक से विषय का अध्ययन कराया ही नही। लैकिन उससे किसी विषय को लाँछन लगाना तो कतई ठीक नही है।लीजिए जानिये आज आयुर्वेद के कुछ विशिष्ठ रोगों पर आशुकारी अर्थात आपातकालीन तुरंत प्रभावकारी कुछ इलाज।

वमन अर्थात कै या छर्दि रोग की तुरंत प्रभावकारी चिकित्सा------

कई बार स्वतंत्र रुप से और कई बार किसी अन्य रोग के साथ उल्टी होना पाया जाता है। क्योकि इस रोग में शरीर से बहुत ज्यादा पानी निकल जाता है। अतः कई बार शरीर में जल की कमी हो जाती है इस अवस्था को निर्जलीकरण कहा जाता है और इस अवस्था में कई बार रोगी के प्राण संकट में पड़ जाते हैं। इस रोग के आयुर्वेद में वैसे तो अनेकों उपचार उपलब्ध हैं किन्तु आज में अपने पाठकों को आयुर्वेद का ज्ञान वृद्धि हेतु एक ऐसा योग प्रदान कर रहा हूँ जो संकटापन्न स्थिति से रोगी को बाहर ला देगा। इस रोग के उपचार के लिए आवश्यक सामिग्री---
 
1.  कपूरकचरी             10 ग्राम
2. शुद्ध स्वर्ण गैरिक       10 ग्राम
3. बड़ी इलायची चूर्ण      40 ग्राम
 
तीनो औषधियों को कूट पीस कर महीन करके कपड़छन करके एयर टाइट डिब्बी में रखें ।
मात्रा एवं सेवन विधि---- 125 से 500 मिलीग्राम की मात्रा में शहद या दूध से दें। और साथ में यदि इसके साथ 4 चम्मच सौंफ अर्क 5-5 बूँद अमृतधारा मिलाकर हर घण्टे में दिया जाऐ तो और भी उत्तम होगा।

कफवृद्धि पर आशुकारी या तुरंत प्रभावकारी चिकित्सा----

जब छाती में जमा हुआ कफ कष्ट के साथ बाहर निकलता हो तब इसके आसानी से निकालने के लिए सर्वप्रथम तो  सरसों के तेल को हल्का गर्म करके थोड़ा सा सैंधा नमक मिलाकर छाती पर मालिश करें। और गर्म पानी की थैली से सेंक करें इसके अलावा आयुर्वेदिक ग्रंथ रसतंत्रसार व सिद्ध योग संग्रह के द्वतीय खण्ड में कास रोगाध्याय में आचार्य यादव जी त्रिक्रम जी का मेरा अनेकश: अनुभूत योग बनाकर प्रयोग करें।
सामिग्री-
1. पीपल           - 50 ग्राम
2. बहेड़ा            - 50 ग्राम
3. लौंग            - 50 ग्राम
4. दालचीनी         -25 ग्राम
5.  काकड़ासिंगी       -25 ग्राम
6. अनार का सूखा छिलका -10 ग्राम
7.  सुहागे का फूल         -10 ग्राम
8. कत्था               -100 ग्राम
9. मुलहठी सत्व         -100 ग्राम
10.  मुनक्का             -50 ग्राम
11.  आक के फूल         -50 ग्राम
बनाने की विधि---
सर्वप्रथम मुनक्का व आक के फूलों को 2 गिलास पानी में डालकर विल्कुल धीमी आँच पर उवाल लें  आँच इतनी धीमी हो कि आपको भाप उड़ती हुयी भी बहुत ही कम दिखाई दे या विल्कुल दिखाई ही न दे। और जब यह पानी एक चौथाई यानि केवल आधा गिलास वाकी रह जाए तब इसमें मुलहठी सत्व व सुहागा मिला लें।और इसके बाद इसमें बाकी के द्रव्यों का कपड़छन चूर्ण भी मिला दें।तथा 250-250 मिलीग्राम की गोलियाँ बना लें । इन गोलियों को लेकर चूसने से खाँसी का वेग कम हो जाता है तथा कफ भी बहुत ही सरलता से निकलने लगता है। जब श्वांस में छाती कफ से भरी हुयी हो खाँसी तेज आती हो किन्तु इतने पर भी कफ न निकलता हो तब इन गोलियों को लेकर चूसें इससे कफ बड़ी ही आसानी से बाहर निकल जाता है और रोगी राहत महसूस करता है। यह अनेकों बार वैद्य़ों का अनुभूत व सफल योग है।

          

  

  

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