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मंगलवार, 25 सितंबर 2012

Diabetes- a awful disease( मधुमेह- एक भयंकर रोग)

वैसे तो कोई भी रोग कम नही होता है किन्तु मधुमेह की भयंकरता इस कारण ज्यादा  महसूस होती है क्योंकि यह सब प्रकार के खाने पीने पर प्रतिबंध सा लगा देता है।तथा शरीर को भीतर ही भीतर खोखला बना देता है।और खान पान पर नियंत्रण न किया जाए तो शरीर के अंग प्रत्यंगों को निष्क्रिय व बेकार बना देता है।और जीवन नरक समान हो जाता है। और अगर कभी कहीं चोट लग जाए कट जाए या मच्छर का काटा खुजा लिया जाए तो जब तक इन्सुलिन का स्तर सही न हो जाए तब तक सही होने की कोई आशा ही नही ।इसी कारण मैने इस रोग को भयंकर रोग कहा है। 
 Diabetes या मधुमेह क्या है व कैसे होता है तथा इसके क्या Symptom है?

हमारे शरीर में भोजन का पाचन होने के बाद ग्लूकोज बनता है और इस ग्लूकोज का पाचन करने के लिए इन्सुलिन की आवश्यकता होती है।और यह इन्सुलिन बनता है पैन्क्रियाज़ में। यह एक ग्लेंण्ड है जो यकृत के पास पायी जाती है।यह ग्लूकोज का पाचन करके शरीर को शक्ति प्रदान करता है तथा रक्त में इसकी मात्रा को भी नियंत्रित करता है।और जब यही पैन्क्रियाज़ काम करना बन्द कर दे या कम कर दे तो ग्लूकोज़ नही पचता फलस्वरुप ग्लूकोज की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है। और यही वढ़ी हुय़ी मात्रा मूत्र के साथ शरीर से बाहर आने लगती है।जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।अतः हम यह कह सकते है कि शरीर से ग्लूकोज का बिना पचे मूत्र मार्ग से निकलना मधुमेह कहलाता है।
ऱोग की जाँच- यूरीन व ब्लड की जाँच कराने पर डाईबिटीज का  पता चलता है।
           स्वस्थ व्यक्ति के खून की खाली पेट जाँच कराने पर शर्करा या ग्लूकोज़  70 से 110 mg/100mlव भोजन के 2 घंटा बाद 140ml/100ml होना चाहिऐ।
        यूरीन या मूत्र में ग्लूकोज़ पायी जाने पर मधुमेह होना  निश्चित माना जाता है।

            कारण- मधुमेह बहुत परिस्थितियों में तो वंशानुगत रोग है किन्तु फिर भी मोटापा,मानसिक चिन्ता ग्रस्त लोग,जीभ का ज्यादा स्वाद लेने वाले लोग,आलसी किस्म के लोग,तथा सबसे अधिक वो लोग पहले तो बहुत श्रम करते थे किन्तु अचानक विल्कुल ही कम करते हैँ।एसे लोगों को यह रोग जल्दी ही घेर लेता है।पैन्क्रियाज़ से संबन्धित कोई रोग होने पर जैसे पैन्क्रियाज़ का वायरल फीवर या फिर पैन्क्रियाज़ से पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का न निकलना भी इसके कारणों में शामिल है।
 रोग के लक्षण- बार बार पेशाव जाना तथा बहुत अधिक प्यास इस रोग का प्राथमिक लक्षण है। कमजोरी व थकावट का होना,नपुंसकता की सी स्थिति  तथा हाथ पैर का सुन्न हो जाना,अगर घाव हो गया है तो जल्दी न भरना,शरीर में फोड़ा फुँसी हो जाना त्वचा मे खुजली,नजर की कमजोरी आदि इस रोग के लक्षण हैं। पर ज्यादा तर स्थिति में देखा गया है कि इस रोग का पता लोगों को किसी अन्य रोग के निदान करते समय चलता है।
      यह रोग मुख्यतः तीन प्रकार का होता है।
1-जु़वेनाइल डायविटीज़- यह छोटे बच्चों में होती है
2-इन्सुलिन या I.D.D.M डायविटीज़- यह रोग बड़ी उम्र बाले लोगों मे होता है।और चूंकि इन्सुलिन की कमी से होता है अतः इस रोगी को इन्सुलिन अत्यधिक जरुरी है।और यह इसीलिए I.D.D.M या Insulin dependent diabetes कहलाता है।
3-Non Insulin dependent Diabetes- इस व्याधि में रोगी कइन्सुलिन पर निर्भरता नही होती है।   
रोग का निवारण- सवसे पहले अपनी दिनचर्या को ठीक करें।सुवह फ्रेस होकर टहलने जाऐं।हल्का व्यायाम या योगासन करें।वैसे प्रातः काल किसी बाग बगीचे में जाकर योगासन करना तथा घूमना तथा अपने परहेज का पालन करना ही इस रोग का अच्छा इलाज है।लगभग 2-3 किलोमीटर के टहलने से वो भी तेज चाल से चलना दौड़ना नही एवं साहस तथा धैर्य बनाए रखकर प्रसन्न मन से रहना इस रोग के निवारण के लिए अच्छा उपाय है। आप योगासनो का चुनाव किसी फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह से करे वैसे आजकल बाबा रामदेव जी की कैसैट्स को देखकर भी  आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं।योगासन व दौड़ना धैर्य के साथ करते रहै तथा परहैज रखें तो विना दवा के भी आप ठीक हो सकते है।
              वैसे तो हर रोग में ही परहेज दवा से ज्यादा फलप्रद है किन्तु इस रोग मे परहेज की महत्ता वढ़ जाती है जितना आप परहेज से रहेंगे उतना ही यह रोग भी  आपको परेशान नही करेगा। कुछ वस्तुऐं यथा आलू,घी,तेल,व आटे जैसी वस्तुओं से वने व्यंजनों का सेवन कम से कम करे।मीठा,केक,पेस्ट्री,तथा आइसक्रीम जैसे अधिक कैलौरी के व्यंजनों का अगर विल्कुन न प्रयोग किया जाए तो ज्यादा हितकर है।
      इसके अलावा कुछ आयुर्वेदिक योगों का भी आप किसी वैद्य या चिकित्सक की देखरेख मे ले सकते है।
 आरोग्यवर्धनी वटी विशेष न. 1 वाली-2गोली
,चन्द्रप्रभा वटी 2 गोली 
शिलाजित्वादि वटी अम्वर युक्त 1गोली व प्रमेहगजकेसरी वटी 2 गोली सुबह विल्कुल खाली पेट 1 गिलास फीके दूध से लें।
भोजन के बाद दोनो समय मधुहारी चुर्ण 1-1 चम्मच जल के साथ लें। 1चम्मच मैथी दाना विना चवाए भोजन को रात को पुनः सुबह बाला योग लेकर उसके साथ एक गोली वसन्त कुसमाकर रस की लें। 

                     अन्त मे केवल यही कहूँगा कि आयुर्वेद किसी भी रोग का पूर्ण निवारण का विज्ञान है। और इस रोग मे शरीर मे उत्पन्न अतिरिक्त कैलोरी क्योकि पच नही पाती अतः वह मुत्र मार्ग से वाहर निकलती है तथा शरीर मे अन्य उपद्रव पैदा करती है। अगर शरीर के अगों से शक्ति अनुसार काम लिया जाता रहेगा तो यह रोग नही होगा तथा अगर हो गया है तो इसका शमन हो जाएगा।



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