पेड़ु में दर्द या वल्वल पीड़ा और कष्ट Vulval pain and discomfort - The Light Of Ayurveda : An Info Website for Health and Ayurveda.

Breaking

Whats app

Ayurveda Ancient Natural Traditional Medical Science

WWW.AYURVEDLIGHT.BLOGSPOT.COM

मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

पेड़ु में दर्द या वल्वल पीड़ा और कष्ट Vulval pain and discomfort

पेड़ु में दर्द  या वल्वल में पीड़ा और खुजली किस कारण होती है?
पेड़ु में दर्द या वल्वल क्षेत्र में पीड़ा खुजली, जलन एवं उत्तेजना का कारण जननेन्द्रिय में संक्रमण (इनफैक्शन) हो सकता है या डरमैटईटिस, एक्जीमा जैसी त्वचा के असंक्रमाक रोग हो सकते हैं।

त्वचा के असंक्रामक रोग जो कि वल्वल को पीड़ा या कष्ट देते हैं उनके कारण क्या हो सकते हैं?औरत की वल्वा में त्वचा परक ऐसा रोग भी हो सकता है जो कि संक्रामक नही होता और सम्भोग के साथी को नहीं लगाता। जांघिए को धोने के लिए जो साबुन, दुर्गन्धनाशक और प्रक्षालक काम में लाया जाता है उससे जलन की बहुत सम्भावना रहती है।
वल्वा की त्वचा के रोगों का उपचार कैसे करें?उपचार के लिए सामान्यतः ऐसी स्टीरॉयड क्रीम एवं प्रशासक औषधियों का उपयोग किया जाता है जो कि चिकनी हो और ऐसा मरहम लिया जाता है जो कि त्वचा को उत्तजित करने वाला न हो। जख्म को और फटी चमड़ी को नरम बनाने और आराम दिलाने के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है और वल्वा की सफाई के लिए साबुन की जगह इनका उपयोग कर सकते हैं। क्रीम और लोशन के रूप में ये मिलते हैं और कैमिस्ट से बिना पर्ची लिखाये भी मिल जाती हैं।
पेड़ू की (वल्वल) त्वचा की देखभाल महिला स्वयं कैसे करे?यदि आपको यह समस्या है, या उसका अंदेशा है तो तंग माप के टाईटस या ट्राउसर मत पहनें। सिनथैटिक के जांघिये न पहने और कॉटन के भी ऐसे जांघिए पहने जो बहुत कसे हुए न हो। त्वचा को साफ करने के लिए हल्के साबुन का इस्तेमाल करें।
पेड़ू या वल्वा में सूजन का सबसे अधिक सामान्य कारण क्या है?वल्वा में सूजन के सबसे सामान्य कारण को बारथोलिनस काइसटस कहा जाता है। बारथोलिन ग्रन्थियां बहुत ही छोटी दो ग्रन्थियां हैं जो कि योनि द्वार के दोनों ओर होती हैं। उस ग्रन्थि मे छोटी नलिया होती हैं अगर वे त्वचा के अणु या स्राव से बन्द हो जायें तो उसमें सूजन या  गाँठ (पुष्टि) बन सकती है (तरल द्रव्य से भरी थैली) यह  गाँठ या पुष्टि मटर के दाने से लेकर गोल्फ की बॉल जैसी हो सकती है।

बारथोलिन काइसटस का उपचार कैसे होता है?
उपचार बहुत सी बातों पर निर्भर रहता है, पुष्टि या गाँठ  का आकार, कितना पीड़दायक है, क्या संक्रमित है और आप का डाक्टर कौन सी उपचार विधि को चुनता है। कुछ तो एनटिवॉयटिक खाने मात्र से ठीक हो जाते हैं। कभी-कभी डाक्टर उसमें एक नली डालने का निश्चय कर सकते हैं। (मोटे धोग जैसी) वह नली 2 से 4 हफ्ते तक उसी जगह पर रहती है। इससे तरल पदार्थ बाहर बह जाता है और इससे योनि के दोनों पक्षों पर एक छोटा सा छेद हो जाता है 2-4 हफ्ते में उस नली को निकाल दिया जाता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हमारी वेवसाइट पर पधारने के लिए आपका धन्यबाद

OUR AIM

ध्यान दें-

हमारा उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व में आय़ुर्वेद सम्बंधी ज्ञान को फैलाना है।हम औषधियों व अन्य चिकित्सा पद्धतियों के बारे मे जानकारियां देने में पूर्ण सावधानी वरतते हैं, फिर भी पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी औषधि या पद्धति का प्रयोग किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें। सम्पादक या प्रकाशक किसी भी इलाज, पद्धति या लेख के वारे में उत्तरदायी नही हैं।
हम अपने सभी पाठकों से आशा करते हैं कि अगर उनके पास भी आयुर्वेद से जुङी कोई जानकारी है तो आयुर्वेद के प्रकाश को दुनिया के सामने लाने के लिए कम्प्युटर पर वैठें तथा लिख भेजे हमें हमारे पास और यह आपके अपने नाम से ही प्रकाशित किया जाएगा।
जो लेख आपको अच्छा लगे उस पर
कृपया टिप्पणी करना न भूलें आपकी टिप्पणी हमें प्रोत्साहित करने वाली होनी चाहिए।जिससे हम और अच्छा लिख पाऐंगे।

Email Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner