आंखें शरीर को प्रभु प्रदत्त वह अनुपम उपहार है जिसके कारण ही हम प्रभु की
बनायी इस प्रकृति को देख सकते हैं या कहै कि भोग सकते हैं।इसी लिए इन्हैं
ज्ञानेन्द्रियों में स्थान दिया गया है।इन आंखो का वर्णन
कवियों,कहानीकारों, महाकाव्यकार, आदि के साथ साथ आजकल की फिल्मों में भी
किया गया है और वर्णन ही क्यों उनका ही कमाल है जो सब चीजें मैने ऊपर लिखी
है सबका आनन्द आप आंखो से ही प्राप्त कर सकते हैं।हम किसी की आंखो को कमल
जैसी अर्थात कमल नयन किसी की आखों को कंजी किसी की आंखो को भैगी,किसी को
बड़ी आंखो बाला या बाली या किसी को छोटी आखों वाला या वाली बोलते है तो यह
इन आंखो का ही तो वर्णन है।और तो औऱ तमाम तरह की लोकोक्तियां व मुहावरे भी
इन आंखो के ऊपर ही चल पड़े हैं।आँखों से ही क्रोध,घृणा,प्रेम,स्नेह की
अभिव्यक्ति भी जाने अनजाने ही हो जाती है।और जब आंखे इतना महत्वपूर्ण अंग
है तो फिर भैया इसकी देखभाल हमारा परम धर्म होना चाहिये।जब आंखे हमारे जीवन
को रसभरा तथा आनन्द से भरपूर बनाती हैं तो फिर क्यों न हम अपनी आंखों की
यत्नपूर्वक देखभाल करें।क्योंकि 'जान है तो जहान है'। अतः आंखों का भरपूर
खयाल रखें।आज मैं एक सरल सा प्रयोग बता रहा हूँ जिससे आप अपनी आंखो को
भरपूर फायदा दे सकते हैं।इस छोटे से किन्तु बहुत ही उम्दा किस्म के प्रयोग
से आप अपनी आंखो की रोशनी बढ़ा सकेंगें एसी भावना के साथ मैं अब आपको इस
प्रयोग को लिख रहा हूँ।
बाजार से आप महात्रिफला घृत या त्रिफला घृत की शीशी लें लें ध्यान रखे अच्छी क्वालिटी का ही लें। प्रातः व सांय रोजाना एक गिलास मीठे दूध से इसे लेते रहने से 3-4 माह में ही आपका चश्मा उतर जाएगा।
यह हरड़ वहेड़ा व आवलें तथा घी के प्रयोग से बनने वाली यह अनुपम औषधि है
जिसे आप किसी योग्य वैद्य की निगरानी में वना या बनवा भी सकते हैं।वैसे कई
कम्पनियाँ इसे बनाकर भी बैचती है।
Bahut maahatvpurn va rochak jaankari dene ke liye aap ka aabhaar
जवाब देंहटाएंBahut maahatvpurn va rochak jaankari dene ke liye aap ka aabhaar
जवाब देंहटाएं