अंग भ्रंश (प्रोलैप्स)
अंग भ्रश क्या होता हैअण्डाशय, ब्लैडर (मूत्राशय), मूत्रमार्ग और मलाशय जैसे जननेन्द्रि सम्बन्धी अंगों का योनि मे गिर जाने का अर्थ है अंग भ्रंश।
सामान्य योनि व अंग भ्रंश |
जननेन्द्रिय की मांसपेशियों में कमजोरी के कारण अंग भ्रंश होता है- जो कि (1) बार-बार बच्चे के जन्म (2) वृद्दावस्था (3) फ्राइब्रायड के कारण मत्राशय मे थक्के आ जाने से (4) मोटापे या (5) रीढ़ की हड्डी में घाव होने से हो जाती है।
अंग भ्रंश के सामान्य लक्षण क्या हैं?
हर प्रकार के अंग भ्रंश में ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं- (1) जननेन्द्रिय में भारीपन का बोध होता है या लगता है कि वहां कुछ उग आया है (2) पीठ के निचले भाग में दर्द होता है जो किलेटने पर ठीक हो जाता है। (3) पेट के निचले भाग मे दर्द या दबाव (4) सम्भोग के समय पीड़ा या बेहोशी (5) मूत्र प्रवाह को रोक पान में असमर्थता या बहता मूत्र।
हर प्रकार के अंग भ्रंश में ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं- (1) जननेन्द्रिय में भारीपन का बोध होता है या लगता है कि वहां कुछ उग आया है (2) पीठ के निचले भाग में दर्द होता है जो किलेटने पर ठीक हो जाता है। (3) पेट के निचले भाग मे दर्द या दबाव (4) सम्भोग के समय पीड़ा या बेहोशी (5) मूत्र प्रवाह को रोक पान में असमर्थता या बहता मूत्र।
अंग भ्रंश के उपचार के लिए क्या विकास उपलब्ध हैं?
थोड़े से अंग भ्रंश का उपचार इन साधनों से हो सकता है- (1) जननेन्द्रिय का व्यायाम (2) गिरे हुए अंग को उसके स्थान पर रखने के लिए जननेन्द्रिय में पेसरी डालना। अंग भ्रंश की गम्भीर स्थिति में अनेक प्रकार की शल्य क्रियाएं ही उसका समाधान कर पाती है।
थोड़े से अंग भ्रंश का उपचार इन साधनों से हो सकता है- (1) जननेन्द्रिय का व्यायाम (2) गिरे हुए अंग को उसके स्थान पर रखने के लिए जननेन्द्रिय में पेसरी डालना। अंग भ्रंश की गम्भीर स्थिति में अनेक प्रकार की शल्य क्रियाएं ही उसका समाधान कर पाती है।
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