हमारी सृष्टि के आदि देव हैं सूर्य जो सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन करते हैं और करते हुये हमें दिखाई भी देते हैं।इन्हीं के कारण हम इस पृथ्वी पर जीवन की कल्पना कर पाते हैं। सभी प्राचीन सभ्यताओं में सूर्य देव को भगवान का दर्जा दिया गया था फिर चाहें वो प्राचीन यूनान की सभ्यता हो, वेवीलोन की , मेसोपोटामिया की या फिर चीन की लैकिन हम कहीं के बारे में बात न करें तो हमारे भारत वर्ष में तो भगवान सूर्य की महिमा को सर्वाधिक महत्व दिया ही गया है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में तो सूर्य का स्थान सर्वोपरि है क्योंकि सारे ग्रह सूर्य के इर्द गिर्द ही चक्कर लगाते हैं और सर्वाधिक प्रभाव भी उन्हीं का सम्पूर्ण कुण्डली पर पड़ता है उन्हीं के कारण कोई भी ग्रह अस्त हो जाता है। और उनकी रश्मियाँ कम तीव्र होने पर ही उदित हो पाता है।और जब हम कुण्डली की बात कर ही रहे हैं तो कई लोगों की कुण्डली में सूर्य ग्रह से पीड़ा भी हो सकती है। अतः भगवान भास्कर सूर्य नारायण स्वयं अपनी पीड़ा से शान्ति का उपाय भी जातक को प्रदान करते हैं। यह उपाय अचूक है जो न केवल कुण्डली के सूर्य दोष का शमन करता है अपितु सामान्य जातक भी अगर इस तेल के उपयोग से लाभान्वित हो सकता है। अतः यह कहा जा सकता है कि यह तेल वास्तव में सम्पूर्ण मानव जाति के लिए भगवान भास्कर का वरदान ही है।
और तो और यह तेल हृदय रोग की भी रामवाण औषधि है। आयुर्वेदिक ग्रंथो में भी सूर्य चिकित्सा के अन्दर इस योग का उल्लेख मिलता है।
सूर्य तेल बनाने की विधि
सूर्य तेल बनाने के लिए 200 ग्राम सूरजमुखी व 200 ग्राम तिल का तेल लें। अब इसमें 4 ग्राम लौंग व 8 ग्राम केशर मिलाएं। औरइन सभी चीजों को लाल रंग की कांच की बोतल में रखें।
यदि काँच की लाल बोतल उपलब्ध न हो तो सफेद काँच की बोतल में रखकर लाल रंग की पन्नी या सेलोफेन कागज लपेट दें इस प्रकार लपेट कर इस बोतल को सम्पूर्ण सामिग्री सहित 15 दिनों के लिए खुली धूप में रखते रहैं। और शाम को वहाँ से हटा दें। इस प्रकार 15 दिनों की धूप प्राप्त कर यह तेल अपने अन्दर चमत्कारिक गुण प्राप्त कर लेगा जो आपके कुण्डली कृत दोषों को तो दूर करेगा ही जिन जातकों को हृदय रोग की समस्याऐं भी हैं उनका भी शमन करके उन्हैं स्वास्थ्य लाभ कराऐगा। उच्चरक्त चाप से पीड़ित अर्थात हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए पूरे शरीर पर तेल की मालिश करनी चाहिये। छोटे बच्चों के लिए मालिश करने के लिए यह सूर्य तेल किसी चमत्कार से कम नही होगा क्योंकि इसमें अन्य किसी भी तेल की अपेक्षा अधिक विटामिन डी पाया जाता है।
सामान्य लोगों द्वारा जब तेल की मालिश सम्पूर्ण शरीर पर की जाती है तो उनकी कान्ति को बढ़ाता है जिससे आपके सौन्दर्य में चार चाँद लग जाते है।
सूर्य तेल को उपयोग करने की विधि---
सूर्य तेल चूँकि सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है और हमारे हिन्दू या अग्रेजी किसी भी कलेन्डर के मुताविक रविवार ही सूर्य का प्रतिनिधि दिन है अतः सूर्य तेल के प्रयोग की शुरुआत के लिए भी यही दिन सर्वाधिक उपयुक्त है।
प्रत्येक दिन सूर्य तेल के उपयोग से आप सूर्य कृत दोषों से मुक्ति तो पाते ही हैं इसके अलाबा आपका शरीर कान्तिवान होता है आपके शरीर से हाई ब्लड प्रेशर व हृदय रोग के दोष भी मुक्त हो जाते है।वैसे तो यह तेल प्रतिदिन ही लगाना चाहिये किन्तु जिन लोगों को सुबिधा न हो वे प्रति सप्ताह में रविबार को तो इसे अवस्य ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
नोट- कृपया इस तेल को प्रयोग करने से पहले किसी ज्योतिषी को अपनी कुण्डली दिखा लें तो ज्यादा उपयुक्त रहेगा।
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