ब्रह्म मुहूर्त का रहस्य क्या है? हिन्दू धर्म ग्रंथों में ब्रह्म मुहूर्त में जागने की परंपरा क्यों है?
"What is the secret of Brahmamuhurta?" Why the tradition of getting up in Brahmamuhurta?
हिन्दु धर्म ग्रंथ संसारिक इतिहास के वे ग्रंथ हैं जिनको पूर्णतया वैज्ञानिक कसौटी पर कसकर लिखा गया है यह वैज्ञानिकता हमें वेदों से प्राप्त हुयी है वैसे भी वेद का अर्थ है ज्ञान अतः इन ग्रंथोंं मे आध्यात्मिकता तो है ही इनमें जीवन के प्रत्येक पहलू का ध्यान भी यथोचित रखा गया है। ब्रह्म मुहूर्त क्या है इसे जानने के लिए हमे इस शब्द पर ध्यान देना होगा। यह दो शब्दों के मेल से बना है जिसमें पहला है ब्रह्म और दूसरा है मुहूर्त, वैदिक शास्त्रानुसार
।।ऊँ।।यो भूतं च भव्य च सर्वं यश्चाधितिष्ठति।
स्वर्गस्य च केवलं तस्मै ज्येष्ठाय ब्राह्मणे नमः।। अथर्ववेद 10-8-1
अर्थ- जो भूत, भविष्य और सबमें व्यापक है जो दिव्यलोक का अधिष्ठाता है जिस ब्रह्मा से यह सम्पूूर्ण विश्व प्रकट होता है जो प्राण रुप में गतिमान है, उसी ब्रह्म में केवल स्वर्ग है उस ब्रह्म परमेश्वर को प्रणाम है।
ब्रह्म शब्द बना है ब्रह धातु से जिसका अर्थ है बढ़ना, फैलना या विस्तृत होना या व्यास ग्रहण करना, यह परम तत्व है जो जगत्कारण है। ब्रह्म वह तत्व है जिससे सारा विश्व व्याप्त हुआ है, और अंत में सारा जगत इसी में लीन हो जाता है और इसी में वह जीवित भी रहता है। ये तीनो अवस्थाऐं ही इसे सर्वव्यापक वनाती है अर्थात यह ब्रहम ही इश्वर है।हिन्दु संस्कृति की सभी विचारधाराऐं केवल चार्वाक को छोड़कर यही मानती हैं कि कोई एक परमशक्ति है जो सर्वोपरि है सर्वव्यापक है सर्वशक्तिमान है जो जगत का कारण है वह ईश्वर है वेद उपनिषिद पुराण व गीता सभी उसी सर्वशक्तिमान ईश्वर को मानते हैं
और दूसरा शब्द मुहूर्त का अर्थ है अनुकूल ममय अतः ब्रह्म मुहूर्त का अर्थ हुआ ईश्वर के अनुकूल समय
आयुर्वेदिक मतानुसार ब्रह्म मुहूर्त का महत्व the Importance of Brahmamuhurtha in Ayurveda-
ब्रह्म मुहूर्त का मतलब स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। ब्रह्म मुहूर्त के बारे में आज भी घर के बड़े-बुजुर्गों की धारणा हैं कि ब्रह्म मुृहूर्त के समय में जागना स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा है।वैज्ञानिक दृष्टि से ब्रह्म मुहूर्त में जागने का पहला लाभ तो यह है कि सुबह सुबह समय वातावरण में ऑक्सीजन अर्थात प्राणवायु बहुत शुद्ध होती है। यह शुद्ध प्राणवायु हमारे फेफड़ो के लिए बहुत अच्छी है। जब हम स्वस्थ्य प्राणवायु लेते हैं तो फेफड़ों में तरोताजगी आती है उनकी क्रियाशीलता बढती है स्वस्थ प्राणवायु फेफड़ों को तो स्वस्थ करती ही है साथ ही यह हमारे फेपड़ो के द्वारा हमारे रक्त में अवशोषित होती है जिससे रक्त स्वस्थ होता है और यही रक्त हमारी वहनियों में बहकर शरीरगत समस्त क्रियाओं को ठीक करता है जिससे हमारी मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक शक्ति जाग्रत होती है वैसे भी आप पहले से ही जानते है कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है अतः हमारे समस्त मानसिक शारीरिक तनाव इस ब्रह्म मुहूर्त में जागने पर अपने आप समाप्त हो जाते है। और जब तनाव नही होगा तो हम अपने सभी दैनिक कार्य अपनी सम्पूर्ण शक्ति से सम्पन्न कर सकेंगे। यही बात हमारी धार्मिक मान्यता प्रकट करती है कि ब्रह्म मुहूर्त में जागने से देव व पितर हमारे घरों में आते है। जिससे हमारे घर में उन्नति होती है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में जागकर परमात्मा का ध्यान करना आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ता है।
ब्रह्म मुहूर्त का समय - "brahma muhurta time"
रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है।
ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4.00 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।
परंतु, क्या आप जानना चाहते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में उठने के क्या लाभ होते हैं? साथ सदियों से हिन्दु धर्म में ब्रह्म मुहूर्त में जागने को इतना अधिक महत्व क्यों दिया गया है? यदि हाँ तो आइये आगे इसे जानते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में जागने के लाभ- "The benefits of Rising in brahma muhurta "
हमारे धार्मिक ग्रंथ गीता के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला
व्यक्ति आध्यात्मिक होगा और हमेशा खुश रहेगा। वहीं इस समय देव-पूजा
करने से धन की देवी लक्ष्मी खुश होती हैं जिससे घर में धन-वैभव की संपन्नता आती है। इसका कारण भी यही है कि स्वस्थ मनुष्य जो भी कार्य करेगा वह अपनी सम्पूर्ण शक्ति से कर सकेगा अतः वह यदि ध्यानस्थ होगा तो उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा उस कार्य में लगेगी। इसके अलावा जो व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में जागने वाला व्यक्ति तनाव, मधुमेह, डिप्रेशन और
थकावट इन सब बीमारियों से दूर रहता है, ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति अन्य की
तुलना में ज्यादा बुद्धिमान और ऊर्जावान और प्रसन्न रहता
है।
शास्त्रों
में भी इसका उल्लेख है--
वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।
ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥
अर्थात ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।
ब्रह्म मुहूर्त में न जागने के दुस्प्रभाव -
“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।
(ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।)
सिख धर्म के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त का महत्व -
सिख
धर्म में इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है--"अमृत वेला", जिसके द्वारा इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर
भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं
ही साबित हो जाता है। ईवर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता
है।
ब्रह्म
मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है।
स्वस्थ रहने और सफल होने
का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।
ब्रह्म मुहूर्त और प्रकृति- Brahmamuhurtha & Nature
ब्रह्म
मुहूर्त और प्रकृति का गहरा नाता है। हम देखते हैं कि इस समय में मभी पशु-पक्षी जाग जाते हैं। ब्रह्म मुहूर्त में वातावरण पक्षियों के मधुर कलरव से गुंजायमान हो जाता है। कमल का फूल भी
खिल उठता है। मुर्गे बांग
देने लगते हैं। एक तरह से प्रकृति भी ब्रह्म मुहूर्त में चैतन्य हो जाती है। यह प्रतीक है उठने, जागने का। प्रकृति हमें संदेश देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।
ब्रह्म मुहूर्त में जागने से सफलता व समृद्धि- Prosperity & Success from Rising in brahmamuhurta
आयुर्वेद
के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने
वाली वायु को अमृततुल्य
कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम
उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क
में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं तथा भगवान का
श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म
मुहूर्त में किए जाने का विधान है।
ब्रह्ममुहूर्त
के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक
पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे
मिलेंगे।
ब्रह्म
मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है, क्यों? क्योंकि जल्दी उठने से दिनभर के कार्यों और योजनाओं
को बनाने के लिए पर्याप्त
समय मिल जाता है। इसलिए न केवल जीवन सफल होता है। शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने वाला हर व्यक्ति सुखी और
समृद्ध हो सकता है। कारण
वह जो काम करता है उसमें उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल रहता है। जॉब (नौकरी) करने वाले से बॉस खुश रहता
है। बिजनेसमैन अच्छी कमाई
कर सकता है। बीमार आदमी की आय तो प्रभावित होती ही है, उल्टे खर्च बढऩे लगता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो समय का
सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे।
अत: स्वस्थ और सफल रहना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
वेदों
में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया
गया है।
वेदों में ब्रह्म मुहूर्त के श्लोक Brahma Muhurta in Vedas
प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।
तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥ - ऋग्वेद-1/125/1
अर्थात- सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥ - सामवेद-35
अर्थात-
व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-अर्चना करना चाहिए। इस समय की
शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य
और संपत्ति की वृद्धि होती है।
उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे। अथर्ववेद- 7/16/२
अर्थात-
सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है।
व्यावहारिक महत्व - व्यावहारिक रूप से अच्छी सेहत, ताजगी और ऊर्जा पाने के लिए ब्रह्ममुहूर्त बेहतर समय है।
क्योंकि रात की नींद के बाद
पिछले दिन की शारीरिक और मानसिक थकान उतर जाने पर दिमाग शांत और स्थिर रहता है। वातावरण और हवा भी स्वच्छ होती है। ऐसे में
देव उपासना, ध्यान, योग, पूजा
तन, मन और बुद्धि को पुष्ट
करते हैं।
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