आज है भगवान धन्वंतरि का प्रकटोत्सव-आप सभी को शुभकामनाऐं - The Light Of Ayurveda

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रविवार, 11 नवंबर 2012

आज है भगवान धन्वंतरि का प्रकटोत्सव-आप सभी को शुभकामनाऐं

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148501_244640388995594_879782701_nआज वह दिन है जिस दिन चिकित्सा के देव व देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि सागर मंथन के उपरान्त अमृत कलश लिए प्रकट हुये थे।इसलिए हम आयुर्वेद के प्रचार व प्रसार करने बालों को   आज का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण हैं।आज के दिन भगवान धन्वंतरि की दीप जलाकर पूजा करनी चाहिये तथा भगवान धन्वंतरि से स्वस्थ व सेहतमंद बनाए रखने की प्रार्थना करनी चाहिए।आज के दिन चाँदी का वर्तन या लक्ष्मी व गणेश जी की प्रतिमा या सिक्का खरीदें जिसकी दीपावली के दिन पूजा की जानी होती है।अतः आप सभी इस दिन को धूम धाम से मनाये ताकि डेंगू मलेरिया और इत्यादि बीमारिया हम सभी से दूर रहें। 
वैसे तो आज के दिन के बारे में बहुत सी कथाऐं प्रचलित हैं लेकिन हम आज के दिन के बारे में कुछ जानकारियाँ प्रदान कर रहैं हैं।
एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मौत की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नही आता क्या।तो पहले तो यम के भय के कारण दूत बोले कि प्रभो हम तो अपना कर्तव्य निभाते हैं और आपकी आज्ञा का पालन करते हैं।परंतु यम देवता के दूतों का भय दूर करने पर दूतों ने कहा कि प्रभो राजा हैम के पुत्र के प्राण हरण करते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी के विलाप से हमारा हृदय पसीज गया था किन्तु विधि के विधान से हम उसकी कोई सहायता नही कर सके।तब उसी वक्त उनमें से एक दूत ने यमदेवता से विनती की है यमराज जी क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु के लेख से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है । यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।और कई लोग यम देवता का व्रत भी करते हैं।
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भगवान धन्वंतरि की तरह ही माता लक्ष्मी भी समुद्र से समुद्र मंथन से ही पैदा हुयी थीं।और वे धन की देवी हैं।किन्तु याद रहै उनकी कृपा पाने के लिए भी व्यक्ति को स्वस्थ शरीर व स्वस्थ दिमाग के साथ-2 लम्बी आयु भी चाहिये शायद इसी कारण भगवान ने पहले भगवान धन्वंतरि को भेजा कि पहले समाज को इस योग्य तो कर दो कि वे लक्ष्मी मा की कृपा के पात्र बन सकें।वैसे भी सब प्रकार की सम्पत्तियों में से एक सम्पत्ति स्वयं स्वास्थ्य भी होता है।यही कारण है कि दीपावली से दो दिन पहले ही यानि धनतेरस से ही दीपमालिकाऐं सजने का क्रम शुरु हो जाता है।चूँकि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को ही भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था सो इसी तिथि के कारण यह धनतेरस भी कहलाता है।और उनके हाथों में अमृत कलश थे सो इस दिन वर्तन खरीदने का क्रम चल पड़ा है।लोक मान्यता यह भी है कि इस दिन खरीदी हुयी वस्तु में तेरह गुणा मूल्य वृद्धि होती है।इस दिन कुछ किसान धनिया खरीदकर रखते हैं जिसे दीपाबली के बाद बगीचों में बोया जाता है।
                           यम दीपदान -
धनतेरस को सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें।उसके बाद गंध,पुष्प,अक्षत से पूजन करके दक्षिण दिशा की ओर मुह करके यम भगवान से निम्न प्रार्थना करें।
        मृत्युना दंडपाशम्याम कालेन श्यामया सह।
         त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रयतां मम।।

 आखिर में सभी पाठकों व ब्लागर साथियों को धनतेरस,दीपावली व गोवर्धन की हार्दिक शुभकामनाऐं।यह दीपावली आप सभी के परिवारो को नवोल्लास व नव ज्योति व नव ऊर्जा प्रदान करने वाली होवे।जय हिन्दु राष्ट्र ,जय श्री राम ,जय जय श्री कृष्ण 
                  श्रीगणेश जी सदा सहाय     महालक्ष्मी जी सदा सहाय




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