यौवन ऊर्जा क्या है और इसको कैसे बरकरार रखें।What is youth energy and how to maintain it.
य़ौवन ऊर्जा क्या है कैसे इसे रखे बरकरारWhat is youth energy and how to maintain it. |
यौवन किसी जीव के जीवन की वह अवस्था है जिसमें उस जीव को सर्वाधिक शक्ति प्राप्त होती है। यह वह अवस्था है जव टेस्टेस्टेरॉन नामक जैविक हार्मोन उत्पन्न होकर प्रभाव दिखाने लगता है। मानव
के प्रजनन अंगों का विकास दाढ़ी मूछ का आना लिंग इंद्रिय के पास तथा बगलों
में बालों का आना आदि का प्रारंभ भी यौवन अवस्था मैं ही शुरु होता है ।
यौवनावस्था में शरीर सुगठित होकर मांसपेशियों का आकार बढ़ता है तथा व्यक्ति का बचपन समाप्त होकर उसका
मानसिक विकास भी होने लगता है।
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आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार लड़कों में 16 वर्ष के बाद तथा लड़कियों में 12 वर्ष के उपरांत यौवन के लक्षण उभरने लगते हैं। लड़कियों में इस अवस्था के प्रारंभ में डिम्ब ग्रंथियों में एस्ट्रोजन का स्राव होने लगता है जिससे उनके प्रजनन अंग बढ़ने लगते हैं तथा उनमें आर्तव दर्शन या मासिक धर्म प्रारंभ हो जाता है आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार लड़कों में 16 वर्ष के बाद तथा लड़कियों में 12 वर्ष के बाद युवावस्था के लक्षण उभरने लगती हैं। लड़कियों में इस अवस्था के प्रारंभ में ग्रंथियों में एस्ट्रोजन का प्रभाव बढ़ने लगता है जिसे उनके प्रजनन अंग बढ़ने लगते हैं तथा उनमें आर्तव दर्शन या मासिक धर्म प्रारंभ हो जाता है
महर्षि सुश्रुत के अनुसार
"तद्वर्षाद् द्वादशादूर्ध्वे याति पंचाशतः क्षमम्।"
अर्थात स्त्रियों में 12 वर्षों से ऋतु धर्म प्रारंभ होकर उनमें यौवन के लक्षण उभरने लगते हैं तथा साथ ही साथ स्राव और गर्भधारण की क्षमता का विकास भी हो जाता है जो 50 वर्षों तक चलता रहता है यौवन जीवन का वह अमूल्य हिस्सा है जिसकी सुरक्षा से जीवन पर्यंत शारीरिक ऊर्जा शक्ति बनी रहती है। शरीर एक यंत्र के समान हैं जिसमें ऊर्जा को बनाए रखना आवश्यक ही नहीं परम आवश्यक भी होता है। जिस प्रकार यांत्रिक शक्ति को बनाए रखने के लिए उसकी नियमित सफाई ग्रीस-मोबिल का प्रयोग आवश्यक होता है। उसी प्रकार जीवन की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए भी उसकी देखभाल सुरक्षा और रखरखाव आवश्यक होता है। ऊर्जा अर्थात शक्ति को बनाए रखना तभी संभव होता है जब विधिवत प्रक्रियाओं से गुजरा जाए, जैसे मशीन की शक्ति को बनाए रखने के लिए उसकी साफ-सफाई, घिसे हुए पुर्जों को बदलने आदि पर परम आवश्यक रूप से ध्यान देना होता है। जैसे यंत्र मंत्र तंत्र की ऊर्जा शक्ति को बनाए रखने के लिए उससे संबंधित आवश्यक अनुष्ठान जप यज्ञ आदि की क्रियाएं करनी होती हैं। उसी प्रकार यौवन क़ी ऊर्जा को कायम रखने के लिए भी उचित आहार-विहार एवं व्यायाम संबंधी अनेकानेक क्रियाओं का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। अन्यथा एक जर्जर मशीन की तरह यौवनावस्था भी अनेक बीमारियों से ग्रसित होकर एक जंजाल बन सकती है।
यौवन जीवन का स्वर्ण काल है
यौवन में सौंदर्य का एक अनोखा आकर्षण होता है और इसी कारण हर कोई अपने आप को सदैव युवा बनाऐ रखने की चाहत रखता है क्योंकि युवावस्था मौज-मस्ती, उमंग, उत्साह एवं क्रियाशीलता का संगम होता है । इस अवस्था में युवक-युवतियों में एक विशेष आकर्षण, शक्ति, उत्साह एवं जोश भरा रहता है। इसी कारण इस अवस्था को जीवन का स्वर्ण काल भी कहा जाता है। इस उम्र में साहस, बल, बुद्धि, व कौशल शिखर पर होते है। युवावस्था में शरीर पूर्ण रूप से स्वस्थ बना रहता है। तथा इस समय शारीरिक कष्ट सहने की शक्ति होती है। इस शक्ति ऊर्जा को बनाए रखकर जीवन के वास्तविक आनंद एवं सुखों को पाते रहने की अभिलाषा को यौवन ऊर्जा के नाम से जाना जाता है।
इस यौवन ऊर्जा को बरकरार रखने के लिए निम्नांकित उपाय आवश्यक है
यौवन ऊर्जा को बरकरार रखने के लिए खान-पान पर नियंत्रण खान-पान पर नियंत्रण -
उचित समय उचित प्रकार उचित ढंग से उचित भोजन करें
यह देखा जाता है कि लोग दिन भर भेड़ बकरियों की तरह कुछ ना कुछ
खाते ही रहते हैं चाट पकौड़ी खट्टी मीठी चटपटी वस्तुओं को हमेशा खाते रहने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है तथा यौवन की शक्ति नष्ट होकर सुंदरता का
नाश हो जाता है। जिस प्रकार किसी मशीन को निरंतर चलाते रहने से वह
अपेक्षाकृत शीघ्र खराब हो जाती है उसी प्रकार निरंतर कुछ ना कुछ खाते रहने
से पाचन क्रिया खराब होकर यौवन शक्ति को बाधित कर डालती है अतएव इस आदत का
त्याग कर देना चाहिए और उचित समय पर उचित प्रकार का सही ढंग से भोजन करना
चाहिए।
यौवन ऊर्जा की बहतरी के लिए अत्याधुनिकता को त्यागें--
सादा जीवन उच्च विचार का पालन करें। चुस्त वस्त्र न पहनकर ढीले ढाले वस्त्र पहने।
अनेक युवक युवतियां
अत्याधुनिकता के परिवेश में फंसकर एकदम कशे हुए चुस्त वस्त्रों को पहनते
हैं तथा अनेक प्रकार के कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग करते हैं
अत्यधिक चुस्त वस्त्रों को पहनने से मेलाटोनिन नामक हार्मोन के स्राव में
बाधा उत्पन्न होती है तथा यौवन शक्ति का ह्रास होने लगता है अनेक अनुसंधानो
से यह साबित हो चुका है कि मेलाटोनिन हार्मोन विटामिन ए, सी व बीटा कैरोटीन
से कहीं अधिक फायदेमंद है। यह त्वचा की बाहरी परत पर होने वाले परिवर्तन
तथा मृत कोशिकाओं के आक्रमण से सुरक्षित रखता है यह त्वचा पर झुर्रियां
नहीं होने देता तथा नींद को आमंत्रित करके शारीरिक व मानसिक सुखों को
प्रदान करता है शरीर में आवश्यक रूप से मेलाटोनिन का स्राव होता रहे एवं
यौवन दीर्घकाल तक बना रहे इसके लिए ढीले ढाले वस्त्र पहनने चाहिए।
यौवन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए संतुलित आहार लें--
यौवन ऊर्जा को कायम रखने के लिए संतुलित पौष्टिक व शीघ्र पचने वाले भोजन को लेते रहना परम आवश्यक है आहार ऐसा होना चाहिए जिसमें मधुर सात्विक रस युक्त जायकेदार पौष्टिक सुपाच्य एवं संतुलित होने का गुण विद्यमान हो। ताजी हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, सलाद चोकर सहित आटा, अंकुरित दाने, दूध, दही, मक्खन का प्रयोग यौवन ऊर्जा को बनाए रखते है। टमाटर, पालक, पपीता, जायफल तथा मौसमी फलों का खुलकर प्रयोग करना चाहिए। विटामिन सी वाले फलों यथा ऑवला, नींबू आदि का प्रयोग प्रचुर मात्रा में करते रहना चाहिए। यौवन की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए आहार में पके केले को स्थान अवश्य देना चाहिए इससे शरीर के अवयव पुष्ट होते हैं तथा अनेक रोग पनप नहीं पाते हैं। रोज रात में दो केला खाकर एक गिलास दूध पी लेने से युवाओं की ऊर्जा बरकरार रहती है। संतुलित भोजन न सिर्फ तन मन को ही दुरुस्त रखता है बल्कि आयु वर्धक भी होता है।
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यौवन ऊर्जा को तेल मालिश से बढ़ाया जा सकता है--
Tel Malish तेलमालिस से यौवन प्राप्ति
तेल मालिश यौवन क़ी ऊर्जा को बनाए रखने का सर्वोत्तम साधन माना जाता है मालिश एक उनके रक्त परिसंचरण की चाल में वृद्धि होती है। फलस्वरूप शरीर में पहले से इकट्ठे हुए विजातीय दृव्य भी बाहर निकल जाते है।मालिश से न सिर्फ त्वचा ही सुंदर व कसी हुयी रहती है बल्कि संपूर्ण शरीर का समुचित विकास भी होता है जिससे तन में स्फूर्ति व मन में हमेशा जोश भी बना रहता है। आयुर्वेद के नियमों के अनुसार सुबह अपने शरीर पर सरसों तेल से अच्छी तरह 15 से 30 मिनट तक मालिश करनी चाहिए। तेल की मालिश से शरीर की त्वचा की एवं पेशियों की कसरत हो जाती है तथा उसे पोषण भी प्राप्त होता है सिर में तेल मर्दन करने से मस्तिष्क को ताजगी मिलती है और नेत्रों की ज्योति अधिक समय तक बनी रहती है मालिश सिर के केशों को सुदृढ़ करती है तथा केश चमकीले होते हैं बालों को पोषण मिलने से बाल असमय सफेद नहीं होते। मालिश से स्तन मांसल होते हैं साथ ही मोटापा भी नहीं बढ़ता है। अगर समय का अभाव हो और प्रतिदिन मालिश ना हो पाए तो सप्ताह में एक बार ही बादाम तेल और सरसों के तेल से मालिश अवश्य ही करनी चाहिए ताकि यौवन शक्ति प्राप्त होती रहे।
व्यायाम यौवन की वृद्धि और बनाए रखने में अत्यधिक सहायक हैं ---
सूर्य नमस्कार और व्यायाम |
व्यायाम से मांसपेशियों में शरीर की शक्ति का संचार होता है क्योंकि शरीर की शक्ति मांसपेशियों पर ही आधारित होती है व्यायाम करने से मांसपेशियों में विकास होता है जिससे बाधारहित रक्त का संचार होने लगता है इससे अस्थिया व उपास्थियाँ मजबूत बनती हैं व्यायाम से फेफड़े व हृदय की वायुवीय क्षमता अधिकतम बनी रहती है। व्यायाम करते रहने से पीठ व जोड़ों के दर्द, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गर्भाशय की विकृतियां आदि अनेक रोग नष्ट हो जाते हैं तथा यौवन शक्ति का विकास होता है यौवन की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए सूर्य नमस्कार, पद्मासन, पर्वतासन, कुक्कुटासन, सिद्धासन, सिंहासन, मंडूकासन, गोमुखासन, पादांगुस्ठासन, वीरासन, शवासन मत्स्यासन, हलासन, सर्वांगासन, भुजंगासन, धनुरासन, मकरासन, मयूरासन, तोलसन, वज्रासन, उष्ट्रासन, गरुणासन, वृक्षासन,शीर्षासन, चक्रासन, पश्चिमोत्तानासन के साथ ही प्राणायाम आवश्यक रूप से करते रहने चाहिए। उपरोक्त आसनों में से कुछ ऐसे आसनों का चुनाव कर लेना चाहिए जो आसानी से आप द्वारा किए जा सके। मोटापा अर्थात शरीर में अतिरिक्त चर्बी के बढ़ जाने की स्थिति को व्यायाम द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है।
यौवन ऊर्जा की वृद्धि के लिए सुखद दांर्पत्य आवश्यक है ---
यौवन के लिए जरुरी है दांपत्य
संसार की सभी सुख मौजूद हों। किंतु दांपत्य जीवन सुखद न हो तो
यौवन ऊर्जा को स्वतः ही कम होने लग जाती है और जीवन रेगिस्तान की तरह नीरस
प्रतीत होने लगता है। तनाव मुक्त जीवन से यौवनऊर्जा की ऊर्जा सतत बरकरार
रहती है अर्धांगिनी सिर्फ सेक्स पार्टनर ही नहीं होती बल्कि वह एक सच्चे
मित्र के समान सलाहकार एवं हितैषी भी होती है । पत्नी की एक मुस्कान रोगों
एवं समस्याओं से छुटकारा दिला पाने में सक्षम होती है। कामशास्त्र के एक
प्रसंग में कहा गया है कि पत्नी का एक आलिंगन 1 वर्ष तक की उम्र को बढ़ा देता
है। इसी प्रकार एक चुंबन डेढ़ वर्ष तथा तनाव मुक्त वातावरण 5 वर्ष की उम्र को
बढ़ा देता है। आलिंगन में न सिर्फ परिपुष्ट स्तन ही पुरुष की छाती की सामीप्यता पाते हैं बल्कि पत्नी का त्याग, ममत्व, उदारता एवं
सेवाभावी विचारधारा भी पुरुष के मन तक पहुंच कर उसकी शारीरिक व मानसिक ऊर्जा शक्ति
को बढ़ाती है तथा उसे तरोताजा बनाए रखती हैं। यौवन ऊर्जा को बनाए रखने के
लिए जीवन को आनंदित बनाए रखना आवश्यक है
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यौवन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए नशीली वस्तुओं का त्याग आवश्यक है ---
धूम्रपान तथा मद्य पान एक फैशन के रूप लेता जा रहा है धूम्रपान मद्यपान गुटका एवं नशीली वस्तुओं के सेवन से शारीरिक ऊर्जा की शक्ति कम होती चली जाती है तथा असमय ही अनेक बीमारियां आकर स्वास्थ्य को असंतुलित बना डालती है। सिगरेट या तंबाकू में पाए जाने वाले निकोटिन और कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा शरीर में पहुंचकर नुकसान पहुंचाती है फलस्वरुप त्वचा में रक्त का संचार करने वाली शिरोओं की प्रक्रिया में अवरोध पैदा होता है जिससे चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लग जाती हैं। नशीली वस्तुओं के सेवन से हृदय रोग, कैंसर रोग, अस्थि रोग, चर्म रोग मुखरोग आदि अनेक बीमारियां हो जाती हैं जिसके कारण यौवन ऊर्जा का हृास होता है। यौवन क़ी ऊर्जा को अनवरत बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि नशीली वस्तुओं का त्याग कर दिया जाए।
समुचित नींद यौवन ऊर्जा को बढ़ाने के लिए आवश्यक है -
समय पर सोना समय पर जागना यौवन क़ी ऊर्जा को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। आयुर्वेदिक ग्रंथ चरक संहिता के अनुसार भरपूर नींद से प्रसन्नता व संतोष के साथ बुद्धि की प्राप्ति एवं स्फूर्ति भी प्राप्त होती है। नींद पूरी नहीं होने से तनाव झुंझलाहट कमजोरी बुद्धि हीनता के साथ ही अन्य को बीमारियां आ घेरती हैं ।
मेलाटोनिन नामक हार्मोन का रिसाव मस्तिष्क में मौजूद पीनियल ग्रंथि द्वारा नित्य निद्रावस्था में ही हुआ करता है। यह हार्मोन मानव को हमेशा यौवनमय बनाए रखता है तथा इस हार्मोन द्वारा लाभ प्राप्त करने के लिए भरपूर नींद लेना आवश्यक है। एक व्यस्क को कम से कम 6 घंटा तो अवश्य ही सोना चाहिए। अच्छी नींद के आने से झुंझलाहट, तनाव, क्रोध, आलस आदि यौवन की शक्ति को क्षीण कर देते हैं।आध्यात्मिक जीवन भी यौवन ऊर्जा में वृद्धि करता है---
यौवन ऊर्जा के लिए आवश्यक है आध्यात्मिकता |
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आयुर्वेद में वर्णित रसायनों का प्रयोग से यौवन ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है--
आयुर्वेद में ऐसे अनेकों अमूल्य रसायनों का वर्णन मिलता है जिनके प्रयोग से यौवन की ऊर्जा बनी रहती है। स्वर्ण मकरध्वज, बसंत कुसुमाकर रस, लक्ष्मीविलास( नारदीय ) रस, पुष्पधन्वा रस, पूर्णचंद्र रस, मन्मथ रस, स्वर्ण बटी , द्राक्षासव, द्राक्षारिष्ट, च्यवनप्राश, ब्रहम रसायन, आमलकी रसायन, त्रिफलाघृतम, शिलाजीत रसायन, पिप्पली रसायन, त्रिफला रसायन, शिलाजीत रसायन, मकरध्वज वटी, हारीतकी रसायन आदि अनेक रसायन है। इनमें से किसी एक का नियम अनुसार सेवन करने से यौवन क़ी ऊर्जा को बनाए रखा जा सकता है। रसायन यौवन को दीर्घकाल तक बनाए रखता है तथा इसके नियमित सेवन से दीर्घायु, स्फूर्ति, मेधा, आरोग्य, बल एवं कांति की प्राप्ति होती है।
हंसना यौवन ऊर्जा के लिए एक टॉनिक है----
हंसना यौवन वृद्धि के लिए टॉनिक है।
विश्व विख्यात मनोवैज्ञानिक डॉ. विलियम फ्राइड के अनुसार
"जो व्यक्ति प्रतिदिन केवल तीन बार खुलकर हंसता है। उसे जीवन में किसी डॉक्टर की आवश्यकता नहीं होती है"
दिल खोलकर हंसना, मन और हृदय के लिए पूर्ण पोषक है और यह हार्टअटैक समेत अन्य तनाव जनित अनेक बीमारियों से बचाए रखने में मदद करता है।
आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार 'हंसी से रक्त प्रभाव में तेजी आती है जिसे स्वास्थ्य सक्रिय होकर फेफड़े फैलती हैं आंखों में चमक आती है तथा शरीर पुष्ट होता है शरीर के आंतरिक व्यायाम के रूप में हंसी कारगर साधन है।
फ्राइड के अनुसार हंसते रहने वाले व्यक्ति को ना तो कभी खतरनाक बीमारियों का ही सामना करना पड़ता है। और ना ही पत्नी के सामने लज्जित होना पड़ता है क्योंकि हंसी यौवन ऊर्जा को निरंतर बनाए रखती है। अतः यह आवश्यक है कि यौवन की हरियाली में यौवन ऊर्जा को बनाए रखने के प्रति स्वयं को जागृत करके अनुपम सुखों को प्राप्त किया जा सकता है। उपरोक्त उपायों को अपनाकर निश्चित ही यौवन ऊर्जा को बनाए रखा जा सकता है।
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