दस्त,अतिसार व संग्रहणी का रामवाण इलाज - ग्रहणी कपाट रस (रसयोग सागर) Dast,Atisaar va Sangrahanee ka Raamavaan Ilaaj - Grahanee Kapaat Ras (rasayog saagar) - The Light Of Ayurveda : An Info Website for Health and Ayurveda.

Breaking

Whats app

Ayurveda Ancient Natural Traditional Medical Science

WWW.AYURVEDLIGHT.BLOGSPOT.COM

शनिवार, 22 अक्तूबर 2016

दस्त,अतिसार व संग्रहणी का रामवाण इलाज - ग्रहणी कपाट रस (रसयोग सागर) Dast,Atisaar va Sangrahanee ka Raamavaan Ilaaj - Grahanee Kapaat Ras (rasayog saagar)

दस्तों का आयुर्वेदिक इलाज -- ग्रहणी कपाट रस(रसयोग सागर)

  दस्त,अतिसार व संग्रहणी का रामवाण इलाज - ग्रहणी कपाट रस (रसयोग सागर)

अतिसार, अतिसार के लक्षण, दस्त के घरेलू उपचार, डायरिया का उपचार, दस्त रोकने के घरेलू उपाय, दस्त का देशी इलाज, दस्त की घरेलू दवा, दस्त के कारण,पेट में दर्द, आँव के कारण होने वाला दर्द तथा आँव

दस्तों का आयुर्वेदिक इलाज         The Light Of Ayurveda

दस्त या अतिसार, संग्रहणी व पुराने से पुराना अतिसार अर्थात भयंकर दस्तों को दूर कर देने वाली यह औषधि योग आयुर्वेदिक ग्रंथ रसयोग सागर से लिया गया है

  ग्रहणी कपाट रस बनाने की विधि ---

इस योग में  शुद्ध पारा 20 ग्राम, शुद्ध गंधक 100 ग्राम, शुद्ध अफीम 40 ग्राम , कर्पद भस्म 70 ग्राम, शुद्ध वत्सनाभ 10 ग्राम, काली मिर्च 80 ग्राम, शुद्ध धतूरा बीज 200 ग्राम लेकर पारे तथा गंघक की कज्जली बनाकर अन्य बाकी औषधियों का कपड़छन चूर्ण मिलाकर तथा जल के साथ खरल करके 125 मिलीग्राम की गोलियाँ वना कर रख लें।1-2 गोली सफेद जीरे के 1 ग्राम चूर्ण के साथ देने पर पुराने अतिसार, संग्रहणी रोग में आराम मिलता है।

दस्त रोकने के लिए ग्रहणी कपाट रस की मात्रा व अनुपान--- 

भयंकर से भयंकर अतिसार,संग्रहणी व पुराने अतिसार को रोकने के लिए ग्रहणी कपाट रस एक अति श्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधि है जो अफीम द्वारा निर्मित की जाती है।
यह आमाविकार नष्ट करके अग्नि को प्रदीप्त करता है, ग्रहणी कपाट रस सग्रहणी की प्रत्येक अवस्था में चाहें रोग किसी भी प्रकार पैदा हुआ हो अर्थात वात दोष, पित्त दोष या फिर कफ दोष किसी से भी रोग पैदा हुआ हो, ग्रहणी कपाट रस से हर प्रकार से उत्पन्न संग्रहणी को नष्ट किया जा सकता है।

 जब कभी पेट में दर्द हो, बार बार दस्त हों या फिर दस्तों में साथ में जलन भी हो, दस्तों के साथ आँव भी आवे या फिर मरोड़ के साथ दस्त हों यहाँ तक कि दस्तों में साथ में खून भी आवे तो ग्रहणी कपाट रस एक श्रेष्ठ औषधि है, इसके प्रयोग से आँव का पाचन हो जाता है, तथा अग्नि प्रदीप्त हो जाती है। और यही कारण है  आँव के साथ दस्त होने का, जहाँ कारण मिटा रोग समाप्त अर्थात आँव का पाचन होने तथा अग्नि के प्रदीप्त होने से पाचन क्रिया ठीक होने लगती है तथा रक्त में लाल रुधिर कणिकाओं अर्थात आर.बी.सी की वृद्धि होने लगती है और जल का जो अंश मौजूद था वो सूखने लगता है अतः बँधा हुआ मल आने लगता है।चूँकि इस औषधि में  धतूरा तथा अफीम दोनों होते हैं और दोनो ही पेन किलर भी हैं तथा ग्राही है अतः शरीर द्वारा तुरन्त ही ग्रहण कर लिये जाते हैं और लाभ पहुँचाते हैं।

 अगर आँव के कारण पेट में दर्द भी हो तो  ग्रहणी कपाट रस को शंख भस्म के साथ लेने से आँव के कारण होने वाला दर्द तथा आँव दोनो का निदान हो जाता है जब कि दस्त न रुक रहे हो तब इस रस का प्रयोग करने से दस्त रुक जाते हैं। 

अतिसार, अतिसार के लक्षण, दस्त के घरेलू उपचार, डायरिया का उपचार, दस्त रोकने के घरेलू उपाय, दस्त का देशी इलाज, दस्त की घरेलू दवा, दस्त के कारण,पेट में दर्द, आँव के कारण होने वाला दर्द तथा आँव

1 टिप्पणी:

हमारी वेवसाइट पर पधारने के लिए आपका धन्यबाद

OUR AIM

ध्यान दें-

हमारा उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व में आय़ुर्वेद सम्बंधी ज्ञान को फैलाना है।हम औषधियों व अन्य चिकित्सा पद्धतियों के बारे मे जानकारियां देने में पूर्ण सावधानी वरतते हैं, फिर भी पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी औषधि या पद्धति का प्रयोग किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें। सम्पादक या प्रकाशक किसी भी इलाज, पद्धति या लेख के वारे में उत्तरदायी नही हैं।
हम अपने सभी पाठकों से आशा करते हैं कि अगर उनके पास भी आयुर्वेद से जुङी कोई जानकारी है तो आयुर्वेद के प्रकाश को दुनिया के सामने लाने के लिए कम्प्युटर पर वैठें तथा लिख भेजे हमें हमारे पास और यह आपके अपने नाम से ही प्रकाशित किया जाएगा।
जो लेख आपको अच्छा लगे उस पर
कृपया टिप्पणी करना न भूलें आपकी टिप्पणी हमें प्रोत्साहित करने वाली होनी चाहिए।जिससे हम और अच्छा लिख पाऐंगे।

Email Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner