दर्द क्या है और क्यों होता है यह दर्द और आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
दर्द क्या है ?
दर्द स्नायु तंत्र में होने वाली एक सामान्य संवेदना है जिसमें भेदने की सी अनुभूति होती है। इसे आयुर्वेद शास्त्रों में शूल के नाम से वर्णन किया गया है।
दर्द क्यों होता है ?
वास्तव में यह एक सचेतक के रुप में कार्य करने वाली मानसिक व शारीरिक प्रक्रिया है। जो हमारे किसी अंग प्रत्यंग की गड़वड़ी की सूचना हमारे मस्तिष्क को अपने इस रुप में प्रदान करता है। और बताता है कि इस अंग या प्रत्यंग की गड़वड़ी को सुधारें। इसके कारण ही चिकित्सक भी किसी रोग का आसानी से निदान कर पाता है।
मैने जो उपरोक्त जानकारी आपको प्रदान की है यह वास्तव में मैरी नही है अपितु आयुर्वेद के महान ऋषि और शल्य चिकित्सा के आदि गुरु महर्षि श्रुषुत ने दी है। उन्हौने बताया है
"भेदनवत अनुभूति ही शूल है। "यह दर्द बेशक किसी रोग के निदान में सहायक है लैकिन जब यह लगातार होने लगे अथवा तीव्रगति से उठे तो निश्चित ही इसका उपचार बहुत आवश्यक है। विभिन्न अंगों से उठने वाले दर्द या शूल अथवा पेन की सम्प्राप्ति अलग अलग हो सकती है। इन अंगाग प्रत्यांग रोगानुसार शूल की संप्राप्ति को जान लिया जाऐ तो रोग निदान व शूल व रोग का शमन करने दोनों में सुविधा हो जाती है।
आधुनिक मत के
अनुसार मानव शरीर में नर्व या नाड़ियां बिजली के तारों की तरह आपस में
जुड़ी रहती हैं, जो किसी भी हिस्से में दर्द या फिर चोट का संदेश तुरंत
मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। शरीर के सभी हिस्सों में फैली इन नाड़ियों के
क्षतिग्रस्त होने, रक्त परिसंचरण के बाधित होने या फिर किसी नाड़ी के फटने
के कारण दर्द होता है।
आयुर्वेदानुसार शूल या दर्द होने के दो कारण होते हैं।
1. वायु प्रकोप से
2. आम के संचय से
दर्दंं के बारे में एक बात हमारे यहाँ कही जाती है कि विना वात के दर्द नही होता अतः दर्द अगर हैं तो दर्द का कारण भी अवश्य ही होगा। यह कारण शारीरिक और मानसिक अथवा दोनों स्तर पर हो सकता है। किसी दवा का रिएक्शन, कोई संक्रमण, किसी अंग प्रत्यांग में चोट, सूजन, रक्त का परिसंचरण , जलन और तनाव सभी अपने-अपने स्तर पर शरीर के विभिन्न हिस्सों पर अपना प्रभाव डालते हैं, जो दर्द का कारण बनते हैं।इनमें दर्द की मानसिक अनुभूति तो होती ही है साथ ही कई बार शारीरिक लक्षण भी दृष्टिगोचर होतें हैं, जैसे उल्टी होना, चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना, उनींदापन महसूस होना इत्यादि। इसके अलावा भावनात्मक स्तर पर यही दर्द क्रोध, अवसाद, मूड बदलने या चिड़चिड़ेपन के रूप में भी देखा जा सकता है। दर्द को ठीक करने के लिए जहां दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं, वहीं एक्यूप्रेशर और सुजोक जैसी पद्धतियों में खासतौर पर दर्द के खास बिंदुओं पर दबाव उत्पन्न कर रक्त संचरण को नियमित किया जाता है। लेकिन हम किसी एक्यूप्रेशर या सुजोक पद्धति के बारे में बात नही कर रहे है हम तो केवल आयुर्वेदिक औषधियों पर बात करने जा रहे हैं जिसे हम एक श्रंखला के रुप में वर्णित करेंगे।
आज हम अपने लेख में निम्न प्रश्नों पर बात करेंगे --
आँखों के दर्द का घरेलू उपाय
सिर दर्द का घरेलू उपचार
सूर्यावर्त रोग का घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
माइग्रेन का आयुर्वेदिक समाधान
रतौंधी व अन्य नेत्र रोगों का आयुर्वेदिक व घरेलू इलाज
नेत्र के पकने या आँखों से पानी बहने का आयुर्वेदिक घरेलू समाधान
कनपटी, कान, आंख, और आधे सिर में होने वाले दर्द , सूर्यावर्त या सूर्योदय के समय से उठकर शाम को सूर्यास्त के समय तक होने वाले दर्द, माइग्रेन, रात में दिखाई न देना या रतौंधी , नेत्र में पकाव हो जाना, आँसू लगातार गिरना आदि अनेक नेत्र रोगों को नष्ट करने की एकमात्र घरेलू दवा या आयुर्वेदिक औषधि धात्र्यादि क्वाथ की , Migraine Home Remedies, अधकपारी का दर्द, Rantodhi, netra rog
आखिर इस दर्द की दवा क्या है ?
दर्द की दवा काढ़े का नाम --- धात्र्यादि क्वाथ
धात्र्यादि क्वाथ शारंगधर संहिता (2/143-145 ) से लिया गया आयुर्वेदिक योग है।
जिसमे हरड़, गिलोय, बहेड़ा, आंवला, हल्दी,चिरायता, नीम की छाल सभी समान मात्रा में लेकर क्वाथ विधि से काढ़ा या क्वाथ बनाऐं।
और इस मिश्रण की 15 ग्राम मात्रा लेकर 250 ग्राम पानी में धीमी धीमी आंच पर चौथाई पानी रहने तक उबालें। आग से उतारकर छानकर पीयें। नित्य दिन में दो बार इसका सेवन करते रहने से धीरे धीरे उपरोक्त सभी विकार समाप्त हो जाते हैं।
दर्द की दवा टेबलेट नाम---
इसके अलावा आजकल इसकी टेवलेट भी बाजार में मिलने लगी हैं जो Dhaathryaadi Kashaayam के नाम से मिलती हैं यह बिना डाक्टर के पर्चे से मिलने वाली आयुर्वेदिक औषधि है जो मैडीकल स्टोर्स से खरीदी जा सकती है।इस Tablet की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है।
इस फार्मूले में
हल्दी के फायदे --
- हल्दी चोट या संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने वाली आयुर्वेदिक दवा है।
- जो एक अच्छा एंटी आक्सीडेंट है जिसके कारण यह मुक्त कणों को साफ करके ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करती है।
- यह हमारे प्रतिरक्षा तंत्र पर प्रभाव डालकर प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्यों को ठीक करने में मदद करती है।
- इसके अलावा सूक्ष्म जीवों (जीवाणु या वायरस) को बढ़ने से रोकती है और धीमें धीमें उनका सफाया कर देती है।
हरीतकी या हरड़ के फायदे --
- हरड़ सूजन को कम करने वाली आयुर्वेदिक दवा है।
- हरड़ जीवित कोशिकाओं में मुक्त कणों के ऑक्सीकरण के प्रभाव को रोकती है।
- और मस्तिष्क पर काम करते हुए नाड़ियों को आराम देने वाली औषधि है।
- इसके अलावा हरड़ बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है तथा उन्हैं समाप्त करती है।
- हरड़ एलर्जी में राहत प्रदान करती है।
नीम के फायदे ---
- नीम सूजन रोधी औषधि है जो सूजन को कम करके दर्द में राहत प्रदान करती है।
- नीम में एण्टी आक्सीडेंट तत्व होते हैं जो जीवित कोशिकाओं में मुक्त कणों के ऑक्सीकरण के प्रभाव को रोकते है।
- नीम प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करके इम्यूनिटी को मजबूत करती है।
- इसके अलावा नीम बैक्टीरिया के उत्पादन को रोकने में प्रभावी औषधि है।
वैसे आयुर्वेदानुसार यह फार्मूला ताजा ताजा बनाकर लेना ही श्रेष्ठ है वह ज्यादा व जल्दी फायदा करता है। जबकि टेवलेट के रुप में इसे लेना आसान है और कहीं भी किसी भी समय लिया जा सकता है यात्रा इत्यादि के समय भी इसे लेना आसान है। किन्तु फिर भी सुलभता को ध्यान में रखकर मेरे विचार से श्रेष्ठ उपाय अपनाना चाहिये। आप अगर घर में हैं तो इसका ताजा काढ़ा वनाकर ही लें वही ज्यादा श्रेष्ठ होगा। बाकी मैने आपको जानकारी दे दी है। जो आपको ठीक लगे करें और रोग मुक्त हों।
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