अमरुद लाजवाव स्वाद वाला पौष्टिकता से भरपूर फल है जो सर्वाधिक मात्रा में भारत में ही पैदा होता है।इसका पेड़ तीन से दस मी. तक ऊँचा हो जाता है।यह साल के बारहों महिने हरा रहने बाला पेड़ है।पेड़ का तना अन्य पेड़ों जैसा न होकर अपने आप में निराला ही होता है। जो अन्य पेड़ो की तुलना में काफी पतला सा होता है तथा छाल की परते सी उचली हुयी सी रहती हैं जो हरी व भूरे से रंग की होती है।इसके पेड़ों परसफेद रंग के फूल भी कहीं इक्का दुक्का तो कहीं 2-3 फूलों के गुच्छे में मि्लते हैं।बनाबट व गुणों के आधार पर कुछ जातियों में अमरुद का फल तो गोल सा होता है तो कई जातियों के अमरुद लम्बे से होते हैं।अमरुद का छिलका हरे रंग का पतला सा व पके अमरुद में यह पीला सा हो जाता है।अमरुद का गूदा पीला सा व कभी कभी गुलाबी भी होता है।गूदे के अन्दर बीज एक स्पेशल तरीके से लगे होते हैं।पकने पर इसका गूदा मुलायम व दानेदार हो जाता है जो बहुत स्वादिस्ट भी लगता है।इसके बीज बहुत कठोर होते हैं आजकल कुछ प्रजातियाँ एसी भी हैं जिनमे बीज हैं ही नही।
अमरुद एक एसा फल है जो पेड़ से टूटने के बाद कई दिनो तक तरोताजा ही बना रहता है।और अगर आपके घऱ में फ्रीज कीसुविधा है तो सोने पर सुहागा फिर तो आप 10-12दिन तक अमरुदों का मजा ले सकते हैं । लैकिन फिर भी मै तो यह ही कहूँगा कि आप अगर फलों का असली आनन्द लेना चाहते हैं तो भैया ताजे फल ही अच्छी प्रकार से धो कर खाऐं कारण यह है कि आजकल अधिक उत्पादन के चक्कर में किसान कीटनाशकों व रसायनों का भरपूर प्रयोग कर रहै हैं।
अगर अमरुद का रासायनिक विवेचन किया जाऐ तो 100 ग्राम अमरुद हमें प्रचुर मात्रा में फास्फोरस व पोटेशियम देने के साथ 152 मिलीग्राम विटामिन सी, 7 ग्राम रेसे,33 मिलीग्राम कैल्सियम,1 मिलीग्राम आयरन प्रदान करता है।अमरुद का प्रत्येक अंग आयुर्वेदिक दवा में काम आता है।
अमरुद कसेला,मधुर,खट्टा,तीक्ष्ण,बलवर्धक,उन्मादनाशक,त्रिदोषनाशक,दाह और बेहोशी नष्ट करने बाला है।
बच्चों के लिए भी अमरुद बहुत पौष्टिक फल है।अमरुद स्नायुमण्डल,पाचन तंत्र,हृदय व दिमाग को ताकत प्रदान करता है।
अमरुद एक एसा फल है जो पेड़ से टूटने के बाद कई दिनो तक तरोताजा ही बना रहता है।और अगर आपके घऱ में फ्रीज कीसुविधा है तो सोने पर सुहागा फिर तो आप 10-12दिन तक अमरुदों का मजा ले सकते हैं । लैकिन फिर भी मै तो यह ही कहूँगा कि आप अगर फलों का असली आनन्द लेना चाहते हैं तो भैया ताजे फल ही अच्छी प्रकार से धो कर खाऐं कारण यह है कि आजकल अधिक उत्पादन के चक्कर में किसान कीटनाशकों व रसायनों का भरपूर प्रयोग कर रहै हैं।
अगर अमरुद का रासायनिक विवेचन किया जाऐ तो 100 ग्राम अमरुद हमें प्रचुर मात्रा में फास्फोरस व पोटेशियम देने के साथ 152 मिलीग्राम विटामिन सी, 7 ग्राम रेसे,33 मिलीग्राम कैल्सियम,1 मिलीग्राम आयरन प्रदान करता है।अमरुद का प्रत्येक अंग आयुर्वेदिक दवा में काम आता है।
अमरुद कसेला,मधुर,खट्टा,तीक्ष्ण,बलवर्धक,उन्मादनाशक,त्रिदोषनाशक,दाह और बेहोशी नष्ट करने बाला है।
बच्चों के लिए भी अमरुद बहुत पौष्टिक फल है।अमरुद स्नायुमण्डल,पाचन तंत्र,हृदय व दिमाग को ताकत प्रदान करता है।
- पेट के दर्द में अमरुद का सफेद गूदा हल्के नमक के साथ खाने से आराम मिलता है।
- पुराने जुकाम में चूल्है की आग पर भुना हुआ अमरुद नमक व काली मिर्च के साथ खाने से जुकाम की स्थिति से छुटकारा प्राप्त होता है।
- चहरे के मुहासे हो जाने पर इसके पत्तों को पानी में उबाल कर उसमें नमक डालकर चहरे पर लगाने से मुहासे ठीक हो जाते हैं।
- अमरुद में पाया जाने बाला रेशा या फाइवर मेटावोलिज्म को ठीक रखने की सबसे अच्छी दवा है तो जिन लोगों का पेट खराव रहता है वो लोग अमरुद का सेवन अवश्य करें।
- नेत्र के रोगी भी अमरुद को खूब खाऐ कारण इसमे उनकी आँखों को लाभकारी तत्व विटामिन ए प्रचुर मात्रा में मि्लता है।
- मसूड़े व सांस के मरीजो के लिए इसकी पत्तियाँ चबाने से मसूड़े तो ताकतवर होंगे ही साथ ही साँस की ताजगी आएगी।
- चमकती दमकती त्वचा के लिए भी यह फायदे मंद है क्योंकि अमरुद में विटामिन ए,बी,व सी के साथ पोटेशियम भी प्रचुर मात्रा में मिलती है।अमरुद को पीसकर अगर चहरे पर लगाया जाए तो स्किन के दाग धब्बे तो दूर होंगे ही साथ ही त्वचा का भी निखार आएगा।
- आजकल का सबसे खतरनाक रोग बी.पी. का बढ़ना घटना है। इस रोग का भी उपाय यह अमरुद अपने आप में समाए हुए है।
- अमरुद रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा को संतुलित बनाए रखता है।यह रक्त का प्रवाह शरीर में बना रहे इसमें भी महत्वपूर्ण सहयोग करता है।
अन्त में यह कहकर मैं अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ कि संस्कृत भाषा में अमृत फल नाम से वर्णित अमरुद आजकल के शोधों में भी अपना महत्व पूर्ण स्थान बनाकर आयुर्वेद की महानता को वर्णित कर रहा है क्योंकि उस समय ऋषियों के पास आज की तरह के यंत्र नही थे न ही उनके पास आज के वैज्ञानिकों की तरह की सुविधाए ही थी परन्तु उनके पास जो दिव्य द्ष्टि थी उससे उन्होने आज कल के एलौपेथिक चिकित्सा शास्त्र की अपेक्षा कहीं अधिक विकसित ऐसी चिकित्सा पद्धति दी जिसमें साइड इफैक्ट का कहीं भी नाम नही था।और अमरुद की अगर बात करे तो इसके पौष्टिकता व गुणों को देखकर ही ऋषियों ने इसे अमृत फल नाम दिया था।
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