दूर्वा घास जिसे काली घास भी कहते हैं के आयुर्वेदिक गुण - The Light Of Ayurveda : An Info Website for Health and Ayurveda.

Breaking

Whats app

Ayurveda Ancient Natural Traditional Medical Science

WWW.AYURVEDLIGHT.BLOGSPOT.COM

गुरुवार, 29 नवंबर 2012

दूर्वा घास जिसे काली घास भी कहते हैं के आयुर्वेदिक गुण

यह लेख मैने फेसबुक एकाउण्ट आर्यावर्त से आप लोगों के लिये साभार लिया है।कृपया पोस्ट पढ़ो तथा लाभ उठाएं। 

दुर्वा की खास बातें जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये है चमत्कारी:-------
_______________________________________________________

क्या आप जानते हैं श्रीगणेश को एक विशेष प्रकार की घास अर्पित की जाती है जिसे दुर्वा कहते हैं। दुर्वा के कई चमत्कारी प्रभाव हैं। यहां जानिए दुर्वा से जुड़ी खास बातें-

गणपति अथर्वशीर्ष में उल्लेख है-
यो दूर्वांकरैर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति।
अर्थात- जो दुर्वा की कोपलों से (गणपति की) उपासना करते हैं उन्हें कुबेर के समान धन की प्राप्ति होती है।

प्रकृति द्वारा प्रदान की गई वस्तुओं से भगवान की पूजा करने की परंपरा बहुत प्राचीन है। जल, फल, पुष्प यहां तक कि कुश और दुर्वा की घास द्वारा अपनी प्रार्थना ईश्वर तक पहुंचाने की सुविधा हमारे धर्मशास्त्रों में दी गई है। दुर्वा चढ़ाने से श्रीगणेश की कृपा भक्त को प्राप्त होती है और उसके सभी कष्ट-क्लेश समाप्त हो जाते हैं।

हमारे जीवन में दुर्वा के कई उपयोग हैं। दुर्वा को शीतल और रेचक माना जाता है। दुर्वा के कोमल अंकुरों के रस में जीवनदायिनी शक्ति होती है। पशु आहार के रूप में यह पुष्टिकारक एवं दुग्धवर्धक होती है। प्रात:काल सूर्योदय से पहले दूब पर जमी ओंस की बूंदों पर नंगे पैर घूमने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।

पंचदेव उपासना में दुर्वा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह गणपति और दुर्गा दोनों को अतिप्रिय है। पुराणों में कथा है कि पृथ्वी पर अनलासुर राक्षस के उत्पात से त्रस्त ऋषि-मुनियों ने इंद्र से रक्षा की प्रार्थना की। इंद्र भी उसे परास्त न कर सके। देवतागण शिव के पास गए। शिव ने कहा इसका नाश सिर्फ गणेश ही कर सकते हैं। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर श्रीगणेश ने अनलासुर को निगल लिया। जब उनके पेट में जलन होने लगी तब ऋषि कश्यप ने 21 दुर्वा की गांठ उन्हें खिलाई और इससे उनकी पेट की ज्वाला शांत हुई।

दुर्वा जिसे आम भाषा में दूब भी कहते हैं एक प्रकार ही घास है। इसकी विशेषता है कि इसकी जड़ें जमीन में बहुत गहरे (लगभग 6 फीट तक) उतर जाती हैं। विपरीत परिस्थिति में यह अपना अस्तित्व बखूबी से बचाए रखती है। दुर्वा गहनता और पवित्रता की प्रतीक है। इसे देखते ही मन में ताजगी और प्रफुल्लता का अनुभव होता है। शाक्तपूजा में भी भगवती को दुर्वा अर्पित की जाती है।

पांच दुर्वा के साथ भक्त अपने पंचभूत-पंचप्राण अस्तित्व को गुणातीत गणेश को अर्पित करते हैं। इस प्रकार तृण के माध्यम से मानव अपनी चेतना को परमतत्व में विलीन कर देता है।

श्रीगणेश पूजा में दो, तीन या पांच दुर्वा अर्पण करने का विधान तंत्र शास्त्र में मिलता है। इसके गूढ़ अर्थ हैं। संख्याशास्त्र के अनुसार दुर्वा का अर्थ जीव होता है जो सुख और दु:ख ये दो भोग भोगता है। जिस प्रकार जीव पाप-पुण्य के अनुरूप जन्म लेता है। उसी प्रकार दुर्वा अपने कई जड़ों से जन्म लेती है। दो दुर्वा के माध्यम से मनुष्य सुख-दु:ख के द्वंद्व को परमात्मा को समर्पित करता है। तीन दुर्वा का प्रयोग यज्ञ में होता है। ये आणव (भौतिक), कार्मण (कर्मजनित) और मायिक (माया से प्रभावित) रूपी अवगुणों का भस्म करने का प्रतीक है।
  इसके अलावा फेसबुक पर ही इसका एक योग और भाई विनोद जैन सुराना ने लिखा है ।कि इस घास को घुटनों की प्राव्लम को दूर करने में भी प्रयोग होता है जिसके लिऐ घास को तोड़कर छाया में सुखा लें फिर मिक्सी में वारीक चूर्ण बना ले और इसका 1 चम्मच चूर्ण लेकर रो़ज दूध से लें।
Vinod Jain Surana Is gass k use se jis ko gutno (knee) k problem ho us k milk me mela k pee Jane se aa aram melta hai...
Isk ley is gass ko chaya me sukha kar suk Jane k baad ise pees le mixy se nhi haatho se kute or jab kut jai tab roz milk k saath 1spoon le...
@ भारतीय संस्कृति ही सर्वश्रेष्ठ है|

1 टिप्पणी:

हमारी वेवसाइट पर पधारने के लिए आपका धन्यबाद

OUR AIM

ध्यान दें-

हमारा उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व में आय़ुर्वेद सम्बंधी ज्ञान को फैलाना है।हम औषधियों व अन्य चिकित्सा पद्धतियों के बारे मे जानकारियां देने में पूर्ण सावधानी वरतते हैं, फिर भी पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी औषधि या पद्धति का प्रयोग किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें। सम्पादक या प्रकाशक किसी भी इलाज, पद्धति या लेख के वारे में उत्तरदायी नही हैं।
हम अपने सभी पाठकों से आशा करते हैं कि अगर उनके पास भी आयुर्वेद से जुङी कोई जानकारी है तो आयुर्वेद के प्रकाश को दुनिया के सामने लाने के लिए कम्प्युटर पर वैठें तथा लिख भेजे हमें हमारे पास और यह आपके अपने नाम से ही प्रकाशित किया जाएगा।
जो लेख आपको अच्छा लगे उस पर
कृपया टिप्पणी करना न भूलें आपकी टिप्पणी हमें प्रोत्साहित करने वाली होनी चाहिए।जिससे हम और अच्छा लिख पाऐंगे।

Email Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner