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गुरुवार, 22 नवंबर 2012

AYURVEDLIGHT.BLOGSPOT.COM
दूध जिसे अंग्रेजी में Milk व संस्कृत में क्षीर के नाम से जाना जाता है वास्तव में वह वस्तु है जिसे धरती का अमृत कहा जाता है वैसे भी अगर कहीं अमृत है तो वह यह दूध या दुग्ध ही है।इसमें सभी पौष्टिकतत्व एक ही पदार्थ या वस्तु में ही मिल जाते है सो इसे Complete Food  या पूर्ण भोजन भी कहा जा सकता है।इसमें जो पौष्टिक तत्व नही पाया जाता है वह है केवल विटामिन सी।बाकी सबसे श्रेष्ठ भोजन है दूध इसी लिए ऋषि मुनियों व आयुर्वेद के मनीशियों ने इसी कारण व्रत व उपवासों में जवकि रोटी व अन्न को खाने की मनाही लिखी है वही दूध को निरापद घोषित किया है।वैसे दूधों का औषधि के रुप में प्रयोग करते समय अनेको जानवरों के दूध जिसे जंगम दूध कहा गया है इस दुग्ध वर्ग में गाय,बकरी,गधी,उँटनी, भैड़,स्त्री,भैंस आदि का दूध लिया गया है।जबकि पेड़ व पौधों को भी औषधि द्रव्यों में प्रयोग किया गया है जिसे स्थावर दूध कहा गया है।वैसे बच्चे के लिए अपनी माँ का दूध ही सर्वोत्तम माना गया है किन्तु रोग की अवस्था में चाहैं रोग माँ को हो या बच्चे को हो को केवल गाय का दूध ही पिलाना सर्वोत्कृष्ट है।वैसे भी बीमार लोगों के लिए गाय का दूध एक टानिक की तरह है ।आज कल कुछ रोगों मे नये शोधों के अनुसार बकरी का दूध बहुत ही तीव्र फायदा करता देखा गया है जैसे कि डेंगू के इलाज में भी रोग के इलाज में अनुपान में बकरी का दूध पीने से फायदा होगा।
                    जिन लोगों की जठराग्नि थोड़ा कमजोर है या जिन्है गैस की शिकायत रहती है ऐसे लोग एक दिन अपने दूध में निम्न औषधियाँ मिलाकर प्रयोग करना चाहिय़े।
  1. इलायची 
  2. पीपर
  3. पिपलामूल 
आजी मसाले मिलाकर उवला दूध पीने से   शरीर गैस व मंदाग्नि का वि नाश होता है।
दूध से बनने बाली बस्तुऐं व उनके गुणः
मलाईः  मलाई एक एसा द्रव्य है जो दूध से ही निकलती है तथा यह गरिष्ठ,शीतल,बलबर्धक ,तृप्तिकारक, पुष्टिबर्धक  ,कफ कारक और धातु वढ़ाने बाले गुणों को रखता है।यह दूध को उबालकर प्राप्त होती है।यह पित्त,कफ,पुष्टिकारक ,कफ कारक,और धातु बर्धक है

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