तपेदिक रोग की चमत्कारी एंव अचूक आयुर्वेदिक औषधियाँ- डा. महेश चन्द्र वार्ष्णेय
सर्व प्रथम मैं यह बता दूँ कि यह लेख मैने अपने वार्ष्णेय दर्पण नामक पत्र के सितम्बर 2011 के अंक न.225 वें में पढ़ा था सो पहले तो छापने से पहले इस लेख के लेखक डा.महेश चन्द्र वार्ष्णेय जी जिनका पता है 90, शक्ति विहार,पीतमपुरा दिल्ली है का मैं अपने पाठक बंधुओं की ओर से आभार व्यक्त करता हूँ आपके लेख को हम लोग पढ़ पा रहै हैं।उसके बाद आभारी है वार्ष्णेय दर्पण की संपादक व संग्रहण टीम के जिनके प्रयासों द्वारा यह हमारे पास आया जिसे मैं अपने पाठको को प्रदान कर पा रहा हूँ।
तपेदिक या क्षयरोग के लक्षण (tuberculosis,T.B ke lakshan )
तपेदिक एक भयंकर रोग है जो रोगी को भीतर ही भीतर खोखला कर देता है। मनुष्य का शरीर सूख कर काँटे के समान होने लगता है।शरीर में ताकत नही रहती है। वह हर समय खाँसता रहता है। उसके कफ में खून आता है।फेफड़े कमजोर होने लगते हैं और उनसे खून रिसने लगता है।डाक्टर लोग इलाज तो करते हैं किन्तु रोग जड़ से नही जाता है।फिर से पैदा हो जाता है।हमारे ऋषि मुनियों ने एसी एसी औषधियों का वर्णन अपने ग्रंथो में किया है जिनके मात्र कुछ ही दिन प्रयोग से यह रोग हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।
tuberculosis-tb ka gharelu upchar---
जिन लोगों में इस रोग की शुरुआत ही है वे निम्न ayurvedic औषधियों का प्रयोग करें।
जिन लोगों में रोग अत्यधिक बढ़ चुका है वे ये औषधियाँ सेवन करे- शहद 200 ग्राम,मिश्री 200 ग्राम,गाय का घी 100 ग्राम तीनो को मिला लें।इसमें 6-6 ग्राम दवा दिन में कई बार चटाऐं।ऊपर से गाय या बकरी का दूध पिलाऐं।तपेदिक रोग टी,बी या यक्ष्मा मात्र एक सप्ताह में ही जड़ से समाप्त हो जाएगा।
- पीपल वृक्ष की राख 10 ग्राम से 20 ग्राम तक बकरी के गर्म दूध में पीसकर प्रतिदिन दोनो समय सेवन करने से यह रोग जड़ से समाप्त हो जाऐगा।इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री या शहद मिला सकते हैं।
- पत्थर का कोयले की राख (जो एकदम सफेद हो) आधा ग्राम,मक्खन मलाई अथवा दूध से प्रातः व सांय खिलाओं राम बाण है।टी.बी. के जिन मरीजों के फेफड़ों से खून आता हो उनके लिए यह औषधि अत्यंत प्रभावी है।
- आक की कली प्रथम दिन एक निगल जाऐं,दूसरे दिन दो फिर बाद के दिनों में तीन तीन निगल कर 15 दिन इस्तेमाल करें।औषधि जितनी साधारण है उतने ही इसके लाभ अद्भुत हैं।
- प्रथम दिन 10 ग्राम गो मूत्र पिलाऐं,तीन दिन पश्चात मात्रा 15 ग्राम कर दें छह दिन पश्चात 20 ग्राम।इसी प्रकार 3-3 दिन पश्चात 5 ग्राम मात्रा प्रतिदिन पिलाऐं निरंतर गौ मूत्र पिलाने से तपेदिक रोग जड़ से समाप्त हो जाएगा।और फिर दोबारा जिन्दगी में नही होगा।
- असगंध,पीपल छोटी,दोनो समान भाग लेकर औऱ अत्यन्त महीन पीसकर चूर्ण बना लें इसमें बराबर वजन की खाँड मिलाकर औऱ घी से चिकना करके दुगना शहद मिला लें।इसमें से 3 से 6 ग्राम की मात्रा लेकर प्रातः व सांय सेवन करने से तपेदिक 7 दिन में जड़ से समाप्त हो जाता है।
- आक का दूध 50 ग्राम,कलमी शोरा और नौसादर ,पपड़िया प्रत्येक 10-10 ग्राम लें।पहले शोरा और नौसादर (nausadar uses in hindi) को पीस लें,फिर दोनों को लोहे के तवे पर डालकर नीचे अग्नि जलाऐं और थोड़ा थोड़ा आक का दूध डालते रहैं।जब सारा दूध खुश्क हो जाए और दवा विल्कुल राख हो जाए चिकनाहट विल्कुल न रहे,तब पीसकर सुरक्षित रखें।आधा आधा ग्रेन (2 चावल के बरावर ) मात्रा में प्रातः व सांय को बतासे में रखकर खिलाऐं या ग्लूकोज मिलाकर पिलाऐं।यह योग ऐसी टी.बी. के लिऐ रामबाण है जिसमें खून कभी न आया हो।इसके सेवन से हरारत,ज्वर,खांसी,शरीर का दुबलापन,आदि टी.बी. के लक्षणों का नाश हो जाता है।
सभी प्रकार के रोगों की नैचुरोपैथ या एक्यूप्रेसर से चिकित्सा के लिए ड़ा. सहाब के पते पर भी सम्पर्क कर सकते हैं।
vande matram ! bahut hi gyan vardhak jankari di hai aapne.
जवाब देंहटाएंAasha hai aage bhi aur jankari prapt hoti rahegi. Me bata nahi sakta ki mujhe kitni khushi ho rahi ki itne aasan prayogo dwara bhi TB ki chikitsa ki ja sakti hai ! bhagwan aapko yash, safalta aur dirgh aayu pradan kare ! jai shri ram
मैंने मई 2015 में टीवी का जाँच कराया था।तो मुझे पता चला।क्या मैं ऊपर बताये गए दवाई से इलाज करा सकता हु।
जवाब देंहटाएंएक महिला के अनुसार टी बी यजीक हो गया पर अंदर ज़ख्म हैं
जवाब देंहटाएंक्या किया जाये
टी बी ठीक पर ज़ख्म हैं
हटाएंटी बी ठीक पर ज़ख्म हैं
हटाएंएक महिला के अनुसार टी बी यजीक हो गया पर अंदर ज़ख्म हैं
जवाब देंहटाएंक्या किया जाये