आधुनिक सभ्यता व संस्कृति में टी.बी.व फिल्मों में परोसी जा रही नग्नता के परिणाम स्वरुप ज्यादातर युवा पीढ़ी भ्रमित होकर उल्टे सीधे आचार विचार अपना रही है।लड़कियों की पोशाके लगातार सैक्सी होती जा रही हैं फिल्मों के डायलाग ही नही उनमें सैक्सी अभिनय की भरमार हो रही हैं नायिकाऐं नग्न पोज देकर फैमस होना चाह रही हैं।अखबारों आदि में भी सैक्सी चित्र व सैक्सी विज्ञापन खूब आ रहै हैं।और इण्टर नेट ने तो और भी कमाल कर दिया है अब जो चीजें पहले समाज की शर्म के कारण हम नही देख पाते थे बह सब इण्टर नेट पर उपलब्ध हैं।और इसी के परिणाम स्वरुप युवा नयी नयी हरकतें सीख जाते है जो पहले तो वे मजे मजे में करते रहते हैं वही फिर बाद में उनके लिए समस्या बन जाती है।नये नये यौनिक रोग इन्है लग जाते हैं।पहले जिन कार्यों को केवल लड़के ही करते पाये जाते थे अब वही कार्य लड़कियाँ करती पायी जा रही हैं।लैकिन जो लड़कियाँ हस्त मैथुन की आदी हो जाती हैं वह यह अवस्य समझ लें कि उनका पति कोई क्रत्रिम वस्तु नही होगा शायद वह उनका साथ उस लकड़ी या क्रत्रिम लिंग के बराबर नही दे सकता है।परन्तु क्योंकि उन्हौने पहले ऐसी वस्तुओं का प्रयोग कर लिया है तो उन्हैं पति के साथ हस्त मैथुन वाला सुख तो मिलने से रहा तब शायद जिन्दगी का सारा मजा किरकिरा हो जाएगा।अश्लील सीडी में देखा हुआ सब कुछ सत्य नही होता है।अतः कही गलत सहित्य पढ़कर या अन्तरंग सहेली या फिल्म या सीडी में देखकर गलत हरकत करना आगामी जीवन के लिए घातक हो जाए एसा अवश्यम्भावी नही किन्तु संभावित अवश्य है।अतः ऐसी वेहूदी हरकतों से बचें जिनका दुस्परिणाम वन्ध्यापन या वाँछपन या अन्य कोई खतरनाक यौन विकृति हो सकती है।
इसी प्रकार लड़के भी हस्तमैथुन करते है ये कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि लड़कियों की अपेक्षा हस्तमैथुन में रत लड़कों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत ज्यादा है।और इसके परिणाम स्वरुप खुद लड़के मानसिक व शारीरिक वेदना तो झेलते ही हैं साथ में अपनी अंकशायिनी प्यारी पत्नी को भी इस समस्या को झेलने को विवश कर देते हैं जिससे दोनों ही प्राणी वैवाहिक सुख से तो वंचित रहते ही है खुद अपने ही हाथों अपना इतना वुरा कर लेते हैं कि साथी भी उसकी सजा प्राप्त करता है या फिर गलत राह चुन लेता है।युवापन के हस्तमैथुन के कारण से तात्कालिक सुख की प्राप्ति तो हो सकती है लैकिन यह अपने साथ इतनी वड़ी विपत्ती लैकर आती है इसका पता तब चलता है जब कि हमारे हाथ में कुछ नही होता है।इससे होने वाले रोगों में सबसे पहला व आमतौर पर पाया जाने वाला रोग है शीघ्रपतन।इसके अलाबा लिंग का टेड़ापन ,पर्याप्त़ रुप से लिंगोत्थान का न होना,लिंग में पर्याप्त कठोरता का न आना ,वीर्य का पतलापन,लिंगोत्थान होते होते ध्वजभंग हो जाना आदि एसे खतरनाक रोग हैं।जो रोगी के जीवन को मायूस बना देते हैं।यद्यपि यह नही कह सकते कि इन रोगों का कोई उपचार ही नही है किन्तु यह कहना गलत नही होगा कि इनका उपचार करने के लिए वड़ी ही कठोर तपस्या व साधना की जरुरत पड़ती है।इन रोगों का लगना बड़ा ही आसान है किन्तु समाप्त होना बड़ा ही श्रम साध्य कर्म है।क्योकि पुराने कर्मो के कारण से क्षणिक उत्तेजना और आवेश के वशीभूत होकर रोगी उत्तेजना व गुप्तांग में तनाव को झेल नही पाता है और यथा शीघ्र तनाव व उत्तेजना से मुक्ति पा लेना चाहता है जिससे वह पुनः उसी मार्ग पर चल निकलता है और लगातार अपनी वरवादी करता रहता है।चूकि इस रोग के निवारण के लिए मनोवृत्ति का सात्विक होना प्रथम शर्त है।और स्त्री यदि विवाह हो चुका है तो उसके पास जाने से कतराता है क्योंकि उसे संतुष्ट नही कर पाता है।आगे एक पोस्ट मैं केवल हस्त मैथुन पर ही करुँगा।
अब यह समझो कि यह शीघ्रपतन है क्या वला
शीघ्र पतन जैसा कि इसके नाम से विदित होता है यह एक ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति अर्थात पुरुष संभोग काल में स्त्री की योनि के समीप जैसे ही लिंग को ले जाता है तुरन्त ही योनि मुख पर ही वीर्यपात कर देता है।
उपचार- डन्ठल युक्त पान के 2 पत्ते,नीम की 5 कोपलें,विल्व पत्र या बेल पत्थर के 2पत्ते,केले के तने का रस 2 चम्मच लेकर सबका रस निकाल लें अब शिश्न के मुख या लिंग मुण्ड को इसमें से 5 ग्राम मात्रा लेकर अलग करके इस रस में डुबाकर लगभग 10 मिनट तक डुवोऐं।बाकी रस में मिश्री डालकर पी लें।इस प्रयोग के करने के 10 मिनट बाद सम्भोग करें।नीयमित रुप से कम से कम चालीस दिन तक प्रयोग करें यह वीर्य स्तम्भक अचूक योग है।
इसी प्रकार लड़के भी हस्तमैथुन करते है ये कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि लड़कियों की अपेक्षा हस्तमैथुन में रत लड़कों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत ज्यादा है।और इसके परिणाम स्वरुप खुद लड़के मानसिक व शारीरिक वेदना तो झेलते ही हैं साथ में अपनी अंकशायिनी प्यारी पत्नी को भी इस समस्या को झेलने को विवश कर देते हैं जिससे दोनों ही प्राणी वैवाहिक सुख से तो वंचित रहते ही है खुद अपने ही हाथों अपना इतना वुरा कर लेते हैं कि साथी भी उसकी सजा प्राप्त करता है या फिर गलत राह चुन लेता है।युवापन के हस्तमैथुन के कारण से तात्कालिक सुख की प्राप्ति तो हो सकती है लैकिन यह अपने साथ इतनी वड़ी विपत्ती लैकर आती है इसका पता तब चलता है जब कि हमारे हाथ में कुछ नही होता है।इससे होने वाले रोगों में सबसे पहला व आमतौर पर पाया जाने वाला रोग है शीघ्रपतन।इसके अलाबा लिंग का टेड़ापन ,पर्याप्त़ रुप से लिंगोत्थान का न होना,लिंग में पर्याप्त कठोरता का न आना ,वीर्य का पतलापन,लिंगोत्थान होते होते ध्वजभंग हो जाना आदि एसे खतरनाक रोग हैं।जो रोगी के जीवन को मायूस बना देते हैं।यद्यपि यह नही कह सकते कि इन रोगों का कोई उपचार ही नही है किन्तु यह कहना गलत नही होगा कि इनका उपचार करने के लिए वड़ी ही कठोर तपस्या व साधना की जरुरत पड़ती है।इन रोगों का लगना बड़ा ही आसान है किन्तु समाप्त होना बड़ा ही श्रम साध्य कर्म है।क्योकि पुराने कर्मो के कारण से क्षणिक उत्तेजना और आवेश के वशीभूत होकर रोगी उत्तेजना व गुप्तांग में तनाव को झेल नही पाता है और यथा शीघ्र तनाव व उत्तेजना से मुक्ति पा लेना चाहता है जिससे वह पुनः उसी मार्ग पर चल निकलता है और लगातार अपनी वरवादी करता रहता है।चूकि इस रोग के निवारण के लिए मनोवृत्ति का सात्विक होना प्रथम शर्त है।और स्त्री यदि विवाह हो चुका है तो उसके पास जाने से कतराता है क्योंकि उसे संतुष्ट नही कर पाता है।आगे एक पोस्ट मैं केवल हस्त मैथुन पर ही करुँगा।
अब यह समझो कि यह शीघ्रपतन है क्या वला
शीघ्र पतन जैसा कि इसके नाम से विदित होता है यह एक ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति अर्थात पुरुष संभोग काल में स्त्री की योनि के समीप जैसे ही लिंग को ले जाता है तुरन्त ही योनि मुख पर ही वीर्यपात कर देता है।
उपचार- डन्ठल युक्त पान के 2 पत्ते,नीम की 5 कोपलें,विल्व पत्र या बेल पत्थर के 2पत्ते,केले के तने का रस 2 चम्मच लेकर सबका रस निकाल लें अब शिश्न के मुख या लिंग मुण्ड को इसमें से 5 ग्राम मात्रा लेकर अलग करके इस रस में डुबाकर लगभग 10 मिनट तक डुवोऐं।बाकी रस में मिश्री डालकर पी लें।इस प्रयोग के करने के 10 मिनट बाद सम्भोग करें।नीयमित रुप से कम से कम चालीस दिन तक प्रयोग करें यह वीर्य स्तम्भक अचूक योग है।
tulsi ke beej ya aanwla akela bhi in samasyaon ko hal kar sakta hai.
जवाब देंहटाएंsir meri age 17 years h. Aur mujhe bhi sirghpatan ki problams h plz koi upay batae jo m aasani se without kisi ko bataye own kar saku.
जवाब देंहटाएंश्री मान भाई टीनू जी सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंआपने अपनी समस्या लिखी है भाई सच कहैं तो 90 प्रतिसत लोगो को शीघ्रपतन केवल मानसिक स्थिति के कारण ही होता है।क्योकि संभोगावस्था में यदि आप इस चीज के बारे में जितना ज्यादा सोच विचार करेगे ठतना ही आपको यह समस्या होगी।आप अपने आप को अगर प्रीसेक्स कार्यो में तथा साथी के वारे में ही ज्यादा विचार करेगे तो तथा अपने वारे में यह विचार न आने दे कि आप स्खलित हो रहे हैं तो आप इस समस्या पर स्वयं भी कंट्रोल कर सकते हैं फिर भी यदि आप कोई उपाय पूछ रहे हैं सवसे बढ़िया उपाय तो यहाँ दिया हुआ है ही इसके अलावा सुगम उपाय के लिए मेरी वेवसाइट
AYURVEDA -The Most Ancient Medical Science पर जिसका लिंक है http://ayurvedlight1.blogspot.in/2012/10/blog-post_23.html से पहुच सकते है यह लिंक आपको एक वेहद ही आसान व उपयोगी नुस्खे पर पहुँचा देगा जो निश्चित ही आपकी समस्य़ा का अन्त कर देगा।प्रभु आपको जल्दी ही स्वस्थ करें एसी कामना के साथ ः- ज्ञानेश कुमार वार्ष्णेय
thanks
जवाब देंहटाएंthanks
जवाब देंहटाएंthanks
जवाब देंहटाएंमेरा नाम विरेंद्र सिह है मुझे शिघ्रपतन की समस्या से ग्रस्त हुँ। मे बहुत समय से हस्त मैथुन कर रहा हुँ ।इस कारण से मेरे लिंग की नसे बहुत कमजोर हो गई है ईस कारण मै बहुत तनाव में रहता हूँ कृपया मेरी मदद कीजिए आप इसका स्थाई उपचार बताईये। मे लगातार कई सालों से हस्त मैथुन कर रहा हूँ जिसके कारण लिंग जब तनाव में होता है तो लिंग के दोनों तरफ की नसे फडकती है एक तरफ की कम व दूसरी तरफ की ज्यादा फडकती है मेरी शादी भी होने वाली है
जवाब देंहटाएंSir mere ling me tanao nhi aata....kuch upaye btao
जवाब देंहटाएंअशोक जी वास्तव में अगर किसी प्रकार का अनीति पूर्वक कार्य किये हुए अगर एसा हो रहा है तो इसका कारण मन में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है तब तो आपको अपने अन्दर धैर्य रखते हुये व अपने जीवन साथी के सहयोग की आवश्यकता है लैकिन याद रहे एसा केवल जीवन साथी ही कर सकता है। और अगर किसी प्रकार का अप्राकृतिक कार्य करते हुये अगर इस अवस्था तक पहुँचे है तब आयुर्वेदिक दवाऐ लाभ प्रदान कर सकेंगी फिर भी मन का एक महत्वपूर्ण स्थान तो है ही मन के हारे हार है मन के जीते जीत किसी वैद्य के निर्देशन में श्री गोपाल तेल की लिंग पर लिंग मुण्ड छोड़कर हल्के हाथों से मालिस करें। सुवह उठते ही ताँवे के वर्तन में रखा पानी पीवें । उसके वाद प्रातःकर्म से निवर्त हों फायदा होगा धैर्य रखें। रात को भिगोंकर रखे चने सुवह खाली पेट लें तथा कुछ देर तक अन्य कुछ न खाऐ पीये।
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