आज की पोस्ट समर्पित है अनवर जमाल सहाव जैसे उन
तमाम हिन्दु विरोधी विचारकों के लिए जो किसी न किसी बहाने भारतीय संस्कृति व
सभ्यता को नीचा दिखाने के लिए कोई भी तर्क या वैज्ञानिक कारण ढूँढते फिरते हैं।कुछ ईसाई व मुस्लिम चिन्तको ने तो हिन्दु
धर्म की बुराई को अपना दैनिक धर्म बना लिया है उसमें कुछ हमारे स्वयं के चिन्तक
अपने को सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष साबित करने के लिए कोई न कोई विदेशी पुरस्कार जैसे
मेगसायसाय पुरुस्कार,नोवल पुरस्कार आदि प्राप्त करने की खातिर भारत विरोध व
भारतीयता की बुराई खासकर हिन्दु धर्म पर ही कुठारा घात करना जैसे कार्य कर रहै हैं
और खुद हमारी सरकारें ही उनकी पीठ ठोक रहीं हैं जिससे इन लोगों के हौसले मजबूत हो
रहै हैं।प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है कि वो ऐसे लोगों का मुँहतोड़ उत्तर
दे।जिससे ये ऐसी हिमाकत दोवारा न कर सकें।
मेरे प्रिय ब्लागर मित्र अनवलर जमाल सहाव जिन्हौने ब्लागिंग की दुनिया में झण्डे गाड़ हुए हैं ने नवम्वर को अपने ब्लाग Prophetic Healing Method पर किसी ईसाई
क्या इसे लोग नही समझते लैकिन नही इससे हिन्दुओं की भावनाऐं उद्देलित नही होती और जब तक ऐसा न हो मजा नही आता और इस्लाम के उद्देश्यों की पूर्ति भी नही होती वैसे भी चूँकि हिन्दु ही दुनिया के अन्दर एसा समाज है जिसमें जूते मारो उसके देवी देवताओं के नग्न चित्र बनाओ इसकी तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है।इसे इसके देश से देश निकाला दे दो वहिन वेटियों को छेड़ दो कुछ भी नही कहेगा चुपचाप सहता ही नही रहेगा इसके अपने घरेलू कुत्ते भी इसी पर भौकेंगें खुद इसकी रक्षा के लिए पैदा किये गये नेता ही उसके चिथड़े उखाड़ने के लिए उत्सुक होंगे।क्योंकि घर के कुत्ते को वोट रुपी वोटियाँ खाने का शौक जो पड़ गया है।और हिन्दु हो गया है जैसे मेढ़क जिसमें पत्थर मारो क्या विगाड़ेगा क्योंकि आक्रमण तो करने के लिए उसके हाथ या पैर तो हैं ही नही।और एक जुट भी होगा नही मेढकों के समान हाँ टर,टर ही कर सकता है मेरे समान लैकिन यह जान लो कि हिन्दु को मेढक समझने की भूल कर मत देना यह मेढक नही है शेर है जब तक नही बोलता जब तक भुख खुलकर नही लगती जब भूख लगेगी तो उड़ा डालेगा पता भी नही चलेगा।अगर जानकारी न हो तो इतिहास गवाह है कि आज राक्षसों के अलावा हूण व शकों का नाम लेवा पानी देवा नही बचा है हमारे ही कारण।दुनिया में दनदनाते चले आने बाले हाँ तुम्हारे अरब व अफ्रीका व मिश्र को रौंदते हुये ये दोनों विरादरियाँ जब भारत में उत्पात करने चली आयीं।तो करीव पाँच सौ वर्षों तक तो ये खूव मजा लेते रहे लैकिन जब हमें भूख लगी और उनका उत्पात ज्यादा हुआ तो विक्रमादित्य के बहाने ही खत्म कर दिया केवल 30 सालों में और ऐसा पचाया कि आज नाम लेवा नही बचा है हमारे देश में ही नही दुनिया से ही दफा कर दिया।उसी प्रकार जब निशाचरों का उत्पात जब इस प्रकार का हो गया कि यज्ञ करना भी कठिन हो गया तब भगवान राम ने भुजाऐं उठाकर प्रतिज्ञा की थी कि इस धरती को निशचर विहीन कर दूँगा तो शायद सभी जानते है कि उस दैत्य राज रावण के खानदान का कोई नाम लेवा पानी देवा आज नही बचा है हाँ क्रोध थोड़ा देर से जरुर आता है।लैकिन इस बात को भी ध्यान रखा जाए कि अब क्रोध आने में बहुत देरी नही है इसलिए सोच समझ कर काम किया जाए तो ही अच्छा है।हिन्दुओं के प्रति मानसिकता को बदल लो इसी में भलाई है।
अब आगे उस पोस्ट का उत्तर भी समझ लें भाई सहाब
प्रकृति में प्रत्येक प्राणी वस्तु या पेड़ पौधे उस परम पिता परमात्मा ने वड़े ही
सोच समझ कर बनाए हैं सबमें कोई न कोई गुण व अवगुण अवस्य है।लैकिन प्रत्येक में कोई
यूनिक गुण भी होता है जो उसके जैसा केवल उसी में हैँ।आयुर्वेद ने प्रत्येक वस्तु
जो उसके सामीप्य में आयी है उसके गुण व अवगुणों का एसा गहन अध्ययन किया है कि
उसमें खामी निकालना लगभग असम्भव ही है।यही कारण है कि आज के वैज्ञानिक युग में आप
उन बातों को होते देख रहे हैं जिन्है अभी तक कोरी कल्पना कहकर हिंदु धर्म का उपहास
उड़ाया करते थै। और हिंदुओं के बहुत से भाइयों वहिनो को आपके समाज के लोगों ने
बरगलाकर हमसे अलग कर दिया था।जैसे कि बाल्मीकि ऋषि ने कैसे कुश कैसे पैदा कर दिया
लैकिन अब क्लोनिग की जानकारी मिलने के बाद शायद आप लोगों की जुवान पर ताले लगें
हैं।कि ये कैसे सम्भव हो गया।यह तो केवल एक उदाहरण ही शेष है।हमारे यहाँ ज्ञान की
हमेशा कद्र हुयी है चाहै किसी ने वेदों के खिलाफ ही क्यों न कुछ बोला हो लैकिन
फालतू की बातों का हमारे यहाँ कोई स्थान नही है हमारे यहाँ राम,कृष्ण के अलावा
वोद्ध विचारधारा को मानने बाले एक ही घर में मिल जाऐंगे लैकिन कहीं कोई झगड़ा नही
होगा।लैकिन और किसी समाज में एक ही घर में शिया व सुन्नी तथा प्रोस्टेट व कैथोलिक
मिल जाऐं ऐसा उदाहरण मिल जाऐ शायद असम्भव ही है।
तो बात चल रही थी ज्ञान की तो बकरी का दूध
निसंदेह बहुत ही गुणकारी है और आयुर्वेद में निम्न श्लोक द्वारा यह बताया गया है।
करिणी घोटिका धेनुस्त्वविका छागिकोष्ट्रिका।
महिषी गर्दभी नारी काकोदुम्बरिका सुधा।।24।।
दुग्धिकोदुम्बरश्चार्को न्यग्रोधोअश्वत्थतिल्वकौ।
एषां दुग्धैःसमाख्यातो दुग्धवर्गः समासतः।।25।। रस
तरंगिणी
भाव प्रकाश निघन्टु तो लगभग सभी द्रव्य औषधियों
के गुण धर्मों से भरा पड़ा है।
अर्थ है कि हथिनी,घोड़ी,गाय,भैड़,बकरी,ऊटनी,भैंस,गधी,स्त्री,आदि
का दूध जंगम दूध व कठूमर,थोहर,दूधी,आक,गूलर,बड़,पीपल और लोध का दूध स्थावर दूध
कहलाता है।ये सभी दुग्ध औषधि द्रव्य हैं।इनके गुण धर्मों को किसी दिन की पोस्ट में
दुँगा।लैकिन आज तो उत्तर ही देना है।अतः अब में कहता हूँ कि कुतिया के दूध के लक्षण ही नही गुण भी क्या कोई ईसाई चिन्तक या पोस्ट लिखने बाला कुतिया का दूध पीना चाहेगा और ये गुण न तो गाय और न ही बकरी किसी के दूध में नही मिलेगें क्या पीना चाहेगा कोई कुतिया का दूध लो पढ़ो कुतिया के दूध के गुण पढ़ने के लिये निम्न चित्र या टैक्स्ट पर क्लिक करें
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