ऑवला जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि विटामिनों व खनिजों का भण्डार होता है
वहीं इसकी य़ौन विषयक रोगों में भी अच्छी खासी उपलव्धियाँ हैं।यह अवलेहों के राजा
च्यवन प्रास का प्रमुख घटक तो है ही आज हम जिस प्रसिद्द योग की बात कर रहैं हैं
उसके नाम से ही इसकी ख्याति प्रकट हो रही है।यह आमलकी रसायन भी दिव्य यौवन प्रदाता
योग है जो एक अपूर्व वाजीकारक योग भी है।अतः यौन रोगों से प्रताड़ित पुरुषों की
दारुण दुःख का निवारण कर्ता भी है।
रूप यौवन
भरालसगात्राश्चित्तचौर्यचतुराः सतु योषाः।
कामयेत प्रतिदिनं शत संख्या
वार्द्धकं प्रतिगतो·पि युवेव।।
ऑवले के चूर्ण को 21
बार पुनः पुनः ऑवलों के रस में ही भिगोने व सुखाने के बाद यह रसायन प्राप्त
होता है। विदारीकन्द का चूर्ण व ऑवलकी
रसायन एक एक चम्मच लेकर आधा चम्मच देशी घी
व डेढ़ चम्मच शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट व रात को सोते समय लें और ऊपर से मीठा
कुनकुना दूध पीवें याद रहै भोजन करने के तीन घन्टे तक के बाद ही दवा लेंवें इस योग
को पूरे तीन माह सर्दियों में सेवन करके पूरे वर्ष भर तरोताजा व चुस्त दुरूस्त रहा
जा सकता है।
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