1. औरतों का जनन तंत्र कैसा होता है?औरतों के जनन तंत्र में बाहरी (जननेन्द्रिय) और आन्तरिक ढाँचा होता है। बाहरी ढॉचे में मूत्राषय (वल्वा) और यौनि होती है। आन्तरिक ढांचे में गर्भाषय, अण्डाषय और ग्रीवा होती है।
2. बाहरी ढांचे के क्या मुख्य लक्षण होते हैं?बाहरी ढांचे में मूत्राषय (वल्वा) और योनि है। मूत्राषय (वल्वा) बाहर से दिखाई देने वाला अंश है जबकि योनि एक मांसल नली है जो कि गर्भाषय और ग्रीवा को शरीर के बाहरी भाग से जोड़ती है। ओनि से ही मासिक धर्म का सक्त स्राव होता है और यौनपरक सम्भोग के काम आती है, जिससे बच्चे का जन्म होता है।
3 आन्तरिक ढांचे के क्या मुख्य लक्षण हैं?आन्तरिक ढांचे में गर्भाषय, अण्डाषय और ग्रीवा है। गर्भाषय जिसे सामान्यत% कोख भी कहा जाता है, उदर के निचले भाग में स्थित खोखला मांसल अवयव है। गर्भाषय का मुख्य कार्य जन्म से पूर्व बढ़ते बच्चे का पोषण करना है। ग्रीवा गर्भाषय का निचला किनारा है। योनि के ऊपर स्थित है और लगभग एक इंच लम्बी है। ग्रीवा से रजोधर्म का रक्तस्राव होता है और जन्म के समय बच्चे के बाहर आने का यह मार्ग है। यह वीर्य के लिए योनि से अण्डाषय की ओर ऊपर जाने का रास्ता भी है। अण्डाषय वह अवयव है जिस में अण्डा उत्पन्न होता है, यह गर्भाषय की नली (जिन्हें अण्वाही नली भी कहते हैं) के अन्त में स्थित रहता है।
4 पुरूषों का जनन तंत्र कैसा होता है?पुरूषों के जनन तंत्र में बाहर दिखाई देने वाला ढांचा होता है जिसमें लिंग और पुरूषों के अण्डकोष हैं। आन्तरिक ढांचे में अण्डग्रन्थि, शुक्रवाहिका, प्रास्टेट, एपिडिडाईमस और शुक्राषय होता है।
5 बाहरी ढांचे के मुख्य लक्षण क्या हैं?लिंग मर्दाना अवयव है जिसका उपयोग मूत्रत्याग एवं यौनपरक सम्भोग के लिए किया जाता है यह लचीले टिशू और रक्तवाहिकाओं से बना है। अण्डकोष में लिंग दोनों ओर स्थित बाहरी थैलियों की जोड़ी होती है जिसमें अण्डग्रन्थि होती है।
6 आन्तरिक ढांचे के मुख्य लक्षण क्या हैं?आन्तरिक ढांचे में अण्डग्रन्थि, शुक्रवाहिका, एपिडिडाईमस और शुक्राषय होता है। अण्डग्रन्थि अण्डाषय में स्थित अण्डाकार आकृति के दो मर्दाना जननपरक अवयव है। इनसे वीर्य और टैस्टोस्ट्रोन नामक हॉरमोन उत्पन्न होते हैं। पूर्ण परिपक्वता प्राप्त करने तक वीर्य एपिडाइमस में संचित रहता है। शुक्रवाहिका वे नलियां हैं जो कि वीर्य को शुक्राषय तक ले जाती हैं जहां पर लिंग द्वार से बाहर निष्कासित करने से पहले वीर्य को संचित किया जाता है। प्रॉस्टेट पुरूषों की यौन ग्रन्थि होती है। यह लगभग एक अखरोट के माप का होता है जो कि ब्लैडर और युरेषरा के गले को घेरे रहता है- युरेथरा वह नली है जो ब्लैडर से मूत्र ले जाती है। प्रॉस्टेट ग्रन्थि से हल्का सा खारा तरल पदार्थ निकलता है जो कि शुक्रीय तरल का अंश होता है जिस तरल पदार्थ मे वीर्य / शुक्राणु रहता है।
2. बाहरी ढांचे के क्या मुख्य लक्षण होते हैं?बाहरी ढांचे में मूत्राषय (वल्वा) और योनि है। मूत्राषय (वल्वा) बाहर से दिखाई देने वाला अंश है जबकि योनि एक मांसल नली है जो कि गर्भाषय और ग्रीवा को शरीर के बाहरी भाग से जोड़ती है। ओनि से ही मासिक धर्म का सक्त स्राव होता है और यौनपरक सम्भोग के काम आती है, जिससे बच्चे का जन्म होता है।
3 आन्तरिक ढांचे के क्या मुख्य लक्षण हैं?आन्तरिक ढांचे में गर्भाषय, अण्डाषय और ग्रीवा है। गर्भाषय जिसे सामान्यत% कोख भी कहा जाता है, उदर के निचले भाग में स्थित खोखला मांसल अवयव है। गर्भाषय का मुख्य कार्य जन्म से पूर्व बढ़ते बच्चे का पोषण करना है। ग्रीवा गर्भाषय का निचला किनारा है। योनि के ऊपर स्थित है और लगभग एक इंच लम्बी है। ग्रीवा से रजोधर्म का रक्तस्राव होता है और जन्म के समय बच्चे के बाहर आने का यह मार्ग है। यह वीर्य के लिए योनि से अण्डाषय की ओर ऊपर जाने का रास्ता भी है। अण्डाषय वह अवयव है जिस में अण्डा उत्पन्न होता है, यह गर्भाषय की नली (जिन्हें अण्वाही नली भी कहते हैं) के अन्त में स्थित रहता है।
4 पुरूषों का जनन तंत्र कैसा होता है?पुरूषों के जनन तंत्र में बाहर दिखाई देने वाला ढांचा होता है जिसमें लिंग और पुरूषों के अण्डकोष हैं। आन्तरिक ढांचे में अण्डग्रन्थि, शुक्रवाहिका, प्रास्टेट, एपिडिडाईमस और शुक्राषय होता है।
5 बाहरी ढांचे के मुख्य लक्षण क्या हैं?लिंग मर्दाना अवयव है जिसका उपयोग मूत्रत्याग एवं यौनपरक सम्भोग के लिए किया जाता है यह लचीले टिशू और रक्तवाहिकाओं से बना है। अण्डकोष में लिंग दोनों ओर स्थित बाहरी थैलियों की जोड़ी होती है जिसमें अण्डग्रन्थि होती है।
6 आन्तरिक ढांचे के मुख्य लक्षण क्या हैं?आन्तरिक ढांचे में अण्डग्रन्थि, शुक्रवाहिका, एपिडिडाईमस और शुक्राषय होता है। अण्डग्रन्थि अण्डाषय में स्थित अण्डाकार आकृति के दो मर्दाना जननपरक अवयव है। इनसे वीर्य और टैस्टोस्ट्रोन नामक हॉरमोन उत्पन्न होते हैं। पूर्ण परिपक्वता प्राप्त करने तक वीर्य एपिडाइमस में संचित रहता है। शुक्रवाहिका वे नलियां हैं जो कि वीर्य को शुक्राषय तक ले जाती हैं जहां पर लिंग द्वार से बाहर निष्कासित करने से पहले वीर्य को संचित किया जाता है। प्रॉस्टेट पुरूषों की यौन ग्रन्थि होती है। यह लगभग एक अखरोट के माप का होता है जो कि ब्लैडर और युरेषरा के गले को घेरे रहता है- युरेथरा वह नली है जो ब्लैडर से मूत्र ले जाती है। प्रॉस्टेट ग्रन्थि से हल्का सा खारा तरल पदार्थ निकलता है जो कि शुक्रीय तरल का अंश होता है जिस तरल पदार्थ मे वीर्य / शुक्राणु रहता है।
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