आलू सेहत के लिए वरदान - The Light Of Ayurveda

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गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

आलू सेहत के लिए वरदान

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आलू किसी-न-किसी रूप में आलू थाली में शामिल हो ही जाता है।खाने में आलू न हो, तो बात नहीं बनती। कभी सब्जी के रूप, तो कभी चिप्स या फ्रेंच फ्राइज के रूप में। आलू न सिर्फ खाने में, बल्कि साफ-सफाई के साथ घर के अन्य कामों में भी कारगर है। आइये जाने आलू के औषधीय प्रयोगों को भी
कच्चे आलू का रस ऑर्थरायटिस से ग्रस्त रोगी के लिए जैसे एक वरदान है। आलू लेकर छील लिया जाए, बारीक टुकड़े कर लिए जाए और एक गिलास में रात भर इन टुकड़ों को डुबोकर रखा जाए। अगली सुबह इस पानी का सेवन किया जाए। आधुनिक शोधों के अनुसार खनिज लवणों और कार्बनिक नमक की उपस्थिति आलू को आर्थरायटिस के निवारण के लिए एक बेहतर विकल्प बनाती है।
आलू में एंटी-इंफ्लेमेंट्री यानी सूजन दूर करने वाले तत्व पाए जाते हैं। अगर आंखें सूज गई हों, तो सूजन दूर करने के लिए खीरे के बजाय आप कटे हुए आलू के स्लाइसेज भी यूज कर सकते हैं।
आलू का एंटी-सेप्टिक कमाल 
शरीर का कोई हिस्सा हल्का जल गया हो, तो उस स्‍थान पर आलू कद्दूकस करके आप लगा सकते हैं। यही नहीं शरीर के किसी हिस्से में खुजली होने पर कटा हुआ आलू रगड़ सकते हैं। इससे खुजली में आराम मिलेगा। 
सेहत का जादू 
माथे के किनारों पर कटा हुआ कच्चा आलू रगड़ने से सिरदर्द में आराम मिलता है। कई बार चोट लगने के बाद त्वचा नीली पड़ जाती है। नीले पड़े जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाने से फायदा होता है। चोट दर्द में आराम मिलता है और निशान भी गायब हो जाते हैं। पाचन संबंधी बीमारियों में कच्चे आलू का रस बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि यह आंतों में सूजन से आराम दिलाता है और पाचन शक्ति को बढ़ाता है। 
आलू को हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए। क्योंकि, आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है।
आलू के इस्तेमाल में साबधानियाँ 
अगर आलू का कोई भाग हरा रह गया हो, उसे काटकर हटा दें, क्योंकि हरे भाग में सोलेनाइन नामक विषैला तत्व होता है, जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा आलू के अंकुरित हिस्से का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 

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