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मंगलवार, 18 सितंबर 2018

कायाकल्प क्या है और कायाकल्प चिकित्सा यौवन को चिर स्थाई कैसे बना सकती है | kayakalp kya hai aur kaayaakalp chikitsa yauvan ko chir sthaee kaise bana sakatee hai

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कायाकल्प आयुर्वेद में वर्णित एक प्रकार की चिकित्सा विधि है जिससे नवजीवन प्राप्त होता है।
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कायाकल्प चिकित्सा
यौवन अर्थात युवावस्था या जवानी वह अवस्था है जिसमें हर जीव में एक उंमग व उत्साह होता है। इस अवस्था में व्यक्ति ही नही अपितु हर जीव में नये नये संकल्प व नई नई उमंगे पैदा होती है । भावनाओं का सागर हृदय में उमड़ रहा होता है और मन में कुछ करने गुजरने की ललक बोती है शरीर में ताकत होती है जोश होता है और हर तरफ खुशी ही खुशी होती है बचपन गुजर रहा होता है शरीरांग पूर्ण विकसित हो गये होते हैं मुख पर एक अजीव रंग आ जाता है जिसे कहते हैं लालिमा और इसी लालिमा के कारण एक नवयुवा में गुलाव का सा आकृषण होता है हृदय में आशाऐं व आकांक्षाऐं हिलोरे ले रहीं होती हैं। एक अजीव मस्ती सी तनोवदन पर छायी रहती है लैकिन अत्यधिक दुख का विषय है कि यह अवस्था बहुत दिनों तक बनी नही रहती है प्रकृति में हर कार्य का एक निश्चित नियम है कि यह परिवर्तनशील है जब कोई भी चीज अपनी पूर्णता को प्राप्त हो जाती है तो फिर उसमें गिरावट आनी शुरु होती है और यह गिरावट उसकी मृत्यु तक चलती रहती है। और जब यह पूर्णता का समय गुजर जाता है तो व्यक्ति हर समय उसी मस्ती  के चिन्तन में लगा रहता है और उसे प्राप्त करने की चेष्ठा करता रहता है। और जब यह पुनः नही मिलता है तब व्यक्ति दुःखी हो जाता है। लेकिन यौवन का पतन लगातार होता जाता है और बुढ़ापा आ जाता है ,और व्यक्ति लगातार उसी चिन्तन में लगा रहता है।वह ठण्डी आहें भरता है और उसे लगातार जवानी के दिन याद आते हैं। इसी चिन्तन में वह और खोखला हो जाता है।

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प्राचीन काल से ही व्यक्ति इस बुढ़ापे को रोकने के लिऐ प्रयत्नशीन रहता आया है इसको रोकने के लिऐ ऋषियों ने भी रिसर्च किये उसने अथक प्रयत्न किये कि किसी प्रकार से यौवन को स्थिर रका जा सके लैकिन कहा जाता है कि लगातार परिश्रम से क्या नही  मिलता है बहुत से अनुसंधानों से ऋषियों ने यौवन को स्थिर करने वाले योग तैयार किये और दूसरी और जिन लोगों के जीवन में बुढ़ापे ने दस्तक दे दी है उनको युवा बनाने के लिेए कायाकल्प योग तैयार किये ।
इन औषधियों के प्रयोग से बुढ़ापे  के प्रभाव से सफेद हुये बाल पुऩः काले होते लगते हैं। शरीर पर चमड़ी की झुर्रियाँ नष्ट होकर पुऩः जवानी आने लगती है।मर्दाना शक्ति पुनः एक बार लौट आती है । आयुर्वेद के अन्दर इस विद्या को कायाकल्प चिकित्सा का नाम दिया गया है।चूँकि ये औषधियाँ शरीर में एक क्रांति पैदा कर देती हैं अतः इन्हैं कायापलट औषधियाँ भी कहा जा सकता है। अब आप  यह सोच रहे होगें केि ऐसा संभव केसे हो गया तो इसके लिए
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 आयुर्वेद के मनीषियों ने विचार कियाकि बुढ़ापा लाने के लिए प्रकृति करती क्या है तो पता लगा कि आपकी पाचन शक्ति को क्षीण कर देती है अतः सबसे पहले अगर किसी व्यक्ति की अगर पाचन शक्ति प्रवल है तो उस पर बुढ़ापे का असर बहुत कम पढ़ता है अतः मनीशियों ने इसी पर काम किया कि अगर पाचकाग्नि को मजबूत रखा जाऐ जिससे खाया पीया ठीक तरह पचे और अगर ऐसा होगा तो पोषक तत्व शरीर में अच्छी प्रकार अवशोषित होंगे। और यह सब ठीक प्रकार से होगा तो निश्चित रुप से रस बनेगा और जब रस ठीक बनेगा तो शरीर के लिऐ सभी धातुऐं भी ठीक प्रकार से बनेगी ये सात धातुऐं हैं रस, रक्त, माँस, मज्जा, अस्थि व सबसे अंत में वीर्य और यहीं साँतवी धातु अर्थात वीर्य शरीर में जितना ज्यादा होगा व्यक्ति का यौवन भी उतना ही बना रहेगा और जिसके शरीर में वीर्य की कमी होगी वह उतना ही जल्दी बूढ़ा हो जाऐगा। इसी कारण से आयुर्वेद में कहा गया है कि वीर्य की परिश्रम पूर्वक रक्षा करनी चाहिये।
अब आज से मैं इसी विषय पर कुछ दिनों तक लिखूँगा पाठकों से आशा है कि वे मुझे प्रोत्साहित करने के लिेए अपना सहयोग टिप्पणी के माध्यम से करेगें तथा इस विषय में अपने मित्रों को जानकारी देने के लिए फेसबुक, इस्टाग्राम व अन्य स्थानों पर भी शेयर करेंगें ।

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