स्वपनदोष या स्वप्नदोष अथवा नाइट फाल को जड़ से खत्म कैसे करें ?
स्वप्नदोष एक एसा रोग है जिससे लगभग हर युवा कभी न कभी परेशान अवश्य रहता है यह रोग आजकल सामान्यतः हर युवा को पीड़ित करता है। जिससे व्यक्ति मानसिक रुप से पीड़ित तो रहता ही है इसके साथ ही रोग की गंभीरता में व्यक्ति शारीरिक रुप से भी कमजोर हो जाता है आइये इस स्वप्नदोष सपनदोष या नाइटफाल रोग के बारे में ज्यादा जानकारी लें और आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों Ayurvedic Jadi Buti के प्रयोग से इसे जड़ से उखाड़ फैंकें। Ayurvedic Herb इस रोग पर बहुत लाभकारी हैं आइये इस पोस्ट में अतिबला नामक श्रेष्ठ Ayurvedic Jadi Buti के प्रयोग से इस नामुराद रोग को जड़ से उखाड़ने का इलाज करते हैं।
स्वप्नदोष रोग के कारण व सामान्य आयुर्वेदिक निवारण
स्वप्न दोष जैसा कि इसके नाम से भी प्रकट होता है कि यह बह लक्षण है जिसमें सोते समय स्वप्न में यौन क्रीड़ा संबंधी दृश्य देखने पर जननेन्द्रिय में उत्तेजना आ जाती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ शुक्र निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं
स्वप्नदोष या स्वप्नमेह अथवा नाइटफाल की समस्याओं के लिए फायदेमंद एक पौधा |
महर्षि चरक के अनुसार ः
स्वपनं मनसः कामासक्तत्वात् शुक्र स्रावमयो दोषाख्यः रोगोरव्यो यः सो हिं स्वपनदोषो भवति।।
अर्थात "स्वपन देखते समय मन के कामासक्त हो जाने पर वीर्य का स्राव हो जाना ही स्वपन दोष नामक व्याधि है।"
स्वप्नदोष रोग होने के कारण
आयुर्वेदज्ञों ने स्वपन दोष के अनेकों कारण बतलाऐ हैं।सबसे प्रमुख कारण जो बतलाया गया है वह है स्त्री चिन्तन और भोग लालसा की अधिकता का होना।अतः इस रोग की समाप्ति के लिए मन की सुचिता सवसे प्रमुख दवा है।इस रोग के अन्य कारणों में है हस्त मैथुन,गुदा मैथुन,और कौष्ठबद्धता (कब्ज),दूषित विचार,अजीर्ण तथा गुदा कृमि की उपस्थिति आदि बहुत से कारण हो सकते हैं।
इस रोग के वेसे तो कोई परिभाषित कारण नहीं है लेकिन धातु कमजोर होना, वीर्य का पतला होना, अधिक कमोत्तेजक भाव, अधिक भारी एवं उष्णभोजन का सेवन करना, गंदे विचार एवं शारीरिक कमजोरी आदि कारण होते है ।स्वप्नदोष स्वप्नमेह या नाइटफाल रोग होने के कारण
- गरिष्ट भोजन ।
- अश्लील साहित्य एवं फिल्मे देखना ।
- कमोतेजक विचारों में रहना ।
- प्रमेह ।
- धातु विकार ।
- वीर्य का पतलापन ।
- मानसिक विकार ।
- शारीरिक कमजोरी ।
स्वप्नदोष की पहचान या लक्षण
रोग से ग्रषित होने पर व्यक्ति की धातु एवं वीर्य का स्तम्भन करने वाली नशें कमजोर हो जाती है | व्यक्ति चाहते हुए भी वीर्य का स्तम्भन नहीं कर पाता | अधिकतर एसे रोगियों की
- जठराग्नि मंद पड़ जाती है,
- भूख नहीं लगती,
- खाना हजम नहीं होता एवं
- हमेशां कब्ज की सी स्थिति बनी रहती है |
- स्वप्नदोष के रोगियों के पेशाब पर मक्खियाँ बैठती है |
- रोगी हर समय सुस्त बना रहता है एवं हमेशां जुकाम आदि बने रहने की शिकायत करता है |
- धीरे – धीरे रोगी के शरीर में कमजोरी आने लगती है |
- खाना खाने एवं कोई शारीरिक श्रम करने की इच्छा नहीं होती है |
- रोगी हमेशां बिस्तर पड़े रहने में अच्छा महसूस करता है |
एसे व्यक्तियों की चिकित्सा समय पर करवानी चाहिए , अन्यथा स्थिति और गंभीर हो सकती है |
वैसे यह रोग प्रमेह के अन्तर्गत ही आता है इसे स्वपन मेह भी कहा जाता है।और खास बात यह भी है कि प्रमेह चिकित्सा के ज्यादातर योग स्वपन दोष का सार्थक इलाज करते हैं। अब स्वपन दोष के कुछ योग में दे रहा हूँ । -------
स्वप्नमेह स्वप्नदोष या नाइट फाल की आयुर्वेदिक औषधियां
आयुर्वेदिक सामग्री –
- वंश लोचन और सत गिलोय 20 20 ग्राम वंग भस्म, प्रवाल भस्म और मुक्ताशुक्ति भस्म 1-1ग्राम लेकर खरल में अत्यन्त महीन कर के रख लें ।
मात्रा -
500मिली ग्राम तक शहद से प्रातः सांय सेबन करने से स्वपन दोष में उष्णता के कारण शु्क्रक्षय ,मूत्र की गड़वड़ी आदि विकार दूर हो जाते हैं।
- बरियारा या अतिवला की जड़ की छाल से भी स्वप्नदोष का इलाज होता है।
आयुर्वेदिक सामग्री –
बरियारे की जड़ की छाल 50 ग्राम एवं मिश्री – 100 ग्राम
बनाने की विधि –
बरियारे (खिरैटी) की जड़ ले आयें और इसे अच्छी तरह धोकर थोडा सा कुचल दें और इसे अच्छी तरह सूखने दें | सूखने के बाद जड़ के ऊपर की छाल उतार लें अन्दर की कठोर लकड़ी को छोड़ दे | इस छाल का महीन चूर्ण बनाकर इसमें पीसी हुई मिश्री मिलाकर सेवन करें |
सेवन की विधि –
इस चूर्ण का सेवन चालीस दिनों तक करना चाहिए | 3 से 5 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ नित्य सुबह के समय इस दवा का सेवन करना चाहिए | यह आपके वीर्य की सभी विकारों को नष्ट करेगी एवं धातु के पतलेपन को ठीक करके स्वप्नदोष से मुक्ति दिलाएगी |
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