आयुर्वेद शास्त्र मानव के हित में उपलब्ध आज तक के सम्पूर्ण चिकित्सा शास्त्र में ऐसा साहित्य प्रदान करता है जिसका उद्देश्य रोग पीढ़ित मानव ही नही सम्पूर्ण जीव जगत को आरोग्य प्रदान करना है और जिसका कोई भी साइड इफेक्ट नही है। आज मैं लाया हूँ ऐसा योग जो ऐसे हठीले रोग का विनाश करता है जिसने मानव को सबसे ज्यादा पीड़ित किया हुआ है। और उस रोग का नाम है कब्ज
कब्ज आज के समय में मानवता को सर्वाधिक त्रस्त करने वाला रोग है। कोई ही शायद ऐसा भाग्यवान हो जिसे इस रोग ने कभी भी पीड़ित न किया हो, कितना भी बढ़िया खाना हो चाहें छप्पन भोग क्यों न हों आपको फायदा नही दिला सकते जब तक कि यह रोग आपके शरीर में विद्यमान है। वैसे यह रोग हमारे ही अनीयमित आहार विहार व अनीयमित दिनचर्या से पैदा होता है इसे आयुर्वेद ग्रंथों में विबन्ध के नाम से भी जाना जाता है और अंग्रेजी भाषा में इसे कॉन्स्टीपेशन के नाम से जाना जाता है। इस रोग में आहार विहार की अनीयमितता से व्यक्ति की पाचन् क्रिया प्रभावित होती है। इस रोग को दूर करने के लिए सर्वप्रथम तो हमें अपना आहार विहार सही करना होता है तब हम पंचकोल चूर्ण प्रयोग करने मात्र से रोग ही इसे दूर कर सकते हैं।
पंचकोल चूर्ण से अफारा,पेट फूलना,प्लीहा वृद्धि,गुल्म,पेट दर्द,आदि पेट के रोग नष्ट हो जाते हैं।यह पाचन क्रिया दुरुस्त करने वाला ,जठराग्नि को प्रदीप्त करने वाला तथा रुचिकारक है।श्वांस,खांसी,व वुखार आदि रोगों में भी इसका सेवन किया जा सकता है।
कब्ज आज के समय में मानवता को सर्वाधिक त्रस्त करने वाला रोग है। कोई ही शायद ऐसा भाग्यवान हो जिसे इस रोग ने कभी भी पीड़ित न किया हो, कितना भी बढ़िया खाना हो चाहें छप्पन भोग क्यों न हों आपको फायदा नही दिला सकते जब तक कि यह रोग आपके शरीर में विद्यमान है। वैसे यह रोग हमारे ही अनीयमित आहार विहार व अनीयमित दिनचर्या से पैदा होता है इसे आयुर्वेद ग्रंथों में विबन्ध के नाम से भी जाना जाता है और अंग्रेजी भाषा में इसे कॉन्स्टीपेशन के नाम से जाना जाता है। इस रोग में आहार विहार की अनीयमितता से व्यक्ति की पाचन् क्रिया प्रभावित होती है। इस रोग को दूर करने के लिए सर्वप्रथम तो हमें अपना आहार विहार सही करना होता है तब हम पंचकोल चूर्ण प्रयोग करने मात्र से रोग ही इसे दूर कर सकते हैं।
पंचकोल चूर्ण से अफारा,पेट फूलना,प्लीहा वृद्धि,गुल्म,पेट दर्द,आदि पेट के रोग नष्ट हो जाते हैं।यह पाचन क्रिया दुरुस्त करने वाला ,जठराग्नि को प्रदीप्त करने वाला तथा रुचिकारक है।श्वांस,खांसी,व वुखार आदि रोगों में भी इसका सेवन किया जा सकता है।
पंचकोल चूर्ण त्रिदोष
नाशक आयुर्वेदिक औषधि है। चूंकि यह समान मात्रा
में पांच घटक द्रव्यों से मिलकर बनाया जाता है। इसी कारण से इसे पंचकोल चूर्ण कहा जाता है।
पंचकोल चूर्ण दीपन, पाचन रुचिकर होता है।
पंचकोल चूर्ण की तासीर : पंचकोल चूर्ण अत्यंत ही गर्म तासीर वाला चूर्ण है। अतः यदि
आपका शरीर गर्म तासीर या पित्त प्रकृति वाला है तो इस
चूर्ण का सेवन करने से पूर्व आपको वैद्य की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। चूंकि गर्म तासीर वाले लोगों को आपकी तासीर के अनुसार वैद्य सलाह देंगें।
पंच कोल चूर्ण बनाने की सामिग्री-
- चव्य
- चित्रक मूल छाल( चीता की छाल)
- सोंठ
- पीपल
- पिपलामूल
पंचकोल चूर्ण निर्माण विधि-
इसे बनाने की विधि भी बहुत सरल है कोई भी बना सकता है।सभी सामानों को वारीक पीस लें तथा साफ शीशे की वोतल में भर कर रख लें।
पंचकोल चूर्ण की सेवन विधिः-
इसे आप साधारण तया तो गुनगुने पानी से आधा चम्मच की मात्रा दिन में 3 बार ले सकते हैं। और इसके अलाबा रोग की अवस्था नुसार आधा चम्मच मात्रा तीन बार शहद से भी लिय़ा जा सकती है।
पंचकोल चूर्ण के लाभ---
- पंचकोल चूर्ण भूख को जाग्रत करने वाला, और पाचन तंत्र को सुधारने वाला चूर्ण है। जो सभी उदर रोगों के लिए लाभकारी आयुर्वेदिक ओषधि है।
- पंचकोल चूर्ण आफरा, गैस और कब्ज में सुधार करता है।
- यह कफ को दूर कर श्वास सबंधी विकारों में फायदेमंद औषधि है।
- पंचकोल त्रिदोष नाशक होता है।
- पंचकोल चूर्ण लीवर के लिए भी लाभदायक है।
- प्लीहावृद्धि, गुल्म, शूल, कफजन्य विकारों में पंचकोल लाभदायक है।
पढ़े - कब्ज हटाने का एक और साधारण सा उपाय |
Panchkol Churna is an Ayurvedic Medicine which is beneficial in nausea, indigestion, colic, cold, cough, fever, body pain and loss appetite.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
हमारी वेवसाइट पर पधारने के लिए आपका धन्यबाद