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शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

है न आयुर्वेद का महान चमत्कार ।------

अब खूब करें कम्प्यूटर पर काम आयुर्वेद रखे आपकी आँखों का खयाल 
यह लीजिए चश्मा छुड़ाने का अनूठा अनुभूत फार्मूला
आजकल कम्प्यूटर का युग है जिसमें जिन्दगी की भागमभाग भी शामिल हो जाती है जिन्दगी अब जिन्दगी न रही अब तो एसा लगता है कि मानव यंत्र बन गया है।लैकिन  शायद भारतीय मनीशियों ने वहुत समय पहले ही जान लिया था कि आगामी समय में ये समस्याऐं हर मनुष्य के लिए सामान्य होगी अतः उन्हौने पहले ही इन सभी समस्याऔं का निदान हमारे सामाजिक हित में लिख दिया था। आज मैं एसी ही सामान्य समस्या की चर्चा अपने इस ब्लाग में कर रहा हूँ और आपके हित में यह बिना पैसे की औषधि पेश कर रहा हूँ  हॉं  इसकी फीस भी मैने तय की है जो आपको अवश्य  देनी होगी  और वह है कि आप मेरे ब्लाग के बारे में अपने सभी जानकारों को अवश्य ही बताऐंगें। जिससे इस ब्लाग की सभी जानकारियाँ आपके सभी जानकारों तक पहुँच सकें। मुझे आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि आप इस प्रभु कार्य में मेरा सहयोग करेंगें ।  इसी आशा के साथ आपका अपना ज्ञानेश कुमार वार्ष्णैय आपके निरोग होने व रहने की कामना के साथ यह महत्वपूर्ण योग प्रस्तुत कर रहा है।

शीताम्बु परित सुखं प्रति वासरं यो वार त्रयेअपि नयनं द्वितीय जलेन। सिंचित्सयों मुदपेति कदापि नाक्षि रोग व्यथा विधुरतां भजतेमनुष्यः।।

अर्थ---- जो नित्य नियम पूर्वक प्रातः दोपहर एवं सांय काल अपने मुख में शीतल जल भरकर , दूसरे शीतल जल से युक्ति पूर्वक छींटा मारता है, उसके नेत्रों के जाल, धुंध आदि सभी रोग नष्ट होकर दृष्टि तीव्र हो जाती है, उसके मुखमण्डल की शोभा देखते ही बनती है, चित्त प्रसन्न रहता है,और वृद्ध मनुष्य भी युवावस्था का आभास पाने लगता है।
मेरे पिताश्री की आयु आयु इस समय करीब 75 या 76 साल है, करीब 10 वर्ष पहले उन्है बहुत ही मोटे लेंसो का चश्मा लगाना पड़ता था इसके बाबजूद नम्बर बढ़ता ही जा रहा था तभी मैंने पांतजलि योग विज्ञान नामक गीता प्रेस की किताब में पढ़ा कि मुँह में पानी भरकर आखें खोलकर हाथों से  पानी का छपका आँखों के साइड में मारने से आखों को खून ले जाने वाली रक्त वाहनियाँ जो कि ज्यादातर निष्क्रिय हो जाती हैं खुल जाती हैं और रक्त का प्रवाह समुचित रुप से होने लगता है तथा आँखों की रोशनी प्राकृतिक रुप से जाती है। लेकिन साबधानी रहे कि ऑँखों या साइड में गलती से भी हाथ लगे अन्यथा जैसे कि मैने बताया है कि रक्त वाहनियाँ चोट के कारण प्रकुपित हो सकती हैं तथा नुकसान हो सकता है।

मैने यही प्रयोग पिताजी को कराया और उनकी आँखों की रोशनी चमत्कारी रुप से पूर्ण रुपेण वापस गयी उनका चश्मा छूट गया वे नीयमित रुप से इस प्रयोग को प्रतिदिन करने लगे इस प्रकार उनकी आँखों की समस्या विना पैसे की दवा से ठीक हो गयी

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