अब खूब करें कम्प्यूटर पर काम आयुर्वेद रखे आपकी आँखों का खयाल
यह
लीजिए
चश्मा
छुड़ाने
का
अनूठा
व
अनुभूत
फार्मूला
शीताम्बु परित सुखं प्रति वासरं यो वार त्रयेअपि नयनं द्वितीय जलेन। सिंचित्सयों स मुदपेति कदापि नाक्षि रोग व्यथा विधुरतां भजतेमनुष्यः।।
मेरे पिताश्री की आयु आयु इस समय करीब 75 या 76 साल है, करीब 10 वर्ष पहले उन्है बहुत ही मोटे लेंसो का चश्मा लगाना पड़ता था इसके बाबजूद नम्बर बढ़ता ही जा रहा था तभी मैंने पांतजलि योग विज्ञान नामक गीता प्रेस की किताब में पढ़ा कि मुँह में पानी भरकर आखें खोलकर हाथों से पानी का छपका आँखों के साइड में मारने से आखों को खून ले जाने वाली रक्त वाहनियाँ जो कि ज्यादातर निष्क्रिय हो जाती हैं खुल जाती हैं और रक्त का प्रवाह समुचित रुप से होने लगता है तथा आँखों की रोशनी प्राकृतिक रुप से आ जाती है। लेकिन साबधानी रहे कि ऑँखों या साइड में गलती से भी हाथ न लगे अन्यथा जैसे कि मैने बताया है कि रक्त वाहनियाँ चोट के कारण प्रकुपित हो सकती हैं तथा नुकसान हो सकता है।
मैने यही प्रयोग पिताजी को कराया और उनकी आँखों की रोशनी चमत्कारी रुप से पूर्ण रुपेण वापस आ गयी उनका चश्मा छूट गया वे नीयमित रुप से इस प्रयोग को प्रतिदिन करने लगे इस प्रकार उनकी आँखों की समस्या विना पैसे की दवा से ठीक हो गयी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
हमारी वेवसाइट पर पधारने के लिए आपका धन्यबाद