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शनिवार, 3 सितंबर 2016

आजकल जिस प्रकार उत्तर भारत में बुखार का प्रकोप चल रहा है उसमें गिलाोय अर्थात अमृता एक श्रेष्ठ औषधि है।

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आजकल के समय में अनेक रोग यथा टाईफाइड,जल्दी जल्दी हो जाने वाले बुखार में ऐलोपैथिक डाक्टर्स कई बार फैल हो जाते हैं इन रोगों में आयुर्वेदिक चिकित्सा ही श्रैष्ठ चिकित्सा है। इस पद्धति में रोग का निदान करके वैद्य लोग चिकित्सा करते हैं।जैसा कि मैं पहले ही लिख चुका हूँ कि गिलोय जिसे अमृता भी कहा जाता है।इन रोगों की अतभुत औषधि है।
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टाईफाइड,जीर्णज्वर और सभी प्रकार के बुखार में संशमनी वटी दिन में 3 बार 2 से 5 गोलियाँ दें।इन रोगों में रोगी भोजन बन्द करके केबल अनार,सेव,मुनक्का या  पपीते पर रहकर संशमनी वटी से ही 7 से 10 दिन में रोग मुक्त हो जाता है। यदि टाईफाइड,जीर्णज्वर,मेनीन्जाइटिस जैसे बुखार ठीक होने के बाद जीर्णज्वर रहता है तब दूध चावल पर रहकर केवल संशमनी वटी को ही लेने से जीर्णज्वर जड़ से मिट जाता है।छोटे बच्चों के लिए संशमनी वटी निर्दोष औषधि है इसको देने से बच्चे को बुखार नही आता है और बच्चा ठीक से बढ़ता है।
अमृतारिष्ट ----
बुखार को दूर करने के लिए गिलोय व दशमूल क्वाथ के साथ बनी अमृतारिष्ट एक महत्वपूर्ण औषधि है जो बुखार को तो दूर करती ही है यह भूख में भी वृद्धि करके शरीर में शक्ति व स्फूर्ति भी लाती है।

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