अहिफेन या अफीम (Opium) केवल नशा ही नहीं महत्वपूर्ण औषधि भी है
अफीम च्यवन ऋषि के समय से ही औषधीय उपयोग में आती रही है। यह आयुर्वेदिक व यूनानी दोनो चिकित्सा पद्धतियों में वात रोगों, अतिसार, अनिद्रा व वाजीकरण चिकित्सा में आशुफलदायी रुप में प्रयोग होती रही है और तो और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ऐलौपेथ ने भी इस औषधि के गुणों का प्रभाव अंगीकार करते हुये इसके मार्फीन,कोडीन,थांबेन, नार्कोटीन,पापावटीन तथा एल्कोलाइड्स को अपने फार्मोकोपिया में शामिल किया है।
अफीम जिसको अहिफेन के
नाम से भी जाना जाता है लघु, सूक्ष्म,व विकासी गुण रखने के कारण आशुकारी प्रभाव
दिखाने वाली औषधि है। पहले समय में आवकारी विभाग से वैद्यों के लिए अफीम उपलब्ध
करायी जाती थी और इसका लाइसैंस मिलता था तथा वैद्य लोग फिर उसका शोधन करके
आयुर्वेदिक योग तैयार करते थे किन्तु समय के साथ लाइसैंस निरस्त कर दिये गये तथा
अफीम एक दुर्लभ वस्तु बना दी गयी, अब यह अवैद्य व्यापार की एक वड़ी सामिग्री है और
यह नशेबाजों के लिए ऊँचें दामों पर उपलब्ध है किन्तु सामान्य जन के लाभ के लिये
उपलब्ध नही है।
चिन्ता इस बात की है
कि आज के समय में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्यति सामान्यतः लोगों के जागरुकता का
हिस्सा तो बनी है अब जबकि केन्द्र व राज्य की सरकारों ने आयुर्वेद की तरफ थोड़ा
ध्यान दिया है और केन्द्र दिल्ली में प्रधान मत्रीं मोदी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा
शोध संस्थान खोलने से आयुर्वेदिक युग की शुरुरात का अभियान शुरु किया है तो आशा तो
करनी चाहिये कि आयुर्वेदिक वस्तुऐं माफियाओं के कंट्रोल से बाहर आकर शायद वैद्यों
को उपलब्ध हो पायें। किन्तु अभी भी सरकारी स्तर पर इस बात की कोई योजना नही बनी
है। आज के समय में जवकि आयुर्वेदिक पुनरोत्थान का समय आने को है आयुर्वेदिक
संस्थान को अफीम के साथ ही अन्य आय़ुर्वेदिक उत्पादों की प्राप्ति के पुरातन तरीके
को बहाल करने का प्रयास करना चाहिये।और जब तक एसा नही हो जाता तब तक वैद्यों को भी
इसे अवैद्य रुप से प्राप्त करने का प्रयास नही करना चाहिये क्योंकि ऐसा करने पर वे
नारकोटिक्स एक्ट के अन्तर्गत सजा प्राप्त कर सकते हैं।
प्राचीन आयुर्वेदिक
ग्रंथों में अफीम से बनने वाले अनेकों योगों का वर्णन है यथा---
1- कामिनी विद्रावण रस( भैषज्य रत्नावली) , 2- ग्रहणी कपाट रस(रसयोग सागर),
3- वेदनान्तक रस (रस तरंगिणी)---
रस तरंगिणी शुद्ध अफ़ीम3 ग्राम, कपूर तीन ग्राम, खुरासानी
यवानी 6 ग्राम, रस सिन्दूर 6 ग्राम, लेकर सबको खरल में डालकर भाँग की पत्तियों के
स्वरस में खरल कर दें ।जब गोली बनाने योग्य हो जाऐं तो 250 मिलीग्राम की गोलियाँ
बना लें इसमें से 2 गोली को गर्म पानी या दूध से देने पर अनेकों प्रकार के दर्दों
में राहत मिल जाती है।
4- निद्रोदय रस (योग रत्नाकर)----
शुद्ध अफीम6
ग्राम,वंशलोचन 6 ग्राम, रस सिन्दूर 6 ग्राम व आमलकी चूर्ण- 12 ग्राम लेकर सबको
लेकर भाँग की पत्तियों के स्वरस में 3 बार भावनाऐं देते हुय खरल करे और जब गोलियां
बनाने योग्य हो जाऐ तब 250 मिली ग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखा लें। एक गोली दूध से
लेने पर ही नींद आ जाती है।
5- शंखोदर रस (योग रत्नाकर)----
शंख भस्म 40 ग्राम, शुद्ध अफीम- 10 ग्राम, जायफल व सुहागे का
फूला 10 -10 ग्राम लेकर सबको मिला लें और जल के साथ मर्दन करके 125 मिली ग्राम की
गोलियाँ बना कर रख लें इसमें से 1-1 गोली मख्खन व गर्म जल के साथ लेने से अतिसार,
संग्रहणी, पेट दर्द, आदि में पूर्ण लाभ होता है।
6- समीर गज केशरी रस(रसराज सुन्दर)---
शुद्ध अफीम
, शुद्ध कुचला, काली मिर्च चूर्ण, सभी 50-50 ग्राम लेकर सबको खरल करके 125 -125
मिली ग्राम की गोलियाँ बना कर रख लें इसमें से 1 गोली खाकर ऊपर से पान खाना चाहिये
यह बात व्याधि नाशक, विसूचिका , अरूचि, अपस्मार, आदि पाचन तंत्र की व्याधियों को
हर लेने वाली महौषधि है।
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