नवरात्र माँ भगवती आदिशक्ति के सभी स्वरुपों की आराधना का सर्वश्रेष्ठ समय है।वैसे भी भगवती के नौ रुप जो क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी,कालरात्रि,महागौरी व सिद्धिदात्री हैं नवरात्र के नौ दिनों के पर्व पर इन नौ स्वरुपों की पूजा करके भक्त कृतार्थ होते हैं।और माँ भगवती दुर्गा उनके सभी मनोरथ पूर्ण करतीं हैं।जैसा कि माँ का नाम है दुर्गा तो माँ दुर्गा दुर्ग के समान व्यक्ति की समस्याओं के सामने खड़ी हो जाती है और उसके सकल मनोरथ सिद्ध कर अपना यह नाम सार्थक करती हैं माँ दुर्गा व्यक्ति को दुर्गति से बचाती हैं। यही कारण है कि भक्त अनादिकाल से माँ भगवती की पूजा कर उनका प्रसाद पाने के लिए चारों नवरात्रों का उत्सुकता से इंतजार करते हैं।देवी माँ की पूजा जहाँ श्रद्धा व भक्ति से तो की ही जाती है वहीं इस पूजन को ठीक प्रकार से करना भी अनिवार्य होता है।क्योंकि अगर पूजन ठीक प्रकार से नही होगा तो आप उचित लाभ नही उठा पाऐंगे।देवी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए कुछ सामान्यबाते निम्न है जिनका अवश्य ही ध्यान दिया जाना चाहिये।
1.
घर में दुर्गा माँ की तीन तस्वीरे या
प्रतिमाऐं न रखें अगर हैं तो इनमें से कम से कम एक को अवश्य ही हटा दें।
3.
घर में माता के सोम्य रुप की ही तस्वीर
या प्रतिमाऐं लगाऐं।
4.
माँ की दो प्रतिमाऐं हैं तो दोनों
प्रतिमाओ को बराबर सम्मान दें उन्हैं नमन करें।
5.
माँ काली की पूजा के लिए पूजा में काले
तिल अवश्य प्रयोग करें।
6.
धन प्राप्ति के लिए माँ लक्ष्मी की
स्फटिक मूर्ति को अपने पूजा स्थान में रखें।
7.
पूजा करते समय आसन ऊन या कंबल का रखें
अच्छा होगा अगर काली माँ की आराधना कर रहे हैं तो काली ऊन का आसन, माँ बग्लामुखी
की पूजा के लिए पीली ऊन का आसन, माँ लक्ष्मी या दुर्गा माँ की आराधना के लिए लाल
ऊन का आसन रखे।
8.
माँ दुर्गा की आराधना के लिए लाल फूल
का मह्त्व सर्वाधिक होता है अतः कोशिश करके लाल फूल रखें।
9.
खंडित या टूटी फूटी प्रतिमाऐं
पूजास्थान में न रखें उन्हैं कोशिश करके जल प्रवाह कर दें।
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