वैसे तो जन्म होते ही
प्रति क्षण जीवन में परिवर्तन होता रहता है और हर पल कुछ न कुछ ह्रास होता ही है
किन्तु जीवन के हर दशक में कुछ न कुछ क्षय होता ही है ,आओ जानें कि वे कौन कौन से
गुण हैं ।
प्रथम दशक- बाल्यावस्था हानि- जन्म से 10 वर्ष तक की अवस्था में
द्वितीय दशक- वृद्धि का अवरोध- 10 से 20 साल की उम्र तक पहुँचते पहुँचते
तृतीय दशक- सौंदर्य हानि- 20 से 30 की उम्र होते होते
चतुर्थ दशक- वृद्धि का रुकना- 30 से 40 की उम्र में किसी नये या पुराने अंग का विकास शेष नही रहता है ।
पंचम दशक- त्वचा मे छुर्रियाँ पड़ना शुरु- 40 से 50 तक एसा अधिकतर शुरु हो चुका होता है।
अष्टम दशक- विक्रम हानि(शक्ति की कमजोरी)- 60 से 70 तक ज्यादातर हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं।
नवम दशक- बुद्धि की हानि – 80से 90 की उम्र में सोचना समझना कमजोर हो जाता है।
दशम दशक- कर्मेन्द्रियों की हानि ( हाथों में कम्पन)- 90 से 100 तक शरीर में कँपकपाहट बन ही जाती है।
नोट- ये सभी लक्षण किसी किसी में समय से पहले व किसी किसी में समय से बाद में भी दिखाई दे सकते हैं किन्तु ज्यादातर का आँकड़ा यही रहता है।
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