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मंगलवार, 6 अगस्त 2019

गुणों की खान गिलोय के फायदे रोगों में इसका प्रयोग और निषेध

गिलोय के अमृत समान रोगनिवारक गुण और रोग ग्रसित मानव पर उसका उपकार

गुणों की खान गिलोय के फायदे रोगों में इसका प्रयोग और निषेध

गिलोय जिसे गडूची, रोगों पर अमृत की तरह कार्य करने के कारण अमृत बेल और अमृत बल्लरी, चूँकि इसके तने में काटने पर लाखों चक्र से दिखाई देते हैं इसलिए चक्र लक्षनिका, स्वस्थ शरीर में रसायन की भाँति कार्य करने के कारण रसायनी, ज्वर को जड़ से मिटा देने के कारण ज्वरघ्नी, एक ही बेल से अनेकों शाखाऐं निकल आने के कारण बहुछिन्ना और छिन्नारूहा, गुलवेस व वत्सधनी आदि अनेकों नामों से जाना जाता है।आजकल बरसातों में कहीं इसकी वेल का कोई छोटा सा टुकड़ा भी लटका हो चाहें वह जमीन पर न भी हो तो भी यह अपने आप फूट पड़ता है और वहीं से बेल चलने लगती है।
                वैसे भारतीय जन जीवन में हम सभी ने गिलोय का नाम शायद अवश्य ही सुना होगा चाहे आप शहरी पृष्ठभूमि से ही क्यों न हों। इसका हमारे बड़े बूढ़ों के जीवन में इतना अधिक प्रयोग था जिसका प्रभाव आज भी उनकी बातों में ज्यादातर गाहे वेगाहे सुना जाता है।यह आजकल के परिवेश में डेंगू नामक बुखार में रोगी को रोग मुक्त कराने वाली अत्यधिक प्रसिद्ध औषधि है। और इसी कारण से यह आजकल शहरी लोगों  द्वारा व्यापक रुप से जानी जाती है।
वैसे तो यह एक ऐसी औषधि है जो लगभग ज्यादातर रोगों में आँख मूँद कर दी जा सकती है फिर भी आओं आज में इसके बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयोगों पर प्रकाश डालता हूँ।
यह एक एसी बेल हे जो जिस पेड़ को अपना आधार बनाती है उसके गुण भी अपने में समाहित कर लेती है। यह एंटीफ्लेमेट्री, एनालजेसिक, ऐंटीपायरेटिक तथा इम्यून बूस्टर जैसे अनेक गुण रखती है।
1.    एलर्जीरोधी गुण --- गिलोय एलर्जी से होने वाले नजले और नाक के बहने में बहुत अधिक फायदे मंद है। इसके लिए इसके चूर्ण का सेवन प्रतिदिन नीयमित रुप से करें। वैसे आजकल इसका सत्व मिलता है जिसे आसानी से सेवन किया जा सकता है और फायदा भी बहुत ज्यादा करता है। इसके अलावा गिलोय घन वटी का भी 2-2 गोली सुबह दोपहर व शाम को सेवन करके एलर्जी में लाभ उठाया जा सकता है। ध्यान रहे किसी भी आयुर्वेदिक औषधि को लगातार 3 महिने इस्तेमाल के बाद कम से कम 10 दिनों का गैप देकर ही दोवारा शुरु करना चाहिये। इससे उस औषधि के फायदों को आप ले सकते हैं साथ ही अगर कोई दुष्प्रभाव भी आपको नही होगा।
2.    बुखार के संक्रमण को जड़ से खत्म करना--- गिलोय पुराने से पुराने बुखार  और किसी भी प्रकार के संक्रमण को दूर करने की एक सर्वाधिक प्रसिद्ध औषधि है। ऐसे बुखार जिनका कारण न पता चल रहा हो, गिलोय की जड़ का रस पीने से विल्कुल ठीक हो जाता है। इसी प्रकार डेंगू के मरीजों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है।
3.    पेट के रोगों पर गिलोय का प्रयोग------- गिलोय की वेल को कूटकर रोजाना सुबह पीने से दस्त, पेचिस, और आँत की समस्या में आराम मिलता है। इसका नीयमित सेवन लीवर की समस्या को दूर करने के लिए उपयोगी है यह लिवर की क्रियाशीलता को बढ़ाता है और इसके प्रयोग से पीलिया होने की संभावन घट जाती है।
4.    गिलोय प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है--- गिलोय का नियमित सेवन हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात रोगों से लड़ने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। जिससे संक्रमण और अन्य बहुत सी बीमारियों से बचाव होता है। एक शोध के अनुसार गिलोय की प्रतिरोधकता ऐड्स रोगियों पर भी देखी गई है।
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5.    गिलोय डायविटीज रोधी है--- गिलोय खून में मौजूद शुगर को प्राकृतिक रुप से कम करता है। जिससे इसके प्रयोग से डायविटीज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। चूहों पर किये गये शोध में गिलोय बिना किसी दवा के रक्त शर्करा को आपेक्षित स्तर तक निचे लाने में सक्षम रहा है।
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6.    त्वचा रोगों में गिलोय --- गिलोय को पाउडर फोर्म में अथवा इसके रस के रुप में सेवन करने से मुख की चमक ज्यों के त्यों वनी रहती है। साथ ही इससे दाद, खाज़, और सिरोसिस जैसी बीमारियों जैसी बीमारियों में भी आराम मिलता है।
7.     गिलोय में कैंसर से लड़ने की महान शक्ति है--- गिलोय और गैंहू के जवारे का रस मिलाकर पीने से कैंसर की कोशिकाओं की सक्रियता बहुत कम हो जाती है। इससे ब्लडकैंसर और एप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों में भी सुधार होता है।
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8.    गिलोय एंटीआक्सीडेंट गुण रखती है--- इसे पानी के साथ मिलाकर पीने से इसके एंटीआक्सीडेंट गुण रोगी को प्राप्त होते हैं। इसके लिए इसका चूर्ण या फिर इसका सत्व अच्छा काम करता है। इससे आपका शरीर स्वस्थ व हमेशा युवा बना रहता है।
9.    गिलोय का सूजनरोधी गुण--- गिलोय रोगी को दर्द सहन करने की शक्ति प्रदान करता है तथा यह सूजन को भी कम करता है। इस कारण से गिलोय का सेवन घुटनों के दर्द में भी लाभकर है।
10.     गिलोय एक अच्छी घावपूरक औषधि है--- गिलोय घाव के संकुचन को बढ़ा देता है जिससे घाव पर झिल्ली बनने की प्रक्रिया तेज कर देता है। इससे घाव जल्दी भर जाता है।
11.     चिकुनगुनिया में दर्द निवारण के लिए--- चिकुनगुनिया जैसे वायरल बुखार में जो ठीक होने के बाद दर्द से परेशान रहता है। इसमें गिलोय प्रकृति प्रदत्त वरदान है।

12.     हर प्रकार के बुखार में--- गिलोय हर प्रकार के बुखार में फायदेमंद औषधि है विशेष रुप से डेंगू, स्वाइन फ्लू,चिकुनगुनिया से बचाव हेतु, तथा रोग हो जाने पर चिकित्सा में तथा रोग होने के बाद के साइड इफेक्ट से बचने के लिए इसका प्रयोग बहुत अच्छा रहता है। यह सर्दी,जुकाम में भी इसका प्रयोग अनुपम है। ज्वर निवारण के अलावा किसी भी लम्बी बीमारी के उपरांत हुयी कमजोरी को मिटाने के लिए भी यह रसायन के रुप में प्रयुक्त होती है। सभी प्रकार के ज्वरों को दूर करने के लिए गिलोय बहुत ही ज्यादा फायदेमंद औषधि है।
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                                  गिलोय का सेवन करने का तरीका---
गिलोय को वैसे तो तने का चूर्ण करके ही प्रयोग में लाया जाता है लैकिन इसके अलावा इसके तने का काढ़ा बनाकर भी अनेको रोगों जैसे बुखार इत्यादि में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा आजकल जैसा कि मात्रा का हिसाव किताव चल रहा है इसको अत्य़धिक कम मात्रा में अगर लेना चाहते हैं तो इसका सत्व वनाकर भी लिया जा सकता है।इसके अलावा बहुत सी कम्पनियाँ इसके घनसत्व की टेवलेट बनाकर भी बेच रहीं है। जो एक अच्छा और उम्दा प्रयोग है।
   
गिलोय से होने वाले नुकसान और इसका निषेध----
1.     गिलोय पेट के रोगों की रामवाण औषधि है किन्तु यह कुछ लोगों के लिए पेट रोग का एक महत्वपूर्ण कारक भी है अतः सेवन के समय ध्यान रखें कि अगर इसके सेवन से कब्ज बन रही हो तो तुरंत ही इसका प्रयोग बन्द कर दें।
2.     गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन नही करना चाहिये। क्योकि गिलोय के सेवन से गिलोय के औषधीय प्रभाव दूध में प्रकट होकर बच्चे को प्रभावित कर सकते हैं।
3.     गिलोय चूँकि इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर देता है फलस्वरुप इम्यूनिटी बढ़ जाती है इसलिये अगर किसी को ओटो इम्यून रोग पहले से ही हैं तो इस औषधि का प्रयोग न करें।ओटो इम्यून डिसीज का एक अच्छा उदाहरण रूमेटाइड अर्थराइटिस है।
4.     यह एक अच्छा डायविटीज कंट्रोलर है लैकिन यदि रोगी का शुगर लेवल अनियमित रुप से घटता बढ़ता रहता है या फिर बार बार आपका शुगर लेवल गिरता है तो आप इसका प्रयोग विल्कुल न करें। क्योंकि यह ब्लड में शर्करा के लैवल को एकदम तेजी से कम करता है क्योंकि यह हाइपो ग्लोकेमिक एजेंट के रूप में काम करता है। 


  

2 टिप्‍पणियां:

  1. श्री मान भाई अमन जी सादर नमस्कार आपका हमारी वेवसाइट पर आना और गिलोय के बारे में पढ़ना हमें बहुत अच्छा लगा। भाई जी गिलोय के पौधे का केवल तना ही अधिकतर योगों में प्रयोग होता है और यह ही उसकी लकड़ी होती है औऱ उसी का चूर्ण लिया जाता है अगर हम सत्व भी ले रहे हैं तो वह भी लकड़ी का ही सत्व होता है ये जितने भी फायदे बताये गये हैं वे सभी ज्यादातर गिलोय की लकड़ी के ही हैं। इसलिये इन सभी प्रयोगों में वेहिचक आप गिलोय की लकड़ी का ही प्रयोग कर सकते हैं। धन्यवाद

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