शरीर की सप्त धातुओं को पुष्ट करके बलशाली और सामर्थ्यवान बनाने वाली आयुर्वेदिक औषधि है धातु पौष्टिक चूर्ण ।
वीर्य विकार और शीघ्रपतन की आयुर्वेदिक औषधि धातु पौष्टिक चूर्णAyurvedic medicine of semen disorder and premature ejaculation
धातु पौष्टिक चूर्ण जैसा कि इस औषधि के नाम से ही प्रतीत हो रहा है यह औषधि व्यक्ति के शरीर की समस्त धातुओं यथा रस,रक्त,माँस,मेद,मज्जा,अस्थि व शुक्र सभी को पुष्ट करके व्यक्ति को बलवान व सामर्थ्यवान बनाती है। यह आयुर्वेद की एक प्रसिद्ध बल-वीर्य बढ़ाने वाली औषधि है। क्योंकि इससे शरीर की समस्त धातुओं की पूर्ति हो जाती है अतः नसों व नाड़ियों में पुनः उत्साह लाकर शरीर में एक नया जोश भर देती है। और इसी कारण इसे विशेष रुप से काम शक्ति वर्धक के रुप में पहिचाना जाता है। इसका मुख्य घटक शतावर है अतः इस कारण से इसे शतावर्यादि चूर्ण के नाम से भी जाना जाता है।प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रंथो यथा आयुर्वेद सार संग्रह व आयुर्वेद भाष्कर में इस चूर्ण का उल्लेख है। क्योकि यह आपके शरीर की समस्त खोई हुयी धातुओं को पुष्ट करता है और जब धातुऐं पुनः शऱीर को प्राप्त हो जाऐंगी तो निश्चित रुप से शरीर की ताकत व बजन भी आवश्यक रुप से बढ़ेगा ही अतः कृशकाय अर्थात कमजोर लोग इसे इस्तेमाल में लेकर निश्चित ही ताकतवर शरीर के मालिक हो जाऐंगे। अतः वैद्य लोग इसे कमजोर शरीर वालों को देकर उनको लाभ प्रदान करते हैं।
धातु पौष्टिक चूर्ण का निर्माण आयुर्वेद के श्रेष्ठ शुक्रल औषधि द्रव्यों से मिलाकर किया जाता है। बैद्यनाथ कंपनी अपने 5 ग्राम धातु पौष्टिक चूर्ण में निम्न मात्रा में औषधि द्रव्यों को मिलाकर इस औषधि को तैयार करती हैं –
शतावरी या सतावर, अश्वगंधा, कबाबचीनी, चोपचीनी, गोखरू, वंशलोचन, कौंच के बीज, सफ़ेद मूसली, काली मूसली, सोंठ,पिप्पली, काली मिर्च, सालम मिश्री और विदारीकन्द – प्रत्येक 120 mg.
आयुर्वेद का जानकार हर व्यक्ति जानता है कि हमारा शरीर सात धातुओं से निर्मित है जिस भोजन को हम ग्रहण करते हैं उसी से इन धातुओं का निर्माण होता है। लैकिन कभी कभी हमारी गलतियों या किसी रोग से ग्रस्त होने पर शरीर में इन सात धातुओं की कमी हो जाती है इससे हमारा बल व हमारे शरीर की चमक भी कम हो जाती है। और ऐसे में शरीर में कम हुयी धातुओं की पूर्ति हम अपनी रोजाना की डाइट से पूरी नही कर पाते या फिर किसी रोग की वजह से हमारे शरीर से धातुऐं लगातार निकलती रहती हैं इससे शरीर कृशकाय हो जाता है ऐसे में धातु पौष्टिक चूर्ण हमारे शरीर से कम हुयी सभी सातों धातुओं की पूर्ति कर देता है जिससे शरीर की कृशता धीरे धीरे कम होकर पूर्णतया ठीक हो जाती है। और कमजोरी के कारण जो बजन कम हुआ होता है उसकी भी रिकवरी हो जाती है।यह केवल बलवर्धक ही नही है यह एक अच्छा काम शक्ति वर्धक चूर्ण भी है।आयुर्वेद सार संग्रह इसे क्षय हुयी धातुओं की पूर्ति क रके वीर्य को गाढ़ा करने बाली औषधि के रुप में वर्णित करता है इसे विधिपूर्वक लगातार रोजाना लिया जाऐ तो शरीर में धातुऔं की पूर्ति तो होगी ही साथ में यह वीर्य को गाढ़ा करने वाला है। अतः नित्य प्रतिदिन लगातार 43-45 दिन इसे लिया जाए तो स्वपनदोष भी दूर हो जाता है साथ में शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।
निशोथ (त्रिवृत) – 730 mg.
मिश्री या शर्करा – 2.45 ग्राम
धातु पौष्टिक चूर्ण के गुण (Properties)
धातुपौष्टिक चूर्ण वीर्य विकार व शीघ्रपतन की आयुर्वेदिक दवा |
धातु पौष्टिक चूर्ण के उपयोग (Uses)
धातु पौष्टिक चूर्ण रोगी को निम्न दशाओं और रोगोंं में लाभप्रद है।
- क्षय, कृशता अर्थात शारीरिक दुर्बलता (वज़न कम होना)
- अत्यधिक शारीरिक श्रम या किसी बीमारी से होने वाली कमजोरी में
- बुढ़ापे में होने वाली कमजोरी
- पुरुषेन्द्रिय की दुर्बलता , कामेच्छा और यौनशक्ति की कमी
- शुक्र विकार जैसे कम शुक्राणु संख्या,शुक्राणुओं की गति शीलता में कमी, असामान्य शुक्राणु
- वीर्य की कम मात्रा होना या वीर्य का पतला होना
- लिंग में तनाव ना होना (Erectile Dysfunction)
- Decay, slimness, physical impairment (weight loss)
- In extreme weakness of physical activity or illness
- Old age weakness
- Lack of male inferiority, libido and lack of sexual power
- Low sperm count, such as Venus disorder, decrease in speed of sperm, abnormal sperm
- Less quantity of semen or slime of semen
- Gender strain (Erectile Dysfunction)
धातु पौष्टिक चूर्ण की आयुर्वेदिक ग्रंथो के अनुसार मात्रा 6 माशे से 1 तोला (6 ग्राम से 12 ग्राम) तक दूध या पानी से है। किन्तु बैद्यनाथ फार्मेसी के अनुसार इसे 3 से 6 ग्राम बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर दूध के साथ इसका सेवन करना चाहिए।
लैकिन फिर भी 1 से 2 चम्मच (लगभग 5 से 10 ग्राम) हाजमे के अनुसार सुबह नाश्ते के समय और शाम के खाने से 2 घंटे बाद हलके गर्म दूध से लेना चाहिये, पूर्ण रोगमुक्ति के लिए कम से कम 6 महीने तक प्रयोग इसका प्रयोग करना चाहिये यह चूर्ण खास तौर से सर्दी के मौसम में अधिक लाभकारी है। वैसे तो इस चूर्ण का कोई साइड इफैक्ट नही देखने में आता है फिर भी इसे लगातार छह महिने तक प्रयोग करके 15-20 दिन के लिए इसे छोड़ देना चाहिये।
इस औषधि को सेवन करते समय सामान्य सी एक बात ध्यान देने की है कि किसी भी आयुर्वेदिक रसायन/वाजीकरण औषधि को सेवन करने से पहले शरीर का शोधन कर्म (बढे हुए दोषों को निकालना) व कोष्ठ-शुद्धि आवश्यक है अन्यथा आप इसके चमत्कारी असर से बंचित रह सकते हैं। और दोष निवारण किसी बहुत ही योग्य किसी कुशल प्रशिक्षित वैद्य की सलाह से ही करने चाहिये
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धातु पौष्टिक चूर्ण की मात्रा (Dose)
शास्त्र के अनुसार धातु पौष्टिक चूर्ण की सेवन मात्रा है – 6 माशे से 1 तोला (6 ग्राम से 12 ग्राम) तक दूध या पानी से
हमारे क्लिनिकल अनुभव के अनुसार 1 से 2 चम्मच (लगभग 5 से 10 ग्राम) हाजमे के अनुसार सुबह नाश्ते के समय और शाम के खाने से 2 घंटे बाद हलके गर्म दूध से लें. पूर्ण आराम के लिए कम से कम 6 महीने तक प्रयोग करें. खास तौर से सर्दी के मौसम में अधिक लाभकारी है.
हमारे क्लिनिकल अनुभव के अनुसार 1 से 2 चम्मच (लगभग 5 से 10 ग्राम) हाजमे के अनुसार सुबह नाश्ते के समय और शाम के खाने से 2 घंटे बाद हलके गर्म दूध से लें. पूर्ण आराम के लिए कम से कम 6 महीने तक प्रयोग करें. खास तौर से सर्दी के मौसम में अधिक लाभकारी है.
इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है. फिर भी एक बार में अधिकतम 6 माह तक प्रयोग करें और फिर थोड़े समय के लिए छोड़ दें.
धातु पौष्टिक चूर्ण (या ऐसी ही अन्य आयुर्वेदिक रसायन/वाजीकरण दवाई) सेवन करने से पहले शरीर शोधन कर्म (बढे हुए दोषों को निकालना) व कोष्ठ-शुद्धि आवश्यक है अन्यथा इनका चमत्कारी असर नहीं होता. इन कर्मों हेतु किसी कुशल प्रशिक्षित वैद्य की सलाह लें.
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धातु पौष्टिक चूर्ण (या ऐसी ही अन्य आयुर्वेदिक रसायन/वाजीकरण दवाई) सेवन करने से पहले शरीर शोधन कर्म (बढे हुए दोषों को निकालना) व कोष्ठ-शुद्धि आवश्यक है अन्यथा इनका चमत्कारी असर नहीं होता. इन कर्मों हेतु किसी कुशल प्रशिक्षित वैद्य की सलाह लें.
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धातु पौष्टिक चूर्ण के लिए पथ्य, अपथ्य और सहायक दवाइयां
धातु पौष्टिक चूर्ण गरिष्ट यानि देर से पचने वाला है। अतः इसका सेवन मन्दाग्नि (कम भूख, अपच) वाले व्यक्ति को नहीं करना चाहिए. या अगर ज़रूरी हो तो दीपन, पाचन द्रव्यों के साथ खाना चाहिए. इसके अलावा गर्मी के मौसम में इसे ना लें या कम मात्रा में प्रयोग करें।
चूँकि धातु पौष्टिक चूर्ण कई रोगों के उपचार में काम आता है अतः जिस रोग के लिए प्रयोग कर रहे हों उसकी अन्य दवाइयां साथ लेने से और प्रभावी होता है। अन्य समान गुण-धर्म वाली दवाइयां हैं – शतावरी चूर्ण, कौंच पाक, मदनानंद मोदक, धात्री रसायन, सुपारी पाक, अशोकारिष्ट (स्त्रियों के लिए) आदि.
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अपथ्य (परहेज़)
धातु पौष्टिक चूर्ण अन्य पौष्टिक द्रव्यों की तरह गरिष्ट (देर में पचने वाला) होता है। इसलिए अगर इसके खाने से कोष्ठबद्धता (अपच या कब्ज़) हो जाए तो दीपन-पाचन और मृदु-रेचन (purgatives) औषधियां जैसे – इसबगोल, त्रिफला चूर्ण, लवणभास्कर चूर्ण आदि का साथ में सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त खटाई, बासी ठंडा खाना, भारी तला-भुना खाना, धुम्रपान, तम्बाकू सेवन, शराब या अन्य किसी भी प्रकार का नशा पूर्णतया वर्जित है. अन्यथा इसका असर या तो नहीं होता या बहुत कम होता है।
धातु पौष्टिक चूर्ण अन्य पौष्टिक द्रव्यों की तरह गरिष्ट (देर में पचने वाला) होता है। इसलिए अगर इसके खाने से कोष्ठबद्धता (अपच या कब्ज़) हो जाए तो दीपन-पाचन और मृदु-रेचन (purgatives) औषधियां जैसे – इसबगोल, त्रिफला चूर्ण, लवणभास्कर चूर्ण आदि का साथ में सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त खटाई, बासी ठंडा खाना, भारी तला-भुना खाना, धुम्रपान, तम्बाकू सेवन, शराब या अन्य किसी भी प्रकार का नशा पूर्णतया वर्जित है. अन्यथा इसका असर या तो नहीं होता या बहुत कम होता है।
धातु पौष्टिक चूर्ण में शर्करा होती है इसलिए मधुमेह (Diabetes mellitus) के रोगी इसका सेवन चिकित्सक की देखरेख में ही करें।
नोट (Disclaimer) – ऊपर दी गयी जानकारी केवल आपको शिक्षित करने के लिए दी गयी है, जिससे आपको कोई नीम हकीम ठगे नहीं. कृपया इसके आधार पर अपना “इलाज” खुद ना करें. हमेशा उपचार क्वालिफाइड डॉक्टर से ही कराएँ. आपके रोग और उसके कारणों का सही विश्लेषण एक डॉक्टर ही कर सकता है – उदाहरण के तौर पर अगर आपको पेशाब की नली, गुर्दे या प्रोस्टेट का इन्फेक्शन है तो बिना उसका इलाज कराये infertility की दवाई लेने से कोई फायदा नहीं होगा. अतः बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई लेने से बचें. इसके अलावा हर्बल दवाइयां थोड़ा देरी से काम करती हैं (work slowly) और इसी कारण बहुत से रोगी इलाज बीच में ही छोड़ देते हैं. अतः थोड़ा धैर्य रखें.
कुछ नुस्खे ऐसे होते हैं, जो शीतकाल में ही सेवन किए जा सकते हैं, परंतु इस नुस्खे में यह शर्त लागू नहीं होती।
नुस्खा : गोखरू का महीन पिसा चूर्ण 3 ग्राम, कतीरा गोंद पिसा हुआ 3 ग्राम और शुद्ध घी दो चम्मच, यह एक खुराक है। घी में दोनों पिसे द्रव्य मिलाकर आग पर रख कर थोड़ा पका लें और चाटकर ऊपर से एक गिलास मीठा गर्म दूध पी लें।
धातु पौष्टिक चूर्ण शारीरिक कमजोरी की दशा तथा शीघ्रपतन व स्खलन संबंधी और रोगों में अति लाभकारी है ।जो शरीर में धातुओं की पुष्टि करके शरीर को लौहालाट बना देता है।
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